लखनऊ, 16 अक्टूबर 2025। Iqra Hasan: उत्तर प्रदेश की कैराना लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी (सपा) की सांसद इकरा हसन ने एक बड़े नेता द्वारा उनके खिलाफ इस्तेमाल की गई अभद्र भाषा पर गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने दावा किया कि इलाके के ही एक प्रभावशाली नेता के इशारे पर उनके खिलाफ साजिश रची जा रही है। उन्हें न केवल ‘मुल्ली’ और ‘आतंकवादी’ जैसे अपमानजनक शब्दों से नवाजा गया, बल्कि उनके परिवार और महिलाओं के चरित्र पर भी कीचड़ उछाला गया।
इस बयान ने राजनीतिक हलकों में हड़कंप मचा दिया है, जहां सियासी पारा पहले से ही गरम था। यह मामला हाल ही में कुराली-छापुर गांव के शिव लक्ष्मी मंदिर में हुई तोड़फोड़ की घटना से जुड़ा है। सांसद इकरा हसन मंदिर पहुंचीं, जहां उन्होंने इस कृत्य की कड़ी निंदा की। भारी मन से लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “मंदिर या किसी भी धार्मिक स्थल को नुकसान पहुंचाना बिल्कुल अस्वीकार्य है। यह हमारी आस्था पर सीधा प्रहार है।” उन्होंने घटना को समाज के लिए शर्मनाक बताते हुए अपील की कि ऐसी वारदातें दोबारा न हों।
इकरा हसन का गला भावुक हो गया जब उन्होंने व्यक्तिगत हमलों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि चुनाव जीतने पर उन्हें सर्वधर्म और सर्वजाति के लोगों का समर्थन मिला था, जो उनके लिए सबसे बड़ी उपलब्धि थी। लेकिन अब लगातार उनके चरित्र, धर्म और बिरादरी पर सवाल उठाए जा रहे हैं। “मेरे इलाके की बेटियां जो आगे बढ़ना चाहती हैं, उनके कदम डगमगा जाएंगे अगर ऐसी भाषा का चलन बनेगा,” उन्होंने कहा। सांसद ने जोर देकर कहा कि उन्होंने कभी धर्म-जाति की राजनीति नहीं की। उनके लिए सभी एक समान हैं।
अपने परिवार की राजनीतिक पृष्ठभूमि का हवाला देते हुए इकरा ने कहा कि आज तक किसी ने उनके परिवार पर व्यक्तिगत टिप्पणी नहीं की। लेकिन अब राजनीति का स्तर इतना गिर गया है कि एक महिला सांसद को गालियां सुननी पड़ रही हैं। “अगर मेरे काम पसंद न हों तो वोट न दें, लेकिन क्या एक बेटी को हौसला तोड़ने का हक है? क्या मैं आपके समाज की बेटी नहीं हूं?” उनका यह सवाल लोगों के दिल को छू गया। उन्होंने धर्म परिवर्तन के आरोपों पर भी पलटवार किया। “मेरा खून मेरी बिरादरी का हिस्सा है।
इसे निकालकर देख लो, लेकिन मेरे सिर को मत झुकाओ।” इकरा ने अपील की कि उनके खिलाफ ऐसी भाषा का इस्तेमाल न हो। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम विवाद पैदा करने वालों पर तंज कसा, “जिन्हें महापुरुष कहा जा रहा है, वे समाज तोड़ने वाले कैसे महापुरुष हो सकते हैं? मैं मुसलमानों की बात आसानी से कर सकती हूं, लेकिन मैं ऐसा नहीं करूंगी। सब मेरे अपने हैं।”
यह बयान न केवल इकरा के व्यक्तिगत दर्द को उजागर करता है, बल्कि महिलाओं और अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ते हमलों पर सवाल भी खड़े करता है। सपा ने इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाने का ऐलान किया है, जबकि विपक्ष चुप्पी साधे हुए है। क्या यह राजनीतिक साजिश का हिस्सा है या व्यक्तिगत दुश्मनी? सवाल वही हैं, जवाब इंतजार में। इकरा का यह संघर्ष नारी शक्ति और सामाजिक एकता का प्रतीक बन गया है।
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