Govardhan Puja 2025 Date: गोवर्धन पूजा 2025 हिंदू कैलेंडर के अनुसार दीवाली के ठीक अगले दिन मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है, जिसे अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। यह त्योहार भगवान कृष्ण की उस चमत्कारिक लीला का स्मरण कराता है, जब उन्होंने गोवर्धन पर्वत उठाकर ब्रजवासियों को इंद्रदेव की प्रलयंकारी वर्षा से बचाया था। इस दिन घर-घर में गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा बनाई जाती है, जिसकी विधि-विधान से पूजा की जाती है।
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साथ ही, 56 प्रकार के शाकाहारी व्यंजनों का भोग लगाकर अन्नकूट का प्रसाद वितरित किया जाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि प्रकृति संरक्षण, सामाजिक एकता और गोसेवा का संदेश भी देता है।गोवर्धन पूजा की कथा और महत्वभगवान कृष्ण ने बचपन में ब्रज के लोगों को इंद्र की पूजा छोड़कर गोवर्धन पर्वत की आराधना करने का उपदेश दिया।
इससे क्रोधित होकर इंद्रदेव ने मूसलाधार बारिश कर दी, लेकिन बाल-कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर गोवर्धन पर्वत उठा लिया और सभी को सुरक्षित रखा। यह घटना अहंकार पर विजय और प्रकृति के प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। गोवर्धन पूजा का धार्मिक महत्व भगवान विष्णु के अवतार कृष्ण की लीला में निहित है, जो सिखाती है कि सच्ची भक्ति और एकता से कोई विपदा टाली जा सकती है।
सामाजिक और सांस्कृतिक दृष्टि से, यह त्योहार सामुदायिक एकता को मजबूत करता है। लोग मंदिरों और घरों में इकट्ठा होकर अन्नकूट का भोग लगाते हैं, जो कृतज्ञता और समृद्धि का प्रतीक है। गायों और बैलों की पूजा गोसेवा का संदेश देती है, क्योंकि गाय कृषि और पोषण का आधार है। यह पर्व पर्यावरण संरक्षण की याद दिलाता है, जहां गोवर्धन पर्वत प्राकृतिक संसाधनों का प्रतिनिधित्व करता है।
आधुनिक संदर्भ में, यह त्योहार सतत विकास और सामाजिक समरसता का प्रेरणा स्रोत बन गया है। गोवर्धन पूजा 2025 की सटीक तिथि और शुभ मुहूर्तवर्ष 2025 में गोवर्धन पूजा बुधवार, 22 अक्टूबर को मनाया जाएगा।
यह कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तिथि पर आधारित है, जो 21 अक्टूबर 2025 को शाम 5:54 बजे से प्रारंभ होकर 22 अक्टूबर को रात 8:57 बजे तक रहेगी।
शुभ मुहूर्त:प्रातः कालीन मुहूर्त: सुबह 6:39 बजे से 8:57 बजे तक
सायंकालीन मुहूर्त: दोपहर 3:29 बजे से शाम 5:44 बजे तक (स्थानीय पंचांग के अनुसार मामूली भिन्नता संभव)
पूजा के लिए सूर्योदय के समय गोवर्धन प्रतिमा का निर्माण और परिक्रमा करें। अन्नकूट भोग में मौसमी सब्जियां, दूध-आधारित व्यंजन और फल शामिल करें। इस दिन व्रत रखना और दान-पुण्य करना शुभ माना जाता है। गोवर्धन पूजा न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि जीवन के मूल्यों को जीवंत करने का माध्यम भी। यह हमें सिखाता है कि प्रकृति का सम्मान और सामूहिक प्रयास से हर चुनौती का सामना किया जा सकता है। इस वर्ष, इस पर्व को मनाकर आप भी कृष्ण की लीला से प्रेरणा लें और अपने जीवन में शांति व समृद्धि आमंत्रित करें।
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