उत्तर प्रदेश स्पेशल टास्क फोर्स (UP STF) की नोएडा यूनिट ने एक चौंकाने वाली कार्रवाई में गाजियाबाद के कविनगर इलाके में संचालित एक फर्जी दूतावास रैकेट का पर्दाफाश किया है। इस मामले में मुख्य आरोपी हर्षवर्धन जैन को गिरफ्तार किया गया है, जो वेस्ट आर्कटिक, सैबोर्गा, पॉलविया और लोडोनिया जैसे काल्पनिक माइक्रोनेशन देशों के नाम पर अवैध दूतावास चला रहा था।
यूपी एसटीएफ प्रमुख अमिताभ यस के अनुसार, आरोपी ने कविनगर के केबी-35 स्थित किराए के मकान को दूतावास का रूप दे रखा था। वह फर्जी डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगी गाड़ियों में घूमता था और मॉर्फ की गई तस्वीरों के जरिए खुद को प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और अन्य उच्च पदस्थ लोगों के साथ जोड़कर पेश करता था। उसका असली धंधा था लोगों को विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर ठगी, फर्जी दस्तावेजों की आपूर्ति और हवाला रैकेट का संचालन।
हर्षवर्धन जैन की गतिविधियां सिर्फ ठगी तक सीमित नहीं थीं। वह कुख्यात तांत्रिक चंद्रास्वामी और अंतरराष्ट्रीय हथियार डीलर अदनान खगोशी जैसे संदिग्धों के संपर्क में भी रह चुका है। वर्ष 2011 में उसके खिलाफ अवैध सैटेलाइट फोन रखने का मामला भी कविनगर थाने में दर्ज किया गया था।
STF की छापेमारी में जो बरामद हुआ वह बेहद चौंकाने वाला है:
चार डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट लगी गाड़ियां,
12 फर्जी डिप्लोमैटिक पासपोर्ट,
34 विभिन्न देशों और कंपनियों की मोहरें,
44.7 लाख रुपये नकद और विदेशी मुद्रा,
18 फर्जी डिप्लोमैटिक नंबर प्लेट,
2 नकली पैन कार्ड, 2 प्रेस कार्ड,
विदेश मंत्रालय की मोहर लगे कूटरचित दस्तावेज,
और कई शेल कंपनियों के दस्तावेज।
हर्षवर्धन का यह नेटवर्क केवल भारत में ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैला था। वह विदेशी नेटवर्क के जरिए हवाला रैकेट को संचालित कर रहा था और लोगों को विदेश भेजने, व्यापार दिलाने के नाम पर ठगता था। STF के मुताबिक, यह नेटवर्क सुनियोजित और संगठित था और इसमें राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए भी खतरा छुपा हुआ था।
STF अब इस रैकेट के विदेशी कनेक्शनों और संभावित नेटवर्क सदस्यों की गहराई से जांच कर रही है। कविनगर थाने में भारतीय दंड संहिता (BNS) की धोखाधड़ी, जालसाजी, और देशद्रोह जैसी धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया है। आरोपी से पूछताछ जारी है और आगे कई और खुलासे होने की उम्मीद है।