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CJI गवई पर जूता फेंकने की कोशिश, वकील राकेश किशोर की रजिस्ट्रेशन और एंट्री पास निरस्त

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नई दिल्ली, 9 अक्टूबर 2025। सुप्रीम कोर्ट में एक अभूतपूर्व घटना ने कानूनी जगत को हिलाकर रख दिया है। 71 वर्षीय वकील राकेश किशोर ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) बी.आर. गवई पर जूता फेंकने की कोशिश की, जिसके बाद अदालत ने उनके खिलाफ कड़ा एक्शन ले लिया। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) ने किशोर की अस्थायी सदस्यता रद्द कर दी, जबकि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने उन्हें पूरे देश में वकालत करने से निलंबित कर दिया। साथ ही, उनकी सुप्रीम कोर्ट में एंट्री पास भी निरस्त हो गया है।

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यह कार्रवाई 6 अक्टूबर को हुई घटना के तुरंत बाद की गई, जो अदालत की गरिमा पर सीधा हमला मानी जा रही है। घटना उस समय घटी जब CJI गवई एक मामले की सुनवाई कर रहे थे। किशोर ने अचानक बेंच की ओर बढ़ते हुए एक स्पोर्ट्स जूता उछालने का प्रयास किया, लेकिन सुरक्षा कर्मियों ने उन्हें तुरंत पकड़ लिया। यह हादसा CJI गवई की एक टिप्पणी से जुड़ा था, जिसमें उन्होंने हिंदू देवताओं के बारे में कुछ कहा था, जिसे किशोर ने अपमानजनक माना।

किशोर ने बाद में दावा किया कि वह CJI की ‘देवता टिप्पणी’ से आहत थे, जो हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाली थी। हालांकि, CJI गवई ने इस घटना को ‘भूला हुआ अध्याय’ बताते हुए कहा कि वे इससे स्तब्ध तो हुए, लेकिन अब आगे बढ़ चुके हैं। SCBA ने तुरंत बैठक बुलाई और किशोर की सदस्यता समाप्त करने का फैसला लिया। एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि यह व्यवहार अदालत की गरिमा के अनुरूप नहीं है।

BCI ने इसे ‘अनुशासनहीनता’ करार देते हुए निलंबन आदेश जारी किया, और आगे अनुशासनात्मक कार्रवाई की घोषणा की। बेंगलुरु पुलिस ने भी किशोर के खिलाफ FIR दर्ज की, जो अब दिल्ली पुलिस को ट्रांसफर हो गई है। किशोर पर IPC की धाराओं के तहत मुकदमा चलेगा। यह घटना सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में दुर्लभ है। पहले भी वकीलों के बीच तनाव देखा गया है, लेकिन शारीरिक हमले की कोशिश नई है।

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह वकालत पेशे की छवि को धूमिल करता है। SCBA ने सभी सदस्यों को सलाह दी है कि वे भावनाओं में बहकर अनुशासन भंग न करें। CJI गवई ने कहा कि अदालतें लोकतंत्र के मंदिर हैं, जहां शांति और सम्मान सर्वोपरि है।इस कार्रवाई से वकील समुदाय में बहस छिड़ गई है। कुछ इसे सख्त कदम बता रहे हैं, तो कुछ कह रहे हैं कि BCI को और सख्ती दिखानी चाहिए। कुल मिलाकर, यह घटना न्याय व्यवस्था की मजबूती को रेखांकित करती है।

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