लखनऊ, सितंबर 2025। Illegal Firecracker Factory: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के गुड़ंबा थाना क्षेत्र में स्थित बेहटा बाजार गांव हाल ही में एक दर्दनाक हादसे के कारण सुर्खियों में है। रविवार, 31 अगस्त 2025 को इस गांव में एक अवैध पटाखा फैक्ट्री में हुए भीषण विस्फोट ने पूरे क्षेत्र को हिलाकर रख दिया। इस धमाके में फैक्ट्री संचालक आलम और उनकी पत्नी मुन्नी की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि तीन अन्य मकान क्षतिग्रस्त हो गए।
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इसी दिन देर शाम को बेहटा गांव से कुछ दूरी पर सेमरा गांव में आलम के भतीजे शेरू के गोदाम में एक और विस्फोट हुआ, जिसमें एक गोवंश की मौत हुई और एक भैंस घायल हो गई। इन हादसों ने एक बार फिर अवैध पटाखा निर्माण की गंभीर समस्या को उजागर किया है, जहां गांव के लगभग हर घर में बारूद का भंडारण और पटाखों का निर्माण हो रहा है, जबकि लाइसेंस केवल तीन लोगों के पास हैं।
अवैध पटाखा निर्माण
बेहटा बाजार गांव में दीपावली के मौसम को देखते हुए अवैध पटाखा निर्माण जोरों पर था। स्थानीय लोगों के अनुसार, गांव के कई घरों में बारूद का भंडारण किया जाता है, और छोटे-छोटे कमरों में पटाखे बनाए जाते हैं। हादसे के बाद एक स्थानीय पटाखा कारोबारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि वह हर साल दीपावली के लिए तीन दिन का अस्थायी लाइसेंस लेता है, लेकिन गांव में रिहायशी इलाकों में चल रही ये अवैध फैक्ट्रियां नियमों का खुला उल्लंघन हैं। आलम ने इस साल भारी मात्रा में बारूद जमा किया था और कई कारोबारियों से ऑर्डर लेना शुरू कर दिया था। उसने एक कारोबारी से 5,000 रुपये का अग्रिम भुगतान भी लिया था।
पुलिस और प्रशासन पर सवाल
हादसे के बाद स्थानीय पुलिस पर सवाल उठ रहे हैं कि इतने बड़े पैमाने पर अवैध पटाखा निर्माण की जानकारी होने के बावजूद कोई कार्रवाई क्यों नहीं की गई। पुलिस की निष्क्रियता ने इस खतरे को और बढ़ा दिया। धमाके के बाद पुलिस और प्रशासन हरकत में आए। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे का संज्ञान लिया और राहत कार्यों में तेजी लाने के निर्देश दिए। दमकल विभाग, एम्बुलेंस, और राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) की टीमें मौके पर पहुंचीं और बचाव कार्य शुरू किया। घायलों को तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए कदम उठाए गए।
पिछले हादसों से नहीं लिया सबक
यह कोई पहला मौका नहीं है जब लखनऊ या आसपास के क्षेत्रों में अवैध पटाखा निर्माण के कारण हादसे हुए हों। उन्नाव जिले में भी 2010, 2013, 2019, और 2020 में पटाखा गोदामों में विस्फोट के मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें कई लोगों की जान गई। बेहटा गांव में भी पहले छोटे-मोटे हादसे हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन की लापरवाही के कारण कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि दीपावली से पहले पटाखों की मांग बढ़ने पर अवैध निर्माण तेज हो जाता है, और लाइसेंस की कमी के बावजूद बारूद का भंडारण खुलेआम होता है।
डर के साये में जीते हैं आसपास के लोग
बेहटा गांव में केवल तीन लोगों के पास पटाखा निर्माण का वैध लाइसेंस है, फिर भी दर्जनों घरों में यह काम चल रहा है। प्रशासन ने अब सख्ती का दावा किया है, लेकिन स्थानीय लोग डर के साये में जी रहे हैं। हादसे के बाद फोरेंसिक टीमें साक्ष्य जुटा रही हैं और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही जा रही है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि अवैध पटाखा निर्माण पर रोक के लिए नियमित छापेमारी, लाइसेंस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाने और जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत है।
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