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India’s GDP Growth: अमेरिकी टैरिफ की चुनौतियों के बावजूद 7% तक मजबूत उछाल, CEA का सकारात्मक अनुमान

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India's GDP Growth

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नई दिल्ली, 29 अक्टूबर 2025। India’s GDP Growth: भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक आंधियों के बीच भी अडिग खड़ी है। मुख्य आर्थिक सलाहकार (CEA) वी. अनंत नागेश्वरन ने भारत समुद्री सप्ताह (IMW) के दौरान यह भरोसा जताया कि अमेरिकी हाई टैरिफ का चालू वित्त वर्ष पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ेगा। उल्टा, अर्थव्यवस्था नई रफ्तार पकड़ते हुए और मजबूती से आगे बढ़ेगी। उनका अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025-26 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) आधार वर्ष 2011-12 के अनुसार  7% तक पहुंच सकता है। यह आशावादी पूर्वानुमान वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत की आर्थिक लचीलापन को रेखांकित करता है।

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नागेश्वरन, जो शिक्षाविद से नीति सलाहकार बने हैं, ने कहा कि हाल ही में मूडीज, S&P और फिच जैसी तीनों प्रमुख वैश्विक रेटिंग एजेंसियों ने भारत की क्रेडिट रेटिंग आउटलुक को पॉजिटिव कर दिया है। यदि देश मौजूदा आर्थिक दिशा पर कायम रहा, तो जल्द ही ‘A’ रेटिंग कैटेगरी में प्रवेश कर सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का जुझारूपन, सरकार की प्रगतिशील नीतियों और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के संतुलित कदमों ने इसे एक “आरामदायक स्थिति” में बनाए रखा है।

वैश्विक चुनौतियों जैसे टैरिफ युद्धों के बावजूद, भारत की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष (FY 2024-25) में लगभग 7% पर स्थिर है। इसकी मुख्य वजहें आयकर में राहत, GST संरचना में सुधार और अन्य समयबद्ध नीतिगत उपाय हैं, जिन्होंने मांग को बढ़ावा दिया और निवेश को प्रोत्साहित किया। नागेश्वरन ने फरवरी में 6.3% का अनुमान लगाया था, जिसे बाद में अमेरिकी शुल्क प्रभाव से 6% तक घटाया गया, लेकिन अब वे मानते हैं कि इन नीतियों ने अर्थव्यवस्था को पटरी पर ला दिया है।

उन्होंने वैश्विक अनिश्चितताओं को स्वीकार करते हुए कहा कि भारत की मजबूत नींव इसे अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं से अलग करती है। बैंक ऋण वृद्धि में सुस्ती पर उठे सवालों का जवाब देते हुए CEA ने व्यापक नजरिया अपनाया। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की सेहत को सिर्फ बैंक लोन से नहीं मापा जा सकता, कुल पूंजी प्रवाह (total resource mobilisation) पर ध्यान देना जरूरी है। इसमें गैर-बैंक ऋणदाता, वाणिज्यिक पत्र, डिपॉजिट सर्टिफिकेट और इक्विटी मार्केट शामिल हैं।

RBI के आंकड़ों का हवाला देते हुए नागेश्वरन ने बताया कि पिछले छह वर्षों में कुल संसाधन जुटाने की वार्षिक वृद्धि 28.5% रही है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि पूंजी बाजार मजबूत हो रहा है, जो आर्थिक विस्तार का आधार बनेगा। IMW के इसी सत्र में अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र प्राधिकरण (IFSCA) के चेयरमैन के. राजारामन ने शिपिंग, पोर्ट्स और मरीन इंडस्ट्री की चुनौतियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि अगले कुछ वर्षों में इस क्षेत्र को 300 अरब डॉलर से अधिक की फंडिंग की आवश्यकता होगी। गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (GIFT City) इसकी पूर्ति के लिए आदर्श प्लेटफॉर्म साबित हो सकता है।

GIFT City वैश्विक निवेशकों को आकर्षित कर भारत को मरीन इकोनॉमी का हब बनाने में मदद करेगा। कुल मिलाकर, नागेश्वरन का बयान भारत की आर्थिक यात्रा के प्रति आशावाद जगाता है। वैश्विक दबावों के बीच भी नीतिगत साहस और जुझारूपन से भारत न केवल स्थिर रहेगा, बल्कि तेजी से प्रगति करेगा। यह पूर्वानुमान निवेशकों और नीति-निर्माताओं के लिए उत्साहजनक संदेश है, जो भारत को वैश्विक अर्थव्यवस्था का इंजन बनाने की दिशा में एक कदम आगे ले जाता है।

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