नई दिल्ली, 15 सितंबर 2025। दिल्ली के करावल नगर इलाके में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की तकनीक का दुरुपयोग कर एक दसवीं कक्षा की छात्रा को ब्लैकमेल किया गया। पीड़िता, जो एक सरकारी स्कूल में पढ़ती है, की उम्र मात्र 16 वर्ष है। मामला तब शुरू हुआ जब छात्रा ऑनलाइन गेमिंग ऐप पर एक फर्जी प्रोफाइल से दोस्ती कर बैठी। आरोपी, जो खुद एक नाबालिग है और स्थानीय स्कूल का छात्र बताया जा रहा है, ने छात्रा के सोशल मीडिया अकाउंट से उसकी फोटो चुराई। इन फोटोज को AI टूल्स जैसे डीपफेक सॉफ्टवेयर से एडिट कर अश्लील वीडियो तैयार किए गए, जिसमें छात्रा को काल्पनिक रूप से नग्न दिखाया गया।
आरोपी ने छात्रा को व्हाट्सएप पर ये वीडियो भेजे और धमकी दी कि अगर वह पैसे नहीं देगी या आपत्तिजनक फोटो नहीं भेजेगी, तो वीडियो को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया जाएगा। साथ ही, छात्रा के परिवार वालों को भी ये वीडियो भेजने की धमकी दी गई। यह ब्लैकमेल का सिलसिला कई दिनों तक चला, जिससे छात्रा मानसिक रूप से टूट गई। आरोपी ने न केवल छात्रा को टारगेट किया, बल्कि उसके परिवार को भी डराने की कोशिश की।
वीडियो में छात्रा के अलावा उसके पिता को भी शामिल कर फर्जी अश्लील दृश्य बनाए गए, ताकि परिवार पर दबाव डाला जा सके। आरोपी ने दो अलग-अलग सिम कार्ड्स का इस्तेमाल कर फर्जी अकाउंट्स चलाए, जिससे उसकी पहचान छिपी रही। छात्रा को प्रतिदिन मैसेज भेजे जाते, जिसमें 10-20 हजार रुपये की मांग की जाती। जब छात्रा ने विरोध किया, तो आरोपी ने धमकी दी कि वीडियो स्कूल, रिश्तेदारों और पूरे इलाके में फैला दिया जाएगा। इससे छात्रा डर के मारे स्कूल जाना बंद कर दिया और घर में ही कैद हो गई। परिवार को शक तब हुआ जब छात्रा की सेहत बिगड़ने लगी और वह रोने लगी। मां ने पूछताछ की तो पूरी घटना सामने आई। यह मामला AI की बढ़ती पहुंच के साथ साइबर क्राइम के खतरे को उजागर करता है, जहां साधारण फोटो से भी गंभीर अपराध रचे जा सकते हैं।
घटना का खुलासा तब हुआ जब छात्रा की मां ने करावल नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई। 10 सितंबर 2025 को दर्ज FIR में आईटी एक्ट की धारा 66E, 67A के तहत मामला दर्ज किया गया, साथ ही POCSO एक्ट की धाराएं भी जोड़ी गईं क्योंकि पीड़िता नाबालिग है। पुलिस की साइबर सेल ने तुरंत जांच शुरू की। आरोपी के फोन नंबर ट्रेस करने पर पता चला कि मैसेज स्थानीय ही से भेजे जा रहे थे। सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल लोकेशन से आरोपी की पहचान हो गई। जांच में सामने आया कि आरोपी ने फ्री ऑनलाइन AI टूल्स का इस्तेमाल किया था, जो आसानी से उपलब्ध हैं। 14 सितंबर को पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। उसके फोन से कई फर्जी वीडियो और चैट हिस्ट्री बरामद हुई। आरोपी का एक साथी भी फरार है, जिसकी तलाश जारी है। पुलिस ने बताया कि आरोपी को जमानत नहीं मिलेगी और काउंसलिंग भी दी जाएगी क्योंकि वह नाबालिग है।
यह घटना दिल्ली-NCR में AI से जुड़े साइबर क्राइम की बढ़ती प्रवृत्ति को दर्शाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि सोशल मीडिया पर फोटो शेयर करने से पहले सावधानी बरतनी चाहिए। पुलिस ने अभिभावकों को सलाह दी है कि बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग और चैटिंग के खतरों के बारे में जागरूक करें। सरकार को AI टूल्स पर सख्त नियम लागू करने की मांग उठ रही है। पीड़िता को काउंसलिंग दी जा रही है और परिवार को सुरक्षा प्रदान की गई है। यह मामला न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि डिजिटल दुनिया के अंधेरे पक्ष को उजागर करता है।
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