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GST Reforms: PM के ऐलान के बाद एक्शन में वित्त मंत्रालय, GST में सिर्फ दो स्लैब, आम आदमी और MSME को राहत

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GST Reforms

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नई दिल्ली, 15 अगस्त 2025। GST Reforms:  15 अगस्त 2025 को 79वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में अगली पीढ़ी के सुधारों की घोषणा की। उन्होंने इसे आम आदमी के लिए ‘दिवाली का तोहफा’ बताते हुए कहा कि जीएसटी दरों में कमी और सरलीकरण से आम नागरिकों, किसानों, मध्यम वर्ग और छोटे व्यवसायियों को लाभ होगा।

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पीएम के इस इशारे के तुरंत बाद वित्त मंत्रालय ने एक बड़ा प्रस्ताव पेश किया, जिसमें जीएसटी को केवल दो स्लैब—‘स्टैंडर्ड’ और ‘मेरिट’—तक सीमित करने की बात कही गई। चुनिंदा वस्तुओं पर विशेष दरें लागू होंगी। वर्तमान में जीएसटी की चार दरें—5%, 12%, 18% और 28%—हैं, जो जटिलता और विवाद का कारण बनती हैं। वित्त मंत्रालय ने जीएसटी परिषद द्वारा गठित मंत्रियों के समूह (GoM) को भेजे प्रस्ताव में तीन मुख्य आधारों पर जोर दिया: संरचनात्मक सुधार, दरों का युक्तिकरण और जीवनयापन में आसानी। संरचनात्मक सुधारों में उल्टे शुल्क ढांचे (इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर) को ठीक करना शामिल है, ताकि इनपुट और आउटपुट टैक्स में संतुलन हो और इनपुट टैक्स क्रेडिट का संचय कम हो।

इससे घरेलू मूल्यवृद्धि को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, वर्गीकरण संबंधी विवादों को हल कर दरों को सुव्यवस्थित किया जाएगा, जिससे अनुपालन सरल होगा और क्षेत्रों में समानता सुनिश्चित होगी। दरों के युक्तिकरण के तहत आवश्यक और आकांक्षी वस्तुओं पर कर कम करने का प्रस्ताव है। दो स्लैब प्रणाली से सामान्य उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें कम होंगी, जिससे खपत बढ़ेगी और मध्यम वर्ग को राहत मिलेगी। विशेषज्ञों का मानना है कि 12% स्लैब को हटाकर वस्तुओं को 5% या 18% स्लैब में स्थानांतरित किया जा सकता है।

मंत्रालय ने कहा कि मुआवजा उपकर (कंपनसेशन सेस) की समाप्ति ने राजकोषीय स्थान बनाया है, जिससे टैक्स दरों को युक्तिसंगत बनाने में मदद मिलेगी। जीवनयापन में आसानी के लिए छोटे व्यवसायों और स्टार्टअप्स के लिए पंजीकरण को तकनीक आधारित और समयबद्ध किया जाएगा। प्री-फिल्ड रिटर्न और स्वचालित रिफंड प्रक्रिया से निर्यातकों और उल्टे शुल्क ढांचे से प्रभावित व्यवसायों को लाभ होगा।

वित्त मंत्रालय ने सहकारी संघवाद के तहत राज्यों के साथ मिलकर काम करने और आम सहमति बनाने का वादा किया है। जीएसटी परिषद की अगली बैठक सितंबर में होने की उम्मीद है, जिसमें GoM की सिफारिशों पर विचार होगा। इन सुधारों को चालू वित्त वर्ष में लागू करने का लक्ष्य है, ताकि उपभोक्ताओं और MSME को जल्द लाभ मिले। यह कदम जीएसटी की शुरुआत के आठ साल बाद इसकी समीक्षा और उन्नयन का हिस्सा है, जो 2017 में लागू होने के बाद से भारत की सबसे बड़ी कर सुधारों में से एक रहा है।

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