नई दिल्ली, 8 अक्तूबर 2025। GST Collection: दिल्ली सरकार के लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 की शुरुआत बेहद सकारात्मक रही है। 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक के पहले छह महीनों में जीएसटी से 22,443.21 करोड़ रुपये का अभूतपूर्व संग्रह हुआ है। यह आंकड़ा पिछले वर्ष के समान अवधि के 21,061.65 करोड़ रुपये से लगभग 1,381.56 करोड़ अधिक है। जीएसटी दरों में हालिया कटौती के बावजूद यह वृद्धि आश्चर्यजनक है, जो आर्थिक गतिविधियों की मजबूती को दर्शाती है।
इसे भी पढ़ें- दिल्ली सरकार का क्रांतिकारी कदम, फर्जी लाभार्थियों पर लगेगी लगाम, हर साल होगा सत्यापन
दरें कम, लेकिन खजाना भरा

केंद्र सरकार ने 22 सितंबर से नवरात्रि के अवसर पर कई वस्तुओं पर जीएसटी दरों में भारी कटौती की, जिससे बाजार में उत्साह बढ़ा। फिर भी, सितंबर 2025 में दिल्ली को 3,373.45 करोड़ रुपये का जीएसटी मिला, जो पिछले साल के 3,272.55 करोड़ से 100.90 करोड़ अधिक है। एसजीएसटी (राज्य वस्तु एवं सेवा कर) से राजस्व में 16.15 प्रतिशत की उछाल देखी गई, जो कुल संग्रह को 22,000 करोड़ से ऊपर ले गया। जानकारों का मानना है कि इंट्रा-स्टेट सप्लाई पर लगने वाला एसजीएसटी आर्थिक वृद्धि का प्रमुख सूचक है। दिल्ली सरकार ने पूरे वर्ष के लिए लक्ष्य को 5,000 करोड़ बढ़ाकर 48,500 करोड़ कर लिया है, जो आशावादी दृष्टिकोण को प्रतिबिंबित करता है।
वैट संग्रह में चुनौतियां
हालांकि, जीएसटी की सफलता उल्लेखनीय है, वैट संग्रह में कमी चिंता का विषय बनी हुई है। अप्रैल-सितंबर 2025 में वैट और सीजीएसटी से केवल 3,410.57 करोड़ रुपये मिले, जो पिछले वर्ष के 3,576.91 करोड़ से 166.34 करोड़ कम है। इसका प्रमुख कारण पेट्रोल-डीजल की बिक्री में आठ प्रतिशत की गिरावट है। सीएनजी और इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते उपयोग, साथ ही 10-15 वर्ष पुराने वाहनों पर प्रतिबंध ने डीजल खपत प्रभावित की है। पड़ोसी राज्यों जैसे चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल में सस्ता डीजल (3-5 रुपये प्रति लीटर कम) ट्रक चालकों को आकर्षित कर रहा है, जिससे दिल्ली के पेट्रोल पंप प्रभावित हो रहे हैं। पंप संचालक केंद्र से डीजल पर वैट कम करने की मांग कर रहे हैं।
अन्य स्रोतों से राजस्व और भविष्य की राह
जीएसटी के अलावा, आबकारी से 41.92 करोड़ और वाहन पंजीकरण से 7.60 करोड़ रुपये की आय हुई। कुल मिलाकर, ये आंकड़े दिल्ली की आर्थिक स्थिरता को मजबूत करते हैं। एसजीएसटी इंट्रा-स्टेट लेन-देन पर लगता है, जबकि सीजीएसटी केंद्र के पूर्व करों को समाहित करता है। विशेषज्ञों का अनुमान है कि त्योहारों की खरीदारी और आर्थिक सुधार से संग्रह और बढ़ेगा। सरकार को अब वैट जैसी कमजोरियों पर ध्यान देकर संतुलित नीतियां अपनानी होंगी, ताकि खजाना लगातार भरा रहे। यह रिकॉर्ड संग्रह न केवल राजकोषीय स्वास्थ्य का संकेत है, बल्कि दिल्ली की व्यापारिक गतिशीलता को भी रेखांकित करता है।
इसे भी पढ़ें- Rekha Gupta: दिल्ली में बीजेपी सरकार पर विवाद, रेखा गुप्ता के बंगले और ईंधन प्रतिबंध पर उलटफेर








