उत्तर प्रदेश में प्रशासनिक ढांचे में व्यापक बदलाव, मुख्य सचिव सहित 15 वरिष्ठ अधिकारी रिटायरलखनऊ, 4 जुलाई 2025: उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में जुलाई 2025 का महीना एक ऐतिहासिक बदलाव का साक्षी बन रहा है। इस महीने में राज्य के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह सहित चार वरिष्ठ भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारियों और 11 प्रांतीय सिविल सेवा (PCS) अधिकारियों की सेवानिवृत्ति ने प्रशासनिक हलकों में हलचल मचा दी है।
इस बड़े पैमाने पर रिटायरमेंट के साथ ही राज्य सरकार ने नई नियुक्तियों और तबादलों की प्रक्रिया को तेज कर दिया है, जिससे प्रशासनिक ढांचे में नए चेहरों और नीतियों का आगमन होने की संभावना है।सेवानिवृत्त होने वाले प्रमुख अधिकारीजानकारी के अनुसार, मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह, जो उत्तर प्रदेश प्रशासन के शीर्ष अधिकारी रहे हैं, इस महीने अपनी सेवानिवृत्ति के साथ एक युग का अंत कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में राज्य ने कई महत्वपूर्ण प्रशासनिक और विकासात्मक पहल देखीं। उनके अलावा, चार अन्य IAS अधिकारी—अपर मुख्य सचिव (सामान्य प्रशासन) जितेंद्र कुमार, अखिलेश कुमार मिश्रा, बृजराज सिंह यादव, और सुरेंद्र प्रसाद सिंह—भी 30 जून को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। इनके साथ ही 11 PCS अधिकारियों ने भी अपनी सेवा समाप्त की, जिनमें लखनऊ, गोरखपुर, अयोध्या, बदायूं, कानपुर देहात, और पीलीभीत जैसे जिलों में तैनात अधिकारी शामिल हैं।
रिटायरमेंट से प्रशासन में रिक्तियांइन वरिष्ठ अधिकारियों की सेवानिवृत्ति ने उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक ढांचे में कई महत्वपूर्ण पदों पर रिक्तियां पैदा कर दी हैं। विशेष रूप से मुख्य सचिव जैसे शीर्ष पद के लिए नए चेहरे की नियुक्ति को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। सूत्रों के अनुसार, राज्य सरकार जल्द ही इन रिक्त पदों को भरने के लिए नई नियुक्तियों और तबादलों की घोषणा कर सकती है। इसके लिए वरिष्ठ IAS अधिकारियों के नामों पर विचार किया जा रहा है, और यह प्रक्रिया प्रशासनिक सुधारों के साथ-साथ नई नीतियों को लागू करने का अवसर भी प्रदान करेगी।प्रशासनिक परिवर्तन का प्रभावइस बड़े पैमाने पर रिटायरमेंट का प्रभाव न केवल प्रशासनिक संरचना पर पड़ेगा, बल्कि यह उत्तर प्रदेश की नीति निर्माण और विकास परियोजनाओं पर भी असर डालेगा।
मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्वपूर्ण परियोजनाओं को गति दी, जिनमें औद्योगिक विकास, बुनियादी ढांचा परियोजनाएं, और ग्रामीण विकास शामिल हैं। उनकी विदाई के साथ, नए मुख्य सचिव के सामने इन परियोजनाओं को आगे बढ़ाने और नई चुनौतियों से निपटने की जिम्मेदारी होगी।नई नियुक्तियों की तैयारीप्रशासनिक हलकों में यह चर्चा जोरों पर है कि सरकार इस अवसर का उपयोग नौकरशाही को और अधिक गतिशील और जवाबदेह बनाने के लिए करेगी। नई नियुक्तियों में युवा और अनुभवी अधिकारियों को प्राथमिकता दी जा सकती है, जो डिजिटल प्रशासन और आधुनिक तकनीकों के उपयोग में पारंगत हों। साथ ही, तबादलों के दौर में कई जिलों के जिलाधिकारियों और अन्य प्रमुख पदों पर भी बदलाव देखने को मिल सकते हैं।भावुक विदाई और भविष्य की संभावनाएंसेवानिवृत्त होने वाले अधिकारियों को उनके सहयोगियों और अधीनस्थों ने भावुक विदाई दी।
इन अधिकारियों ने अपने लंबे कार्यकाल में उत्तर प्रदेश के प्रशासनिक और सामाजिक ढांचे को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। अब, नए अधिकारियों के आने के साथ, राज्य में प्रशासनिक सुधारों और विकास की नई गाथा लिखे जाने की उम्मीद है।उत्तर प्रदेश सरकार ने इस बदलाव को एक अवसर के रूप में देखा है, और जल्द ही प्रशासनिक ढांचे को और मजबूत करने के लिए कदम उठाए जाएंगे। यह दौर न केवल नौकरशाही के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक नए अध्याय की शुरुआत है।