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Lucknow Municipal Corporation: लखनऊ में मेयर और नगर आयुक्त के बीच तकरार, सुषमा खर्कवाल को कार्यक्रम में नहीं बुलाया, जताई नाराजगी

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  • नगर निगम में विवाद: मेयर सुषमा खर्कवाल ने IAS गौरव कुमार पर लगाया अनदेखी का आरोप, मांगा जवाब

लखनऊ, 2 अगस्त 2025। Lucknow Municipal Corporation: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नगर निगम के भीतर एक नया विवाद सुर्खियों में है। लखनऊ की मेयर सुषमा खर्कवाल ने नगर आयुक्त आईएएस गौरव कुमार पर गंभीर आरोप लगाते हुए उनकी कार्यशैली पर सवाल उठाए हैं। मेयर ने दावा किया है कि नगर आयुक्त ने उन्हें एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया, जिससे उनकी उपेक्षा हुई। इस मामले को लेकर मेयर ने गौरव कुमार को एक पत्र लिखकर स्पष्टीकरण मांगा है और 4 अगस्त 2025 की दोपहर तक जवाब देने का अल्टीमेटम दिया है।

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मेयर सुषमा खर्कवाल ने अपने पत्र में दो अहम सवाल उठाए हैं। पहला, क्या उक्त कार्यक्रम में मेयर की उपस्थिति आवश्यक थी? और दूसरा, कार्य विभाजन के नियमों के अनुसार क्या मेयर के साथ विचार-विमर्श करना जरूरी था? मेयर ने इस पत्र में अपनी नाराजगी को स्पष्ट करते हुए कहा कि नगर आयुक्त की ओर से उनकी अनदेखी न केवल उनके पद की गरिमा के खिलाफ है, बल्कि यह नगर निगम के नियमों और प्रोटोकॉल का भी उल्लंघन है। यह विवाद तब शुरू हुआ, जब नगर निगम द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में मेयर को शामिल नहीं किया गया। सूत्रों के अनुसार, यह कार्यक्रम शहर के विकास और स्वच्छता से संबंधित था, जिसमें मेयर की उपस्थिति को अनिवार्य माना जाता है।

मेयर ने इस घटना को व्यक्तिगत और प्रशासनिक अपमान के रूप में लिया और इसे नगर निगम की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता की कमी का प्रतीक बताया। सुषमा खर्कवाल, जो 2023 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की टिकट पर लखनऊ की मेयर चुनी गई थीं, ने पहले भी नगर निगम में लापरवाही और अनुशासनहीनता के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। हाल ही में, उन्होंने स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में लखनऊ को तीसरा स्थान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी, जिसके लिए उन्हें डॉ. आंबेडकर महासभा द्वारा सम्मानित भी किया गया। इसके बावजूद, नगर आयुक्त के साथ उनके रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं। इससे पहले भी, मार्च 2025 में मेयर और कार्यकारिणी सदस्यों के बीच बजट को लेकर मतभेद सामने आए थे, जब कार्यकारिणी ने मेयर पर मनमानी का आरोप लगाया था।

नगर आयुक्त गौरव कुमार की ओर से अभी तक इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, नगर निगम के कुछ अधिकारियों का कहना है कि यह मामला प्रशासनिक स्तर पर गलतफहमी का नतीजा हो सकता है। दूसरी ओर, कुछ पार्षदों ने मेयर के समर्थन में आवाज उठाई है और नगर आयुक्त की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं।

यह विवाद लखनऊ नगर निगम में पहले से मौजूद तनाव को और बढ़ा सकता है। मेयर सुषमा खर्कवाल ने स्पष्ट किया है कि वह इस मामले में कड़ा रुख अपनाएंगी और नगर निगम के कामकाज में पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करेंगी। उन्होंने कहा, “मैं लखनऊ के नागरिकों के लिए काम करने के लिए चुनी गई हूं, और किसी भी तरह की अनदेखी या लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।”यह मामला अब राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है। क्या यह विवाद मेयर और नगर आयुक्त के बीच सुलझ जाएगा, या यह और तूल पकड़ेगा? इसका जवाब आने वाले दिनों में मिलेगा।

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