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Kashi-Mathura Dispute: भागवत के बयान के समर्थन में आए मौलाना महमूद मदनी, कहा- बातचीत से हल हो काशी-मथुरा विवाद

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Kashi-Mathura Dispute

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नई दिल्ली, 6 सितंबर 2025। Kashi-Mathura Dispute: जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना महमूद मदनी ने काशी, मथुरा और ज्ञानवापी जैसे संवेदनशील धार्मिक मुद्दों पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयानों का समर्थन करते हुए बातचीत की वकालत की है। उन्होंने कहा कि उनका संगठन पहले से ही समुदायों के बीच मतभेद कम करने और संवाद को बढ़ावा देने के पक्ष में है।

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मौलाना मदनी ने एक साक्षात्कार में कहा कि उनके संगठन ने पहले ही इस दिशा में एक प्रस्ताव पारित किया है, जिसमें दोनों समुदायों के बीच सहभागिता पर जोर दिया गया है। मदनी ने कहा, “हमारे बीच कई मतभेद हैं, लेकिन हमें इन्हें कम करने की जरूरत है। हम हर तरह की बातचीत का समर्थन करते हैं। हाल ही में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने काशी, मथुरा और ज्ञानवापी को लेकर जो बयान दिए, वे सराहनीय हैं।

मुस्लिम समुदाय तक पहुंचने के उनके प्रयासों की प्रशंसा होनी चाहिए।” उन्होंने यह भी कहा कि संवाद ही इन जटिल मुद्दों का समाधान निकालने का सबसे प्रभावी रास्ता है। मोहन भागवत ने हाल ही में एक बयान में कहा था कि राम मंदिर आंदोलन ही एकमात्र ऐसा आंदोलन था, जिसमें RSS ने आधिकारिक तौर पर हिस्सा लिया था। हालांकि, उन्होंने अपने स्वयंसेवकों को काशी और मथुरा जैसे मुद्दों पर व्यक्तिगत स्तर पर समर्थन देने की स्वतंत्रता दी है।

भागवत ने यह भी जोड़ा कि इस्लाम भारत में स्थायी रूप से मौजूद है और सभी भारतीयों को जनसंख्या संतुलन के लिए तीन बच्चे पैदा करने चाहिए। इसके साथ ही, उन्होंने धर्मांतरण और अवैध प्रवास को जनसांख्यिकीय असंतुलन का कारण बताया। मौलाना मदनी ने भागवत के इस रुख को सकारात्मक माना और कहा कि यह दोनों समुदायों के बीच संवाद का रास्ता खोल सकता है। उन्होंने हाल के वर्षों में राजनीतिक भाषा और विमर्श के स्तर में आई गिरावट की भी आलोचना की।

मदनी ने कहा कि नेताओं को अपनी भाषा और व्यवहार में संयम बरतना चाहिए, ताकि सामाजिक सौहार्द बना रहे। भाजपा नेताओं ने भी मदनी के बयान का स्वागत किया है। भाजपा नेता शाहनवाज हुसैन ने कहा, “मदनी का बयान देर से आया, लेकिन बेहतर देर से, कभी न आने से।” वहीं, भाजपा नेता आरपी सिंह ने काशी और मथुरा को भारतीय संस्कृति का धरोहर बताया और कहा कि जो भी भारत की संस्कृति में विश्वास रखता है, वह भागवत के बयान का समर्थन करेगा।

यह बयान भारतीय राजनीति और समाज में एक नई बहस को जन्म दे सकता है। काशी और मथुरा के मुद्दे लंबे समय से धार्मिक और राजनीतिक विवाद का केंद्र रहे हैं। मदनी और भागवत का संवाद का रुख सामाजिक सौहार्द और सहमति की दिशा में एक सकारात्मक कदम माना जा रहा है।

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