नई दिल्ली, 4 सितंबर 2025। केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित जीएसटी 2.0 सुधारों ने राज्यों और केंद्र के बीच राजस्व साझेदारी की गतिशीलता को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। इस नए ढांचे के तहत जीएसटी को सरल करने के लिए टैक्स स्लैब को दो स्तरों (12% और 18%) तक सीमित करने का प्रस्ताव है, जिसका उद्देश्य उपभोग को बढ़ावा देना और कर प्रणाली को पारदर्शी बनाना है।
इसे भी पढ़ें- दिल्ली के कपड़ा कारोबारी का दर्द, 50 साल में पहली बार देखी ऐसी बेबसी, 600 नौकरियां खतरे में...
हालांकि, इस सुधार से राज्यों को जहां आर्थिक लाभ होने की उम्मीद है। वहीं केंद्र सरकार को अगले पांच वर्षों में ₹48,000 करोड़ का राजस्व नुकसान होने का अनुमान है। वित्त मंत्री नर्मला सिथारमण की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद ने इस प्रस्ताव पर गहन चर्चा की। नए ढांचे में 28% का उच्चतम स्लैब हटाने और लक्जरी वस्तुओं पर सेस लगाने की योजना है। इससे उपभोक्ता वस्तुओं की कीमतें कम होने की संभावना है, जो मध्यम वर्ग और छोटे व्यवसायों के लिए राहतकारी होगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि इससे उपभोग बढ़ेगा, जिससे राज्यों को अप्रत्यक्ष रूप से अधिक कर राजस्व प्राप्त होगा। राज्यों को जीएसटी राजस्व का 41% हिस्सा मिलता है, और सुधारों से उनके राजस्व में 15-20% की वृद्धि होने की उम्मीद है, विशेष रूप से उन राज्यों में जो उपभोग-आधारित अर्थव्यवस्थाओं पर निर्भर हैं।दूसरी ओर, केंद्र सरकार को इस सुधार से राजस्व में कमी का सामना करना पड़ेगा।
वित्त मंत्रालय के अनुमानों के अनुसार, स्लैब सरलीकरण और सेस के कारण केंद्र का वार्षिक नुकसान ₹9,600 करोड़ तक हो सकता है, जो पांच वर्षों में ₹48,000 करोड़ तक पहुंचेगा। यह घाटा केंद्र के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है, विशेष रूप से कोविड-19 के बाद आर्थिक सुधार और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर बढ़ते खर्च के बीच। हालांकि, केंद्र ने इस नुकसान की भरपाई के लिए दीर्घकालिक उपभोग वृद्धि और प्रत्यक्ष कर संग्रह पर भरोसा जताया है।
जीएसटी 2.0 के तहत, छोटे व्यवसायों को अनुपालन बोझ कम करने के लिए छूट सीमा को ₹40 लाख से बढ़ाकर ₹50 लाख करने का भी प्रस्ताव है। इससे सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को लाभ होगा। साथ ही, जीएसटी रिटर्न प्रक्रिया को और सरल करने पर जोर दिया जा रहा है, ताकि करदाताओं को सहूलियत हो।विपक्षी दलों ने इस सुधार का स्वागत किया है, लेकिन कुछ ने केंद्र के राजस्व घाटे को लेकर चिंता जताई है।
उनका कहना है कि केंद्र को इस नुकसान की भरपाई के लिए राज्यों पर अतिरिक्त बोझ नहीं डालना चाहिए। जीएसटी परिषद अब इस प्रस्ताव को अंतिम रूप देने के लिए राज्यों के साथ विचार-विमर्श कर रही है। यह सुधार न केवल कर प्रणाली को मजबूत करेगा, बल्कि भारत की अर्थव्यवस्था को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने में भी मददगार साबित हो सकता है।
Post Views: 22