महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने एक बार फिर मराठी अस्मिता को केंद्र में रखते हुए जोरदार बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मराठी लोग महाराष्ट्र की मिट्टी के सच्चे सपूत हैं और उनकी पहचान व अधिकारों की रक्षा करना उनकी पार्टी का प्रमुख लक्ष्य है। ठाणे में एक सभा को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने मराठी भाषा, संस्कृति और स्थानीय लोगों के हितों पर जोर देते हुए कहा कि महाराष्ट्र में मराठी माणूस को उसका हक दिलाने के लिए उनकी लड़ाई और तेज होगी।राज ठाकरे ने अपने भाषण में मराठी लोगों के रोजगार, शिक्षा और सामाजिक सम्मान पर ध्यान देने की बात कही। उन्होंने कहा, “महाराष्ट्र में मराठी माणूस को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह हमारी धरती है, हमारी संस्कृति है, और हमारी भाषा है। हम इसे और मजबूत करेंगे।” ठाकरे ने यह भी दावा किया कि उनकी पार्टी बाहरी लोगों के खिलाफ नहीं है, लेकिन मराठी लोगों के हितों को प्राथमिकता देना जरूरी है।
मराठी अस्मिता का नया नारा
राज ठाकरे ने हाल के वर्षों में मराठी अस्मिता को अपनी राजनीति का केंद्र बनाया है। इस बार उनके बयान को 2024 के लोकसभा चुनावों और आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से जोड़कर देखा जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ठाकरे मराठी वोटरों को एकजुट करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि मनसे महाराष्ट्र की राजनीति में अपनी स्थिति को मजबूत कर सके। उन्होंने अपने भाषण में मराठी भाषा को बढ़ावा देने के लिए स्कूलों और सरकारी कार्यालयों में इसके उपयोग को अनिवार्य करने की मांग भी दोहराई। साथ ही, उन्होंने स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के अवसर बढ़ाने और मराठी संस्कृति को संरक्षित करने के लिए सरकार पर दबाव बनाने की बात कही। ठाकरे ने कहा, “हमारा लक्ष्य मराठी माणूस को उसका गौरव वापस दिलाना है, चाहे वह नौकरी के क्षेत्र में हो या सामाजिक स्तर पर।”
राजनीतिक रणनीति और चुनौतियां
राज ठाकरे का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन (बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी) और विपक्षी महाविकास अघाड़ी (कांग्रेस, शिवसेना-यूबीटी, एनसीपी-एसपी) के बीच तीखी राजनीतिक जंग चल रही है। मनसे, जो पहले शिवसेना का हिस्सा थी, अब अपनी अलग पहचान बनाने की कोशिश में है। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनावों में मनसे का प्रदर्शन उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा, जिसके बाद राज ठाकरे मराठी अस्मिता के मुद्दे को और तेजी से उठा रहे हैं। विश्लेषकों का कहना है कि ठाकरे का यह बयान मराठी वोटरों को लुभाने की रणनीति का हिस्सा है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां मनसे का प्रभाव है, जैसे ठाणे, नासिक और पुणे। हालांकि, उन्हें इस बात की चुनौती भी है कि मराठी अस्मिता का मुद्दा उठाते हुए वह अन्य समुदायों को नाराज न करें।
आगे की राह
राज ठाकरे ने अपने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे मराठी संस्कृति और भाषा के प्रचार के लिए जमीनी स्तर पर काम करें। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि मनसे जल्द ही मराठी हितों को लेकर एक बड़ा आंदोलन शुरू कर सकती है। ठाकरे ने कहा, “हमारा झंडा मराठी माणूस का गौरव है। इसे ऊंचा रखने के लिए हमें एकजुट होना होगा।” महाराष्ट्र की राजनीति में मराठी अस्मिता का मुद्दा हमेशा से संवेदनशील रहा है। राज ठाकरे का यह बयान न केवल उनकी पार्टी के लिए, बल्कि महाराष्ट्र की समग्र राजनीति के लिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। आगामी निकाय चुनावों में यह देखना दिलचस्प होगा कि ठाकरे की यह रणनीति मनसे को कितना फायदा पहुंचाती है।