12 जून को हुए एयर इंडिया फ्लाइट AI 171 हादसे की शुरुआती रिपोर्ट हाल ही में जारी हुई है, लेकिन इस रिपोर्ट की तीव्र आलोचना हो रही है। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एयरलाइन पायलट्स एसोसिएशन (IFALPA) ने इस रिपोर्ट को लेकर जल्दबाजी में निष्कर्ष निकालने के खिलाफ चेतावनी दी है। IFALPA ने कहा है कि प्रारंभिक रिपोर्ट में अनुमान और अटकलें लगाने से बचना चाहिए क्योंकि यह केवल जांच के शुरुआती चरण का एक हिस्सा होती है और इसमें तथ्यात्मक जानकारी सीमित होती है।
IFALPA के मुताबिक, ऐसी रिपोर्टें सामान्यतः घटना के 30 दिनों के भीतर प्रकाशित की जाती हैं, लेकिन वर्तमान रिपोर्ट कई महत्वपूर्ण सवाल खड़े करती है जिनके जवाब अभी तक सामने नहीं आए हैं। ऐसे अनुमान जांच प्रक्रिया के लिए बाधक साबित हो सकते हैं। IFALPA ने यह भी कहा कि पूरी, तथ्यात्मक और निष्पक्ष जांच होनी चाहिए, न कि किसी तरह की अफवाह या सनसनीखेज निष्कर्ष।
इसी बीच, भारतीय पायलटों के संगठन इंडियन पायलट्स गिल्ड ने भी रिपोर्ट की भाषा की आलोचना की है और कहा है कि एआई171 के चालक दल को पूरी पारदर्शी और तथ्य-आधारित जांच का अधिकार है।
AAIB की प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि हादसे के वक्त उड़ान भरने के तुरंत बाद, मात्र एक सेकंड के अंदर विमान के इंजन के फ्यूल स्विच अनायास बंद हो गए थे, जिससे कॉकपिट में पायलटों के बीच भ्रम की स्थिति पैदा हो गई। रिपोर्ट के अनुसार, कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डिंग में एक पायलट ने पूछा कि स्विच क्यों बंद हुआ, तो दूसरे ने कहा कि उसने ऐसा नहीं किया। इसके बाद फ्यूल स्विच को तुरंत पुनः चालू किया गया।
यह दर्दनाक हादसा अहमदाबाद के बीजे मेडिकल कॉलेज के होस्टल के पास हुआ था, जिसमें विमान में सवार 242 लोगों में से 241 की जान चली गई और केवल एक व्यक्ति ही बच पाया। हादसे के बाद यह भी पता चला कि विमान के गिरने से होस्टल में रह रहे कई छात्रों की मौत हुई और कई गंभीर रूप से घायल हो गए।
AAIB ने लगभग एक महीने बाद अपनी रिपोर्ट जारी की, लेकिन इस रिपोर्ट को लेकर कई सवाल और आलोचनाएं उठ रही हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या इतनी जल्दी रिपोर्ट जारी करना सही था और क्या जांच पूरी निष्पक्षता से हुई है। अब सभी की निगाहें जांच की अगली कड़ी और न्यायिक प्रक्रिया पर टिकी हैं ताकि इस भयानक हादसे के असली कारणों का पता लगाया जा सके।