नई दिल्ली, 28 अक्टूबर 2025। India Economic Growth: वित्तीय वर्ष 2025-26 की दूसरी छमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि मजबूत बनी रहने की उम्मीद है, जिसमें घरेलू खपत प्रमुख भूमिका निभाएगी। एसबीआई कैपिटल मार्केट्स (SBI Caps) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में अनिश्चितता और टैरिफ युद्ध के बीच भारत की आंतरिक मांग ने इसे स्थिरता प्रदान की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जब दुनिया व्यापारिक भंवर में फंसी है, तब भारत की घरेलू खपत सबसे मजबूत ढाल साबित हो रही है।
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अमेरिका द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ के जवाब में नीति निर्माताओं ने घरेलू विकास पर जोर दिया है। केंद्र और राज्य सरकारों ने चालू वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिससे सकल स्थायी पूंजी निर्माण में तेजी आने की संभावना है। त्योहारी सीजन को ध्यान में रखते हुए जीएसटी दरों में बदलाव किए गए हैं, जो उपभोक्ता खर्च को बढ़ावा देंगे। कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) के अनुमान के मुताबिक, इस वर्ष त्योहारी बिक्री रिकॉर्ड 4.75 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है।
नवरात्रि के दौरान ऑटोमोबाइल खुदरा बिक्री में भी उछाल देखा गया, जो आर्थिक उभार के प्रारंभिक संकेत हैं। वैश्विक स्तर पर रिपोर्ट ने व्यापारिक अनिश्चितताओं को रेखांकित किया है। टैरिफ अब ‘न्यू नॉर्मल’ बन चुके हैं। अगस्त 2025 में चीन से अमेरिका को निर्यात पिछले वर्ष की तुलना में 33% गिरा, हालांकि कुल शिपमेंट में 4.4% की वृद्धि हुई। यह सप्लाई चेन के पुनर्गठन का संकेत देता है, न कि पूर्ण व्यवधान का।
निर्यातक और खुदरा विक्रेता महंगाई का दबाव झेल रहे हैं, जो अब उपभोक्ताओं तक पहुंच रहा है। अमेरिका ने इलेक्ट्रॉनिक्स और जेनेरिक दवाओं जैसे संवेदनशील क्षेत्रों पर टैरिफ से परहेज किया, जो व्यापार संतुलन को दर्शाता है। रिपोर्ट ने वैश्विक संपत्ति में बदलाव पर भी प्रकाश डाला। अमेरिकी डॉलर की प्रमुखता घट रही है, और केंद्रीय बैंक तीन दशकों बाद पहली बार अमेरिकी ट्रेजरी से अधिक सोना जमा कर रहे हैं।
हालांकि, चीनी युआन या डिजिटल मुद्राओं जैसे विकल्प अभी परिपक्व नहीं हैं। निवेश के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) तेजी से उभर रहा है, जहां भारी पूंजी प्रवाह हो रहा है। ओपनएआई का मूल्यांकन 500 अरब डॉलर तक पहुंचना इसका उदाहरण है, लेकिन व्यावसायिक मॉडल अनिश्चित हैं। रिपोर्ट ने सतर्क निवेश की सलाह दी, क्योंकि जल्दबाजी से संपत्ति बुलबुले बन सकते हैं। घरेलू मोर्चे पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कर्ज प्रवाह को सहज बनाने के कदम उठाए हैं।
बड़े उधारकर्ताओं के लिए क्षेत्रीय सीमाएं हटाई गईं, अधिग्रहण वित्त पर प्रतिबंध ढीले किए गए, और शेयर, REITs तथा InvITs पर कर्ज सीमा बढ़ाई जा रही है। इन उपायों से वित्त वर्ष 2025-26 में कर्ज-जमा अनुपात पहली बार 80% से ऊपर पहुंच सकता है। 2025 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने भारतीय शेयर बाजार से 18 अरब डॉलर निकाले, लेकिन घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) का विश्वास अटल रहा। यह स्थानीय भागीदारी की मजबूती दर्शाता है।कुल मिलाकर, रिपोर्ट भारत की आर्थिक तस्वीर को सकारात्मक बताती है। घरेलू मांग और सरकारी नीतियां विकास को गति देंगी, जबकि वैश्विक जोखिमों से निपटने के लिए आंतरिक ताकत पर भरोसा है।
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