भारत की समुद्री ताक़त को और मज़बूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) अब और भी ज़्यादा आधुनिक युद्धपोत और पनडुब्बियां बनाने के लिए अपनी निर्माण क्षमता बढ़ा रहा है।
जहां पहले पानी था, अब बनेंगे युद्धपोत
MDL ने अपने मौजूदा परिसर के पास 10 एकड़ समुद्री क्षेत्र को हासिल किया है, जिसे भरकर अब वहां युद्धपोत बनाने की योजना है। इससे पहले भी कंपनी ने मुंबई पोर्ट अथॉरिटी से 15 एकड़ जमीन 29 साल की लीज़ पर ली थी, जहां काम चल रहा है।
4000 से 5000 करोड़ तक का होगा निवेश
रक्षा सूत्रों के मुताबिक, इस पूरे विस्तार प्रोजेक्ट में करीब 4000 से 5000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। यहां दो नए बेसिन बनाए जाएंगे, जिनमें बड़े जहाज़ और पनडुब्बियां एक साथ बनाई और मरम्मत की जा सकेंगी।
MDL की क्षमता होगी दोगुनी
इस विस्तार के बाद MDL की निर्माण क्षमता 40,000 टन से बढ़कर 80,000 टन हो जाएगी। न्हावा शेवा पोर्ट पर पहले से मिली 37 एकड़ जमीन के साथ यह क्षमता 2 लाख टन डेडवेट टन (DWT) तक पहुंचने का लक्ष्य है।
एक साथ बन सकेंगे 11 पनडुब्बियां और 10 युद्धपोत
MDL अभी एक साथ 11 पनडुब्बियां और 10 युद्धपोत बनाने की क्षमता रखता है। भविष्य में नौसेना में और भी आधुनिक और बड़े प्लेटफॉर्म शामिल होने हैं, जिनके लिए यह विस्तार बेहद जरूरी है।
1.06 लाख करोड़ के दो बड़े प्रोजेक्ट्स पर भी काम जारी
MDL इस समय दो बड़े पनडुब्बी प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहा है, जिनकी कुल लागत 1.06 लाख करोड़ रुपये से ज़्यादा है। ये प्रोजेक्ट भारतीय नौसेना को समुद्र में और ताक़तवर बनाएंगे।
चीन से मुकाबले के लिए भारत कर रहा तैयारी
फिलहाल जहाज़ बनाने के मामले में चीन भारत से काफी आगे है। चीन के पास दुनिया का सबसे बड़ा युद्धपोत बेड़ा है — 370 से ज़्यादा जहाज़। भारत अब आत्मनिर्भरता की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ा रहा है, ताकि वह सामरिक रूप से किसी से पीछे न रहे।
सिर्फ नए जहाज़ नहीं, मरम्मत भी होगी तेज़
नए शिपयार्ड इंफ्रास्ट्रक्चर में न सिर्फ नए युद्धपोत और पनडुब्बियां बनेंगी, बल्कि पुराने जहाजों की मरम्मत और अपग्रेडेशन का काम भी पहले से तेज़ और बेहतर तरीके से हो सकेगा।
250 साल पुराना भरोसा, 800 से ज़्यादा जहाज बनाए
1774 में शुरू हुआ MDL अब तक 800 से ज़्यादा जहाज बना चुका है, जिनमें 31 बड़े युद्धपोत और 8 पनडुब्बियां शामिल हैं। कंपनी ने 214 जहाज विदेशों को भी सप्लाई किए हैं। पिछले साल कंपनी ने अपनी 250वीं वर्षगांठ भी मनाई थी।