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किंग ऑफ गुड टाइम्स या फरार धोखेबाज़? माल्या के दावों की हकीकत

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10 जुलाई।विजय माल्या के दावों की पड़ताल – सच्चाई और झूठ का खेललंदन से लेकर भारत तक, विजय माल्या एक बार फिर सुर्खियों में हैं। कभी ‘किंग ऑफ गुड टाइम्स’ के नाम से मशहूर, किंगफिशर एयरलाइंस के संस्थापक और यूनाइटेड ब्रुअरीज ग्रुप के पूर्व चेयरमैन विजय माल्या ने हाल ही में यूट्यूबर राज शमानी के साथ चार घंटे के पॉडकास्ट में अपनी बेगुनाही का दावा किया। माल्या ने कहा कि उन्होंने “एक रुपये का कर्ज़ नहीं लिया” और भारतीय बैंकों ने उनसे 14,000 करोड़ रुपये की वसूली की, जो उनके द्वारा लिए गए 6,203.35 करोड़ रुपये के कर्ज़ से दोगुना है। लेकिन क्या माल्या के ये दावे सच हैं, या यह सिर्फ़ एक और छवि सुधारने की कोशिश है? आइए, उनके दावों की गहराई में उतरकर तथ्यों की पड़ताल करते हैं।

माल्या का दावा: “मैंने कोई कर्ज़ नहीं लिया”माल्या ने पॉडकास्ट में दावा किया कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से कोई कर्ज़ नहीं लिया, बल्कि किंगफिशर एयरलाइंस ने 6,203.35 करोड़ रुपये का कर्ज़ लिया था, जिसमें वे केवल गारंटर थे। लेकिन यह दावा आधा-अधूरा है। डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (DRT) के 2017 के आदेश के अनुसार, किंगफिशर एयरलाइंस ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम से 9,000 करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज़ लिया था, जिसमें ब्याज और अन्य शुल्क शामिल थे। माल्या, यूनाइटेड ब्रुअरीज होल्डिंग्स (UBHL) और किंगफिशर एयरलाइंस के अन्य संस्थाओं के साथ, इस कर्ज़ के लिए “संयुक्त और व्यक्तिगत रूप से ज़िम्मेदार” ठहराए गए।

इसके अलावा, प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पाया कि कर्ज़ की राशि में से 3,500 करोड़ रुपये को किंगफिशर के खातों से विदेशी खातों और शेल कंपनियों में डायवर्ट किया गया, जिसमें माल्या की निजी संपत्तियों और फॉर्मूला वन टीम फोर्स इंडिया के लिए फंड शामिल थे। माल्या ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि “मनी लॉन्ड्रिंग का मतलब चोरी नहीं है,” लेकिन ED और सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इनवेस्टिगेशन (CBI) के दस्तावेज़ बताते हैं कि कर्ज़ का दुरुपयोग हुआ।

14,000 करोड़ की वसूली का सचमाल्या का दूसरा बड़ा दावा है कि बैंकों ने उनसे 14,131.6 करोड़ रुपये की वसूली की, जो उनके कर्ज़ से दोगुना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 17 दिसंबर 2024 को लोकसभा में बताया कि ED ने माल्या की संपत्तियों को जब्त कर 14,131.6 करोड़ रुपये की वसूली की और इसे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को सौंप दिया। लेकिन यह राशि केवल मूल कर्ज़ नहीं, बल्कि ब्याज, पेनल ब्याज, कानूनी खर्च और विदेशी क्षेत्रों में संपत्ति बिक्री से जुड़े शुल्कों को भी शामिल करती है।

सुप्रीम कोर्ट के वकील तुषार कुमार के अनुसार, “फरार आर्थिक अपराधी (Fugitive Economic Offender) के मामले में, कानून अधिकारियों को मूल कर्ज़ से असंबंधित संपत्तियों को भी जब्त करने की अनुमति देता है।” इसका मतलब है कि माल्या की संपत्तियों की वसूली कर्ज़ की राशि से अधिक हो सकती है, लेकिन यह कानूनी रूप से जायज़ है। माल्या का यह दावा कि उन्हें “ज़्यादा वसूली” का शिकार बनाया गया, तकनीकी रूप से भ्रामक है, क्योंकि वे ब्याज और अन्य शुल्कों को अपने गणित से बाहर रखते हैं।
किंगफिशर का पतन: माल्या की गलती या हालात का शिकार?माल्या ने किंगफिशर एयरलाइंस के पतन के लिए उच्च ईंधन लागत, वित्तीय संकट और विदेशी निवेश की कमी को ज़िम्मेदार ठहराया। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि यह पूरी कहानी नहीं है।

