नई दिल्ली, 5 सितंबर 2025। Russia–Ukraine War: भारत और यूरोपीय संघ (ईयू) ने वर्ष 2025 के अंत तक अपने बहुप्रतीक्षित मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) को अंतिम रूप देने की दिशा में ठोस प्रतिबद्धता जताई है। गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा के साथ एक संयुक्त टेलीफोनिक वार्ता में इस समझौते को जल्द से जल्द पूरा करने पर जोर दिया।
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इस चर्चा में भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईईसी) के कार्यान्वयन और यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के प्रयासों पर भी विचार-विमर्श हुआ। यूरोपीय नेताओं ने यूक्रेन संकट पर भारत के शांतिपूर्ण समाधान के रुख की सराहना की, इसे वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण बताया।
आर्थिक अवसरों को मिलेगा बढ़ावा
भारत और ईयू के बीच एफटीए वार्ता जून 2022 में आठ साल के अंतराल के बाद पुनः शुरू हुई थी। इस समझौते को “विश्व का सबसे बड़ा व्यापारिक समझौता” माना जा रहा है, जो दोनों पक्षों के लिए आर्थिक अवसरों को बढ़ाएगा। केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने हाल ही में कहा कि वार्ता उन्नत चरण में है, और दोनों पक्षों ने समझौते के लगभग आधे अध्यायों पर सहमति बना ली है। यह समझौता भारत की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और 27 देशों के यूरोपीय संघ के बीच व्यापार और निवेश को बढ़ावा देगा। 2023 में, ईयू भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार था, जिसके साथ 124 बिलियन यूरो का व्यापार हुआ, जो भारत के कुल व्यापार का 12.2% था।
भारत-ईयू की रणनीतिक साझेदारी
प्रधानमंत्री मोदी ने इस समझौते को भारत-ईयू रणनीतिक साझेदारी का आधार बताया, जो वैश्विक चुनौतियों का सामना करने और नियम-आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण है। उर्सुला वॉन डेर लेयेन ने कहा कि यह समझौता बढ़ती भू-राजनीतिक तनावों और संरक्षणवादी नीतियों के बीच आर्थिक जोखिमों को कम करने में मदद करेगा। उन्होंने भारत और ईयू को “परिभाषित साझेदारी” के रूप में देखा, जो लोकतांत्रिक मूल्यों और आपसी विश्वास पर आधारित है। दोनों पक्षों ने अगले भारत-ईयू शिखर सम्मेलन को जल्द से जल्द नई दिल्ली में आयोजित करने पर भी सहमति जताई, जिसमें मोदी ने कोस्टा और वॉन डेर लेयेन को आमंत्रित किया।
यूक्रेन युद्ध पर भारत का रुख
वार्ता के दौरान, यूक्रेन में चल रहे संघर्ष पर भी चर्चा हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की लगातार शांतिपूर्ण समाधान और स्थिरता की बहाली की मांग को दोहराया। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने यूक्रेनी समकक्ष एंड्री सिबिहा के साथ बातचीत में भी यही रुख दोहराया, जिसमें उन्होंने भारत के शांति प्रयासों का समर्थन व्यक्त किया। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के साथ भारत की निरंतर साझेदारी की सराहना करते हुए, वॉन डेर लेयेन ने कहा कि भारत रूस को अपनी “आक्रामकता” समाप्त करने और शांति की दिशा में कदम उठाने के लिए दबाव डालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने इस युद्ध को वैश्विक सुरक्षा और आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा बताया।
सिबिहा ने जयशंकर के साथ अपनी बातचीत में यूक्रेन-भारत साझेदारी को मजबूत करने और हाल के नेताओं के बीच हुए समझौतों को लागू करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत की प्रभावशाली आवाज और सक्रिय भूमिका युद्ध को पूरी तरह से समाप्त करने और व्यापक अंतरराष्ट्रीय शांति प्रयासों में सहायक होगी। दोनों पक्ष न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र महासभा के उच्च-स्तरीय सप्ताह के दौरान मुलाकात करने और द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने पर सहमत हुए।
सामने आएंगी ये चुनौतियां
भारत और ईयू ने व्यापार, प्रौद्योगिकी, निवेश, स्थिरता, रक्षा, सुरक्षा और आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन जैसे क्षेत्रों में सहयोग की प्रगति की समीक्षा की। दोनों पक्षों ने वैश्विक व्यापार चुनौतियों का सामना करने के लिए एकजुट होकर काम करने की प्रतिबद्धता दोहराई, खासकर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की ओर से भारतीय और यूरोपीय वस्तुओं पर प्रस्तावित 50% और 25% शुल्क के मद्देनजर। भारत और ईयू का मानना है कि एक खुली और सहयोगी वैश्विक व्यवस्था दोनों के लिए फायदेमंद होगी।
वॉन डेर लेयेन ने भारत में अपने हाल के दौरे में रक्षा और सुरक्षा साझेदारी को बढ़ाने की संभावना पर जोर दिया, जिसमें भारतीय नौसेना के गुरुग्राम स्थित सूचना संलयन केंद्र में एक संपर्क अधिकारी की तैनाती शामिल है। यह केंद्र हिंद महासागर क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसके अलावा, दोनों पक्षों ने नवाचार और सतत विकास जैसे क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने की इच्छा जताई।
भारत-ईयू एफटीए वैश्विक व्यापार परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जो दोनों पक्षों को आर्थिक और रणनीतिक लाभ प्रदान करेगा। यूक्रेन युद्ध पर भारत के संतुलित और शांतिपूर्ण रुख ने वैश्विक मंच पर इसकी विश्वसनीयता को और मजबूत किया है। जैसे-जैसे दोनों पक्ष इस समझौते को अंतिम रूप देने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, भारत और ईयू की साझेदारी न केवल आर्थिक विकास को बढ़ावा देगी, बल्कि वैश्विक शांति और स्थिरता में भी योगदान देगी।
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