हरिद्वार, 15 सितंबर 2025। Haridwar Ardhakumbh 2027: उत्तराखंड के हरिद्वार में 2027 में आयोजित होने वाले अर्धकुंभ मेला की तारीखों की आधिकारिक घोषणा हो गई है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद ने उत्तराखंड सरकार के प्रस्ताव को मंजूरी देते हुए शाही स्नान की तिथियां तय कर दी हैं। यह मेला 6 मार्च 2027 से शुरू होकर 14 अप्रैल 2027 तक चलेगा। इस दौरान लाखों श्रद्धालु गंगा के पवित्र जल में स्नान कर पापों का नाश करेंगे।
अखाड़ा परिषद के महासचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी ने बताया कि यह आयोजन सदियों पुरानी परंपरा को मजबूत करेगा। हरिद्वार अर्धकुंभ हर 6 वर्ष में होता है, जो पूर्ण कुंभ के बीच में आता है। 2021 के कुंभ के बाद यह दूसरा बड़ा आयोजन होगा, जिसमें 10 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है। उत्तराखंड सरकार ने पहले ही 82 नए पदों का सृजन कर मेला प्रशासन को मजबूत करने की तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने अखाड़ों को आमंत्रित कर इसकी तैयारियों को गति दी है।

इस अर्धकुंभ की सबसे खास बात यह है कि पहली बार तीन शाही स्नान (अमृत स्नान) आयोजित होंगे। परंपरागत रूप से अर्धकुंभ में दो शाही स्नान होते थे, लेकिन इस बार अखाड़ा परिषद ने तीसरे स्नान को मंजूरी दे दी है। पहला शाही स्नान 6 मार्च 2027 को महाशिवरात्रि पर होगा, जहां महानिर्वाणी अखाड़ा सबसे पहले स्नान करेगा। दूसरा स्नान 8 मार्च 2027 को फाल्गुन पूर्णिमा पर निर्धारित है।
तीसरा और अंतिम शाही स्नान 14 अप्रैल 2027 को बैसाखी और मेष संक्रांति पर होगा, जो सबसे पवित्र माना जाता है। इन स्नानों में नागा साधु, संन्यासी और तपस्वी अखाड़ों के साथ श्रद्धालु हर की पैड़ी पर डुबकी लगाएंगे। यह बदलाव अखाड़ा परिषद और राज्य सरकार के संयुक्त प्रयास से संभव हुआ है, जो आध्यात्मिक महत्व को बढ़ाएगा। जूना अखाड़ा के नागा संत सबसे पहले छावनी में प्रवेश करेंगे। यह परिवर्तन अर्धकुंभ को पूर्ण कुंभ के समकक्ष बना देगा।
अखाड़ा परिषद ने पेशवाई (जुलूस), अस्थायी कैंप और राज्य प्रशासन के साथ समन्वय की तैयारियां शुरू कर दी हैं। हरिद्वार फिर से दुनिया का आध्यात्मिक केंद्र बनेगा, जहां भजन-कीर्तन, यज्ञ और गंगा आरती का आयोजन होगा। 13 अखाड़ों की भागीदारी सुनिश्चित की गई है, जिसमें वैष्णव, शैव और उदासीन अखाड़े शामिल हैं। सरकार ने सुरक्षा, स्वच्छता और यातायात व्यवस्था पर विशेष ध्यान देने के निर्देश दिए हैं। पिछले कुंभ की तरह डिजिटल ऐप्स से लाइव अपडेट दिए जाएंगे। यह मेला न केवल धार्मिक, बल्कि सामाजिक एकता का प्रतीक होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि तीन स्नानों से मेला का आकर्षण बढ़ेगा। कुल मिलाकर, हरिद्वार अर्धकुंभ 2027 इतिहास रचेगा।
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