महाराष्ट्र में रविवार की रात बार में पार्टी का प्लान बनाने वालों को सोमवार सुबह एक बड़ा झटका लगा। राज्य के 22,000 से ज्यादा होटल और बार मालिकों ने शराब पर टैक्स बढ़ोतरी के खिलाफ एक दिन की ‘बार बंद’ हड़ताल का ऐलान किया और राज्यभर में शराब नहीं परोसी गई। इसका असर खासतौर पर मुंबई, पुणे, नासिक, नागपुर, महाबलेश्वर, वसई, लोनावाला जैसे शहरों में देखने को मिला, जहां सोमवार को बार के दरवाज़े बंद मिले और ग्राहक मायूस लौटे।
इस हड़ताल की अगुवाई होटल एंड रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया (HRAWI) ने की। उन्होंने सरकार के उस फैसले का विरोध किया है जिसमें शराब पर वैट 5% से बढ़ाकर 10%, लाइसेंस फीस में 15% की बढ़ोतरी और उत्पाद शुल्क में 65% तक इजाफा कर दिया गया है। शराब के दामों में आई यह भारी उछाल न केवल व्यापार पर असर डाल रही है, बल्कि ग्राहक भी इससे परेशान हैं।
मुंबई के चेंबूर इलाके में विजयलक्ष्मी बार के बाहर बार कर्मचारियों और मालिकों ने विरोध प्रदर्शन किया। TV9 डिजिटल से बातचीत में होटल एसोसिएशन के जोनल वाइस प्रेसिडेंट सुरेश शेट्टी ने कहा, “राज्य सरकार की यह मनमानी न केवल बिजनेस को नुकसान पहुंचा रही है, बल्कि मिडिल क्लास और वर्किंग क्लास के ग्राहकों की जेब पर भी सीधा असर डाल रही है। जब शराब महंगी होगी तो ग्राहक बार आना बंद कर देंगे। इससे न केवल व्यापार घटेगा, बल्कि लाखों मजदूरों की नौकरियां भी खतरे में पड़ जाएंगी।”
शराब की नई कीमतें भी लोगों को चौंका रही हैं। अब महाराष्ट्र में देसी शराब की 180ml बोतल 60-70 रुपये की जगह 80 रुपये में मिल रही है। राज्य में बनी IMFL शराब 148 रुपये, जबकि प्रीमियम विदेशी शराब 360 रुपये तक पहुंच गई है, जो पहले 210 रुपये में उपलब्ध थी।
बढ़े हुए शुल्क के कारण महाराष्ट्र देश का सबसे महंगा राज्य बन सकता है जहां बार और होटल लाइसेंस लेना और शराब बेचना मुश्किल हो जाएगा। होटल और बार मालिकों का कहना है कि इसका सीधा असर पर्यटन उद्योग पर पड़ेगा, जिससे देशभर से आने वाले पर्यटक भी प्रभावित होंगे।
बता दें कि राज्य के एक्साइज विभाग की जिम्मेदारी डिप्टी सीएम अजित पवार के पास है। वर्ष 2023-24 में राज्य सरकार ने शराब से 23,250 करोड़ रुपये का राजस्व कमाया था और अब इस नई टैक्स नीति से सरकार को करीब 14,000 करोड़ रुपये अतिरिक्त कमाई की उम्मीद है।
हालांकि, शराब व्यवसाय से जुड़े लोगों की मानें तो ये कदम सरकार की तिजोरी भरने के लिए उठाया गया है, लेकिन इसकी कीमत उन्हें और आम ग्राहकों को चुकानी पड़ेगी। सवाल यह है कि क्या सरकार व्यापारियों की आवाज सुनेगी, या ये हड़ताल एक लंबे आंदोलन की शुरुआत साबित होगी?