नई दिल्ली, 2 सितंबर 2025। Immigration Act 2025: भारत में अवैध रूप से रह रहे विदेशी नागरिकों के खिलाफ केंद्र सरकार ने कड़ा रुख अपनाया है। 1 सितंबर 2025 से लागू हुए इमिग्रेशन एंड फॉरेनर्स एक्ट 2025 के तहत ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन को अवैध प्रवासियों की पहचान और तत्काल डिपोर्टेशन के लिए संवैधानिक अधिकार दिए गए हैं। यह बिल अप्रैल 2025 में संसद में पारित हुआ था और अब गृह मंत्रालय ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर इसे तत्काल प्रभाव से लागू कर दिया है। इस कानून का उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना और अवैध प्रवास को रोकना है।
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नए नियमों के तहत, बिना वैध वीजा या पासपोर्ट के भारत में प्रवेश करने वाले विदेशी नागरिकों को तुरंत डिपोर्ट किया जा सकता है। ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन राज्य सरकारों और अन्य एजेंसियों के साथ समन्वय कर कार्रवाई करेगा। यदि किसी होटल, शिक्षण संस्थान या अन्य स्थान पर अवैध विदेशी नागरिकों की मौजूदगी पाई जाती है, तो उस संस्थान का रजिस्ट्रेशन तत्काल रद्द हो सकता है। इसके अलावा, फर्जी दस्तावेजों का उपयोग करने वालों को दो से सात साल की सजा और एक से दस लाख रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।
गृह मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिया है कि वे विदेशी नागरिकों का डेटाबेस तैयार करें और इसे नियमित रूप से ब्यूरो ऑफ इमिग्रेशन के साथ साझा करें। आधार, वोटर आईडी, राशन कार्ड जैसे दस्तावेज जारी करने से पहले आवेदक का विवरण IVFRT, FIP और IMB डेटाबेस में जांचा जाएगा ताकि अवैध प्रवासियों को भारतीय सुविधाओं का लाभ न मिले। यह कदम देश की आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक योजनाओं को सही पात्रों तक पहुंचाने के लिए उठाया गया है।
यह कानून पुराने नियमों, जैसे फॉरेनर्स एक्ट 1946 और पासपोर्ट एक्ट 1920 को एकीकृत करता है। सरकार का कहना है कि यह बिल अवैध प्रवासियों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के दुरुपयोग और आपराधिक गतिविधियों पर लगाम लगाएगा। विपक्ष ने इस बिल के कुछ प्रावधानों को मौलिक अधिकारों के खिलाफ बताया है, लेकिन सरकार इसे राष्ट्रीय हित में जरूरी मान रही है।
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