पटना, 1 सितंबर 2025: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) नेता तेजस्वी यादव के नेतृत्व में बिहार में 14 दिनों तक चली ‘वोटर अधिकार यात्रा’ का समापन रविवार को पटना में एक विशाल पदयात्रा के साथ हुआ। यह यात्रा, जिसे ‘गांधी से अंबेडकर’ नाम दिया गया, गांधी मैदान से शुरू होकर डॉ. बी.आर. अंबेडकर की प्रतिमा तक जानी थी। हालांकि, डाकबंगला चौराहे पर पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को रोक दिया, जिससे यात्रा का अंत विवादों के साथ हुआ।
इस यात्रा में महागठबंधन के वरिष्ठ नेताओं, सांसदों, विधायकों और अन्य विपक्षी दलों के नेताओं ने हिस्सा लिया।वोटर अधिकार यात्रा 17 अगस्त को सासाराम से शुरू हुई थी और 25 जिलों व 110 विधानसभा क्षेत्रों को कवर करते हुए 1,300 किलोमीटर की दूरी तय की। इसका उद्देश्य निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची के विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) में कथित अनियमितताओं के खिलाफ जन जागरूकता फैलाना था। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने आरोप लगाया कि एसआईआर के जरिए गरीबों, दलितों, महादलितों और प्रवासियों के वोटिंग अधिकार छीने जा रहे हैं।
तेजस्वी ने इसे ‘वोट चोरी’ और लोकतंत्र पर हमला करार दिया, जबकि राहुल ने कहा कि यह संविधान के खिलाफ साजिश है। पदयात्रा सुबह 10 बजे गांधी मैदान के गेट नंबर 1 से शुरू हुई, जहां नेताओं ने महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। इसके बाद मार्च एस.पी. वर्मा रोड, डाकबंगला चौराहा, कोतवाली थाना, इनकम टैक्स गोलंबर और नेहरू पथ होते हुए अंबेडकर पार्क की ओर बढ़ा। करीब एक लाख लोग इस पदयात्रा में शामिल हुए, जिनमें आरजेडी, कांग्रेस, सीपीआई-एमएल, और विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के कार्यकर्ता शामिल थे।
यात्रा में तृणमूल कांग्रेस के यूसुफ पठान, शिवसेना (यूबीटी) के संजय राउत और एनसीपी की सुप्रिया सुले जैसे राष्ट्रीय नेता भी शामिल हुए।डाकबंगला चौराहे पर पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर मार्च को रोक दिया, जिसके बाद नेताओं ने वहां सभा की और केंद्र सरकार व निर्वाचन आयोग पर जमकर हमला बोला। तेजस्वी ने कहा, “बिहार लोकतंत्र की जननी है, और हम बीजेपी और नीतीश कुमार की ‘गोदी आयोग’ की दादागिरी बर्दाश्त नहीं करेंगे।”
राहुल ने महाराष्ट्र और हरियाणा में कथित मतदाता सूची हेरफेर का हवाला देते हुए कहा कि बिहार में भी वही प्रयास हो रहा है।इस यात्रा को विपक्ष ने बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एक बड़े जन आंदोलन के रूप में पेश किया। कांग्रेस नेता के.सी. वेणुगोपाल ने इसे लोकतंत्र की रक्षा के लिए ऐतिहासिक कदम बताया। हालांकि, बीजेपी ने इसे प्रचार और नरेंद्र मोदी के खिलाफ गाली-गलौज का मंच करार दिया। यह यात्रा बिहार की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है।
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