Heart Attack Signs: हार्ट अटैक आज के समय में एक गंभीर स्वास्थ्य समस्या बन चुका है, जो अक्सर बिना किसी स्पष्ट चेतावनी के जानलेवा साबित हो सकता है। आमतौर पर लोग हार्ट अटैक को सीने में दर्द से जोड़ते हैं, लेकिन इसके कई अन्य लक्षण भी हैं, जिन्हें नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है। पीठ में दर्द, बार-बार खांसी, सांस लेने में तकलीफ, और असामान्य थकान जैसे संकेत कार्डियक इमरजेंसी की ओर इशारा कर सकते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इन लक्षणों को समझकर समय पर कदम उठाने से जान बचाई जा सकती है।
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पीठ में दर्द और खांसी
सीने में दर्द के अलावा पीठ में लगातार दर्द, खासकर ऊपरी हिस्से में, हार्ट अटैक का एक छिपा हुआ लक्षण हो सकता है। यह दर्द कंधों, गर्दन, या जबड़े तक फैल सकता है। कई बार यह दर्द इतना हल्का होता है कि लोग इसे मांसपेशियों की खिंचाव या थकान समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। इसके साथ ही, बार-बार होने वाली खांसी, खासकर अगर यह सूखी खांसी हो और सांस लेने में तकलीफ के साथ हो, हृदय संबंधी समस्याओं का संकेत हो सकती है। हृदय की मांसपेशियों को पर्याप्त ऑक्सीजन न मिलने पर फेफड़ों में तरल पदार्थ जमा हो सकता है, जिससे खांसी और सांस लेने में दिक्कत होती है।
इन लक्षणों को न करें नजरंदाज
हार्ट अटैक के अन्य लक्षणों में अचानक पसीना आना, चक्कर आना, मतली, और असामान्य थकान शामिल हैं। महिलाओं में ये लक्षण पुरुषों की तुलना में अलग हो सकते हैं। उदाहरण के लिए, महिलाओं को सीने में दर्द कम और पीठ दर्द, थकान, या पेट में जलन जैसे लक्षण ज्यादा दिखाई दे सकते हैं। बुजुर्गों में भी लक्षण अस्पष्ट हो सकते हैं, जैसे भ्रम या कमजोरी। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण एक साथ दिखें, तो तुरंत चिकित्सकीय सहायता लें।
बिना समय गंवाए अस्पताल पहुंचे
भारत में हार्ट अटैक के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। तनाव, खराब जीवनशैली, मधुमेह, उच्च रक्तचाप, और मोटापा इसके प्रमुख कारण हैं। डॉक्टरों का कहना है कि हार्ट अटैक के पहले 60 मिनट, जिन्हें ‘गोल्डन ऑवर’ कहा जाता है, सबसे महत्वपूर्ण होते हैं। इस दौरान तुरंत अस्पताल पहुंचने और ईसीजी, ब्लड टेस्ट, या एंजियोग्राफी करवाने से स्थिति को नियंत्रित किया जा सकता है। स्टेंट डालना या दवाइयों के जरिए इलाज संभव है, बशर्ते समय पर कार्रवाई हो।
स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं
हार्ट अटैक से बचने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जरूरी है। नियमित व्यायाम, संतुलित आहार, धूम्रपान से परहेज, और तनाव प्रबंधन से हृदय रोगों का खतरा कम हो सकता है। नियमित स्वास्थ्य जांच, खासकर 40 की उम्र के बाद, हृदय संबंधी समस्याओं को शुरुआती स्तर पर पकड़ने में मदद करती है। अगर आपके परिवार में हृदय रोग का इतिहास है, तो और सावधानी बरतें।
पीठ में दर्द और बार-बार खांसी जैसे लक्षणों को हल्के में न लें। ये सामान्य लग सकते हैं, लेकिन कार्डियक इमरजेंसी की चेतावनी हो सकते हैं। समय पर डॉक्टर से संपर्क करें और लक्षणों को समझें। हार्ट अटैक से बचाव और इलाज संभव है, बशर्ते आप सतर्क रहें। अपने स्वास्थ्य को प्राथमिकता दें और छोटे-छोटे संकेतों को नजरअंदाज न करें।
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