बुधवार को सोने की कीमतों में अचानक बड़ी गिरावट देखने को मिली। यह गिरावट पिछले एक हफ्ते में सोने के सबसे निचले स्तर तक पहुंचने का संकेत है। इस गिरावट की बड़ी वजह रही अमेरिकी डॉलर की मजबूती, ट्रेजरी यील्ड में उछाल और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नए टैरिफ की धमकियां। भारत में भी रुपये की मजबूती ने सोने की कीमतों को नीचे धकेल दिया।
अब बाजार की नजर अमेरिका से आने वाले अहम आर्थिक आंकड़ों पर टिकी है, जो आने वाले दिनों में सोने की कीमतों की दिशा तय कर सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय और भारतीय बाजार में कैसी रही कीमत?
बुधवार सुबह 06:24 GMT पर अंतरराष्ट्रीय बाजार में स्पॉट गोल्ड 0.4% गिरकर 3,286.96 डॉलर प्रति औंस पर ट्रेड कर रहा था, जो 30 जून के बाद का सबसे निचला स्तर है। वहीं, अमेरिकी गोल्ड फ्यूचर्स 0.7% की गिरावट के साथ 3,295 डॉलर प्रति औंस पर आ गया।
भारत के मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर अगस्त डिलीवरी वाला गोल्ड कॉन्ट्रैक्ट ₹96,178 प्रति 10 ग्राम पर ट्रेड कर रहा था, जो 0.30% की गिरावट को दिखाता है।
गिरावट की वजह क्या रही?
- अमेरिकी डॉलर दो हफ्ते के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया है, जिससे सोने की मांग पर असर पड़ा।
- अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड भी तीन हफ्तों के उच्च स्तर के पास है।
- डोनाल्ड ट्रंप ने कॉपर, सेमीकंडक्टर और फार्मा प्रोडक्ट्स पर भारी टैरिफ लगाने की बात कही है, जिससे वैश्विक बाजारों में डर का माहौल है।
- ट्रंप ने BRICS देशों और अन्य 14 देशों से आयात पर टैरिफ बढ़ाने की भी चेतावनी दी है।
इन तमाम घटनाओं के बीच निवेशकों ने सुरक्षित ठिकाने के तौर पर इस बार सोने की बजाय डॉलर और अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्ड्स को प्राथमिकता दी, जिससे सोने की चमक फीकी पड़ गई।
रुपये की मजबूती ने भारत में डाला असर
भारत में सोने की कीमतों पर रुपये की मजबूती का असर भी देखने को मिला। एलकेपी सिक्योरिटीज के रिसर्च एनालिस्ट जतिन त्रिवेदी के मुताबिक, रुपया 0.23% मजबूत हुआ, जिससे घरेलू बाजार में सोने की कीमत और नीचे आ गई।
उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोने के लिए 3,290 डॉलर सपोर्ट लेवल है, जबकि रेजिस्टेंस 3,330-3,350 डॉलर के बीच है। भारत में इसका असर ₹95,500 के सपोर्ट और ₹97,500 के रेजिस्टेंस स्तर पर दिख रहा है।
आगे क्या होगा? बाजार का मूड कैसा है?
अब निवेशकों की नजर आज रात अमेरिका के नॉन-फार्म पेरोल और बेरोजगारी के आंकड़ों पर है। ये आंकड़े यह तय करेंगे कि फेडरल रिजर्व अपनी मौद्रिक नीति में क्या बदलाव करेगा – और यही सोने की दिशा को तय कर सकता है।
विशेषज्ञ क्या कह रहे हैं?
हालांकि हालिया गिरावट से निवेशक थोड़े परेशान हो सकते हैं, लेकिन ज्यादातर विशेषज्ञ अभी भी सोने के भविष्य को लेकर पॉजिटिव हैं। PL कैपिटल के CEO संदीप रायचुरा का कहना है कि दुनियाभर के सेंट्रल बैंक हर साल 1,000 टन से ज्यादा सोना खरीद रहे हैं, जो यह दिखाता है कि लॉन्ग टर्म में सोने की मांग बनी रहेगी।
उनका यह भी मानना है कि अमेरिका में महंगाई अभी भी फेडरल रिजर्व के आरामदायक स्तर से ऊपर है, जो सोने के लिए पॉजिटिव संकेत है। रायचुरा का अनुमान है कि सोने की कीमतें मध्यम अवधि में 3,150 से 3,500 डॉलर और लंबी अवधि में 3,700 डॉलर तक जा सकती हैं।
निवेशकों के लिए क्या है मौका?
विशेषज्ञों का मानना है कि मौजूदा गिरावट निवेश का अच्छा मौका हो सकती है। लगातार जारी भू-राजनीतिक तनाव, वैश्विक अनिश्चितताएं और महंगाई जैसे कारण सोने की मांग को मजबूत बनाए रखते हैं।
हालांकि, निवेश से पहले अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों और व्यापार से जुड़ी बड़ी खबरों पर नजर रखना जरूरी होगा। लॉन्ग टर्म निवेशक इस गिरावट में धीरे-धीरे खरीदारी कर सकते हैं।
सोने की मौजूदा गिरावट कई वैश्विक कारणों की वजह से आई है, लेकिन यह डरने की बात नहीं बल्कि समझदारी से निवेश का मौका हो सकता है। एक्सपर्ट्स की राय है कि सोना अभी भी लॉन्ग टर्म के लिए एक मजबूत निवेश विकल्प बना हुआ है।