जम्मू कश्मीर, 27 सितंबर 2025। Ladakh Violence: लद्दाख में राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची की मांग को लेकर चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन ने अचानक हिंसक रूप धारण कर लिया, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 70 से अधिक घायल हुए। इस घटना के दो दिन बाद, 26 सितंबर 2025 को जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत गिरफ्तार कर लिया गया। लद्दाख के डीजीपी एस.डी. सिंह जामवाल ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में पूरी घटना का खुलासा किया, जिसमें वांगचुक पर हिंसा भड़काने का आरोप लगाया गया।
इसे भी पढ़ें- Ladakh Protests: सोनम वांगचुक के समर्थन में अरविंद केजरीवाल का खुला ऐलान, केंद्र पर लगाए गंभीर आरोप
उन्होंने कहा कि वांगचुक जैसे “तथाकथित पर्यावरण कार्यकर्ताओं” ने केंद्र के साथ चल रही वार्ताओं को पटरी से उतारने की कोशिश की। हिंसा की शुरुआत 24 सितंबर को हुई। वांगचुक ने 10 सितंबर से राज्य का दर्जा देने, छठी अनुसूची में शामिल करने और स्थानीय नौकरियों-भूमि की सुरक्षा की मांग पर 15 दिनों का अनशन शुरू किया था। 24 सितंबर को दो अन्य अनशनकर्ताओं 72 वर्षीय त्सेरिंग अंगचुक और 60 वर्षीय ताशी डोलमा की हालत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया। इससे युवाओं में आक्रोश फैल गया। लद्दाख अपेक्स बॉडी (LAB) और कारगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (KDA) ने बंद का आह्वान किया। सुबह मार्टर्स ग्राउंड पर हजारों लोग इकट्ठा हुए, लेकिन जल्द ही प्रदर्शन हिंसक हो गया। भीड़ ने भाजपा कार्यालय, LAB कार्यालय और सीआरपीएफ वाहनों पर हमला किया।
डीजीपी जामवाल ने बताया कि 5-6 हजार लोगों ने सरकारी भवनों पर पथराव किया, जिसमें 80 सुरक्षाकर्मी घायल हुए। एक सीआरपीएफ जवान की हालत गंभीर है। पुलिस ने आंसू गैस, लाठीचार्ज और गोलीबारी की, जिसमें चार नागरिक मारे गए। डीजीपी का वाहन भी निशाना बना, जिसमें उन्हें मामूली चोटें आईं। डीजीपी जामवाल ने वांगचुक को मुख्य आरोपी ठहराते हुए कहा कि उनके “उत्तेजक भाषणों” ने हिंसा भड़काई। वांगचुक ने अपने भाषणों में अरब स्प्रिंग, नेपाल के जेन-जेड प्रदर्शनों और श्रीलंका की घटनाओं का जिक्र किया, जो युवाओं को भड़काने वाले थे।
उन्होंने आरोप लगाया कि वांगचुक और कुछ कांग्रेस सदस्यों ने लोगों को उकसाया। इसके अलावा, विदेशी फंडिंग (FCRA उल्लंघन) और पाकिस्तान से कथित लिंक की जांच चल रही है। डीजीपी ने खुलासा किया कि एक पाकिस्तानी खुफिया एजेंट को गिरफ्तार किया गया, जो वांगचुक के प्रदर्शनों के वीडियो सीमा पार भेजता था। वांगचुक ने पाकिस्तान के डॉन इवेंट्स में हिस्सा लिया और बांग्लादेश का दौरा किया। जांच में संदिग्ध फंडिंग ट्रेल्स मिले हैं। वांगचुक ने गिरफ्तारी से पहले कहा कि सरकार उन्हें “बलि का बकरा” बना रही है। उन्होंने हिंसा से दूरी बनाई और युवाओं से शांति की अपील की।
LAB ने दिल्ली में 29 सितंबर को प्रतिनिधिमंडल भेजने की योजना बनाई है। कांग्रेस ने गिरफ्तारी की निंदा की और न्यायिक जांच की मांग की। लेह में कर्फ्यू चौथे दिन भी जारी रहा, इंटरनेट सस्पेंड है। डीजीपी ने कहा कि 44 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिसमें मुख्य साजिशकर्ता शामिल हैं। यह घटना लद्दाख के शांतिपूर्ण इतिहास में अभूतपूर्व है। केंद्र सरकार LAB-KDA के साथ वार्ता जारी रखने को तैयार है, लेकिन हिंसा ने सबकुछ जटिल कर दिया। वांगचुक को जोधपुर जेल स्थानांतरित कर दिया गया। यह आंदोलन अब नई दिशा ले सकता है।