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 मोदी के करीबी मंत्री का योगी सरकार पर हमला, BJP में बढ़ी सियासी हलचल

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 मोदी के करीबी मंत्री का योगी सरकार पर हमला

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  • उत्तर प्रदेश में BJP की अंदरूनी जंग: योगी सरकार पर निशाना, क्या है माजरा?
  • क्या BJP में टकराव की नई कहानी? योगी सरकार पर मंत्री का तीखा प्रहार

लखनऊ, 01 अगस्त 2025: उत्तर प्रदेश की सियासत में उस वक्त नया मोड़ आया, जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के एक वरिष्ठ मंत्री और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी माने जाने वाले नेता ने योगी आदित्यनाथ सरकार पर तीखा हमला बोला। इस हमले ने पार्टी के भीतर चल रही अंदरूनी खींचतान को सार्वजनिक मंच पर ला दिया है।

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यह घटनाक्रम तब सामने आया, जब उक्त मंत्री ने योगी सरकार की कार्यशैली और कुछ नीतियों पर सवाल उठाए, जिससे सियासी गलियारों में हड़कंप मच गया। मंत्री ने अपने बयानों में योगी सरकार की प्रशासनिक व्यवस्था और कुछ योजनाओं के क्रियान्वयन पर असंतोष जताया। उन्होंने दावा किया कि सरकार के कुछ फैसले पार्टी कार्यकर्ताओं और जनता की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर रहे। हालांकि, उन्होंने अपने बयान में सीधे तौर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके इशारे साफ तौर पर योगी सरकार की ओर थे।

यह पहली बार नहीं है जब योगी सरकार को पार्टी के भीतर से ही चुनौती मिली हो, लेकिन इस बार मामला इसलिए गंभीर माना जा रहा है, क्योंकि यह हमला प्रधानमंत्री के करीबी नेता की ओर से आया है। सूत्रों के मुताबिक, यह विवाद उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारियों के बीच उभरा है। BJP के भीतर नेतृत्व और संगठन को लेकर पहले से ही चर्चाएं चल रही थीं। कुछ महीने पहले भी योगी आदित्यनाथ ने दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और BJP अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात की थी, जिसमें संगठन और सरकार के बीच तालमेल पर चर्चा हुई थी। इस मुलाकात के बाद यह माना जा रहा था कि पार्टी के भीतर मतभेद सुलझा लिए गए हैं, लेकिन इस ताजा बयान ने एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह विवाद केवल व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं तक सीमित नहीं है। उनके अनुसार, यह उत्तर प्रदेश में BJP के भविष्य और नेतृत्व के सवाल से जुड़ा है। योगी आदित्यनाथ, जो अपनी सख्त प्रशासनिक छवि और हिंदुत्व की राजनीति के लिए जाने जाते हैं, पार्टी के एक बड़े चेहरे हैं। दूसरी ओर, कुछ नेता मानते हैं कि योगी की बढ़ती लोकप्रियता और स्वतंत्र कार्यशैली केंद्रीय नेतृत्व के लिए चुनौती बन सकती है।

इस बीच, विपक्षी दलों ने इस विवाद को भुनाने की कोशिश शुरू कर दी है। समाजवादी पार्टी (SP) के नेता अखिलेश यादव ने तंज कसते हुए कहा, “BJP का घर अब खुद ही जल रहा है। जनता देख रही है कि जो लोग एकजुटता की बात करते हैं, वे आपस में ही लड़ रहे हैं।” वहीं, कांग्रेस ने भी इस मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए कहा कि BJP की अंदरूनी कलह उत्तर प्रदेश की जनता के लिए नुकसानदेह साबित होगी।हालांकि, BJP के कुछ नेताओं ने इस मामले को तूल न देने की बात कही है। एक केंद्रीय नेता ने दावा किया कि यह केवल “आंतरिक चर्चा” का हिस्सा है और पार्टी जल्द ही इस मामले को सुलझा लेगी। उन्होंने यह भी कहा कि योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय नेतृत्व के बीच कोई बड़ा मतभेद नहीं है।

सियासी विश्लेषकों का मानना है कि यह घटनाक्रम उत्तर प्रदेश की राजनीति में नए समीकरण बना सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, अगर BJP के भीतर यह खींचतान बढ़ती है, तो इसका असर 2027 के विधानसभा चुनावों पर पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश, जो 80 लोकसभा सीटों के साथ देश की सियासत में अहम भूमिका निभाता है, हमेशा से ही BJP की रणनीति का केंद्र रहा है।

फिलहाल, योगी आदित्यनाथ की ओर से इस बयान पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। उनके करीबी सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री अपने काम पर ध्यान दे रहे हैं और इस तरह के विवादों से दूर रहना पसंद करते हैं। दूसरी ओर, केंद्रीय नेतृत्व भी इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाने की कोशिश में जुटा है, ताकि पार्टी की एकजुट छवि को कोई नुकसान न पहुंचे।

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