नई दिल्ली, 12 सितंबर 2025। ISIS Terrorists: भारत में आतंकवाद की बढ़ती चुनौतियों के बीच एक नया खुलासा सामने आया है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर खतरे का संकेत देता है। केंद्रीय खुफिया एजेंसियों और पुलिस की संयुक्त कार्रवाई में गिरफ्तार पांच संदिग्ध ISIS सदस्यों की चैट से पता चला है कि वे दक्षिणपंथी नेताओं को निशाना बनाने की साजिश रच रहे थे। यह मॉड्यूल न केवल बम बनाने और हथियार जुटाने में लगा था, बल्कि युवाओं को भर्ती कर संगठन को मजबूत करने का काम भी कर रहा था। सिग्नल ऐप पर हुई इन बातचीतों ने खुलासा किया कि आतंकी ‘खिलाफत’ (इस्लामी राज्य) स्थापित करने के लिए भारत में बड़े हमलों की योजना बना रहे थे।
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यह घटना ISIS के भारत में स्लीपर सेल की सक्रियता को उजागर करती है, जहां पाकिस्तान से निर्देशित हैंडलर इनका संचालन कर रहे हैं।गिरफ्तारियां विभिन्न राज्यों में फैली संयुक्त ऑपरेशन में हुईं। सूत्रों के अनुसार, ये पांचों आरोपी रासायनिक हथियारों के विशेषज्ञ थे और आईईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) बनाने में माहिर। वे सुसाइड वेस्ट और सुसाइड बॉम्बर्स तैयार कर रहे थे, ताकि लक्षित हमलों को अंजाम दिया जा सके। चैट में साफ उल्लेख था कि दक्षिणपंथी नेताओं को टारगेट किया जाएगा, क्योंकि वे ISIS के विचारधारा के खिलाफ माने जाते हैं।
एक आरोपी, जिसका कोड नेम ‘गजवा’ था, जनवरी 2025 में शहर पहुंचा था और छात्र बनकर छिपा हुआ था। वह अंग्रेजी में पोस्ट ग्रेजुएट था, लेकिन आतंकी गतिविधियों में लिप्त हो गया। एक अन्य आरोपी को आईईडी बनाते समय चोट लगी थी, जो उनकी खतरनाक गतिविधियों का प्रमाण है।स्लीपर मॉड्यूल की कार्यप्रणालीयह ISIS का स्लीपर मॉड्यूल था, जो गुप्त रूप से काम कर रहा था। आरोपी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म सिग्नल पर संपर्क में थे, जहां वे बम बनाने की विधियां, हथियार खरीदने के स्रोत और युवाओं को कट्टर बनाने की रणनीति पर चर्चा करते थे। उनका उद्देश्य भारत में ‘खिलाफत’ मॉडल चलाना था, जिसमें मुस्लिम युवाओं को भर्ती कर सशस्त्र जिहाद के लिए तैयार किया जाता।
पाकिस्तान स्थित हैंडलर इनका मार्गदर्शन कर रहे थे, जो फंडिंग और ट्रेनिंग का इंतजाम करते। चैट से पता चला कि वे न केवल नेताओं, बल्कि प्रमुख मीडिया संस्थानों को भी निशाना बनाने की सोच रहे थे, ताकि सामाजिक अशांति फैलाई जा सके। एनआईए (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) ने इनके डिजिटल डिवाइसों से दस्तावेज बरामद किए, जिसमें दक्षिणपंथी नेताओं के नाम और हमले की योजनाएं शामिल थीं।राष्ट्रीय सुरक्षा पर खतरायह खुलासा भारत की आंतरिक सुरक्षा के लिए चेतावनी है। ISIS ने हाल के वर्षों में भारत में अपनी पैठ बढ़ाई है, खासकर सोशल मीडिया के जरिए। दक्षिणपंथी नेताओं को टारगेट करने का मकसद धार्मिक ध्रुवीकरण बढ़ाना था, जो देश की एकता को कमजोर कर सकता था।
गिरफ्तारियों के बाद एजेंसियां पूरे नेटवर्क की जांच में जुटी हैं, जिसमें जम्मू-कश्मीर और कर्नाटक जैसे राज्यों के लिंक शामिल हैं। एक आरोपी डीप्ति मारला, जो मंगलुरु की रहने वाली हैं, कथित तौर पर रैडिकलाइजेशन की मास्टरमाइंड थीं। वे आईएस-खोरासान से जुड़ी थीं और जेके आधारित हैंडलर्स के संपर्क में। इनकी गिरफ्तारी से मॉड्यूल का बड़ा हिस्सा ध्वस्त हो गया, लेकिन खतरा अभी बरकरार है।एजेंसियों की सतर्कताकेंद्रीय एजेंसियों ने इनपुट्स के आधार पर त्वरित कार्रवाई की, जो खुफिया तंत्र की मजबूती दिखाती है।
एनआईए, राज्य पुलिस और आईबी ने मिलकर ऑपरेशन चलाया। चैट एनालिसिस से साफ हुआ कि आतंकी फंडिंग भी जुटा रहे थे, जो जेके में ISIS इकाइयों को भेजी जा रही थी। सरकार ने आतंकवाद विरोधी नीतियों को और सख्त करने का संकेत दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि साइबर सतर्कता बढ़ानी होगी, क्योंकि सिग्नल जैसे एन्क्रिप्टेड ऐप्स आतंकियों का पसंदीदा माध्यम बन चुके हैं। यह घटना याद दिलाती है कि भारत में धार्मिक कट्टरता का जाल कितना फैला हुआ है।समाज पर प्रभावइस साजिश से समाज में भय का माहौल है, लेकिन एकजुटता की जरूरत है।
दक्षिणपंथी नेताओं ने इसे सांप्रदायिक साजिश करार दिया, जबकि सुरक्षा विशेषज्ञों ने सभी को सतर्क रहने की सलाह दी। ISIS की वैश्विक पहुंच भारत को निशाना बना रही है, लेकिन मजबूत कानून और खुफिया तंत्र से इसे रोका जा सकता है। यह मामला पितृ पक्ष जैसे शांतिपूर्ण समय में भी आतंक की छाया को उजागर करता है। कुल मिलाकर, यह खुलासा राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर देता है। (शब्द संख्या:
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