‘द विजय माल्या स्टोरी’ के लेखक और पत्रकार के. गिरिप्रकाश ने लिखा कि माल्या की रणनीतिक गलतियों, जैसे एयर डेक्कन का अधिग्रहण और दोहरी एयरलाइन मॉडल (लो-कॉस्ट और प्रीमियम) को चलाने की कोशिश, ने किंगफिशर को डुबो दिया।
पैसिफिक बिजनेस रिव्यू इंटरनेशनल में प्रकाशित एक शोध पत्र में स्वीटी गुप्ता और शिव गुप्ता ने किंगफिशर के पतन के छह प्रमुख कारणों की पहचान की, जिनमें खराब प्रबंधन, गलत अधिग्रहण और वित्तीय कुप्रबंधन शामिल हैं। माल्या ने इन आलोचनाओं को खारिज करते हुए कहा कि उन्होंने एयरलाइन को बचाने के लिए यूनाइटेड ब्रुअरीज के 3,000 करोड़ रुपये डाले, लेकिन यह दावा भी सवालों के घेरे में है, क्योंकि ED का कहना है कि यह राशि कर्ज़ के दुरुपयोग का हिस्सा थी।

“मैं फरार हूँ, लेकिन चोर नहीं”माल्या ने पॉडकास्ट में कहा, “मुझे फरार कहो, लेकिन चोर कहाँ से आया? चोरी कहाँ है?” उनका दावा है कि वे 2016 में भारत से “पहले से तयशुदा यात्रा” पर गए और वापस नहीं लौटे, क्योंकि उन्हें “निष्पक्ष सुनवाई” की उम्मीद नहीं थी। लेकिन तथ्य बताते हैं कि माल्या ने मार्च 2016 में भारत छोड़ने से पहले तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की थी, जिसमें उन्होंने लंदन जाने की बात कही।

CBI ने 2015 में माल्या के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर जारी किया था, लेकिन इसे बाद में “हिरासत” से “सूचना” में बदल दिया गया, जिसके कारण माल्या बिना रोक-टोक देश छोड़ सके। माल्या का कहना है कि उन्हें इस सर्कुलर की जानकारी नहीं थी, लेकिन CBI सूत्रों का कहना है कि माल्या जांच में सहयोग कर रहे थे, इसलिए उन्हें रोका नहीं गया। यह सवाल आज भी अनुत्तरित है कि माल्या को देश छोड़ने की अनुमति कैसे मिली।

कानूनी लड़ाई और भविष्यमाल्या 2016 से लंदन में रह रहे हैं और भारत प्रत्यर्पण की कोशिश कर रहा है। 2018 में यूके की एक अदालत ने उनके प्रत्यर्पण को मंजूरी दी थी, लेकिन कानूनी अड़चनों ने इसे रोक रखा है। माल्या ने हाल ही में कर्नाटक हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की, जिसमें उन्होंने बैंकों से वसूली गई राशि का हिसाब माँगा। लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि उनकी “फरार” स्थिति और गैर-जमानती वारंट उनकी राह में रोड़ा बन सकते हैं।

सच्चाई का आधा-अधूरा चेहराविजय माल्या की कहानी एक चमकदार उद्यमी से फरार आर्थिक अपराधी तक की यात्रा है। उनके पॉडकास्ट ने लाखों लोगों का ध्यान खींचा, लेकिन उनके दावे तथ्यों की कसौटी पर खरे नहीं उतरते। माल्या अपनी छवि को एक “गलत समझे गए उद्यमी” के रूप में पेश करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कानूनी दस्तावेज़, कोर्ट के आदेश और जांच एजेंसियों के निष्कर्ष उनके खिलाफ हैं। यह कहानी न केवल माल्या की, बल्कि भारत की बैंकिंग प्रणाली और कानूनी ढाँचे की खामियों को भी उजागर करती है।

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