दुबई में बसने का सपना अब सिर्फ अमीरों तक सीमित नहीं रहा। संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने अपने गोल्डन वीजा नियमों में बड़ा बदलाव करते हुए इसे आम लोगों के लिए भी सुलभ बना दिया है। पहले जहां इस लॉन्ग टर्म रेजिडेंसी वीजा को पाने के लिए करीब 4 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा का निवेश करना पड़ता था, अब इसे सिर्फ लगभग 23.30 लाख रुपये की फीस भरकर हासिल किया जा सकता है। यही वजह है कि अब भारत जैसे देशों के मिडिल क्लास और अपर मिडिल क्लास लोग भी दुबई में घर खरीदकर बसने का सपना देखने लगे हैं।
गोल्डन वीजा दरअसल एक लंबी अवधि का रेजिडेंसी परमिट है, जो आपको दुबई में रहकर काम करने, पढ़ाई करने और वहां की सुविधाओं का लाभ उठाने की पूरी आज़ादी देता है। पहले यह सुविधा सिर्फ करोड़पति निवेशकों या बिजनेस करने वालों को मिलती थी, लेकिन अब बिना भारी निवेश के भी यह मुमकिन हो गया है।
इस बदलाव के बाद अब लोग सिर्फ वीजा ही नहीं, बल्कि दुबई में प्रॉपर्टी खरीदने के बारे में भी गंभीरता से सोच रहे हैं। हालांकि घरों की कीमतें वहां अब भी लोकेशन और सुविधाओं के हिसाब से काफी अलग-अलग हैं। जैसे डाउनटाउन दुबई, जहां बुर्ज खलीफा और दुबई मॉल जैसे बड़े लैंडमार्क हैं, वहां 2BHK फ्लैट की कीमत 23 करोड़ रुपये से भी ज्यादा है। वहीं, जुमेराह विलेज जैसी जगहों पर 2BHK घर 1.8 करोड़ रुपये में भी मिल सकता है।
इसके अलावा DAMAC हिल्स और दुबई हिल्स एस्टेट जैसी जगहें निवेशकों के बीच खासा लोकप्रिय हैं। प्रॉपर्टी खरीदकर उसे किराए पर देना भी एक स्मार्ट इन्वेस्टमेंट माना जा रहा है। दुबई एक ग्लोबल टूरिस्ट डेस्टिनेशन है, इसलिए यहां किराए की मांग बनी रहती है और सालाना 5% से 8% तक का रिटर्न मिलने की उम्मीद रहती है। सबसे बड़ी बात यह है कि किराए से होने वाली कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना पड़ता।
कुल मिलाकर, गोल्डन वीजा अब सिर्फ एक रेजिडेंसी परमिट नहीं, बल्कि भारत जैसे देशों के हजारों लोगों के लिए दुबई में एक नई जिंदगी शुरू करने का दरवाज़ा बन चुका है। अब सवाल ये नहीं है कि “क्या दुबई में घर लेना मुमकिन है?” बल्कि सवाल यह है कि “आप कहां बसना चाहेंगे – बुर्ज खलीफा के साए में या समंदर के किनारे?”








