नई दिल्ली, 19 सितंबर 2025। Godara-Goldi Gang: उत्तर प्रदेश के पश्चिमी इलाकों में अपराध की दुनिया में नया खतरा उभर रहा है। रोहित गोदारा और गोल्डी बराड़ के गैंग ने मिलकर एक विशाल नेटवर्क तैयार कर लिया है, जिसमें 300 से अधिक बदमाश शामिल हैं। ये गुर्गे, खासकर जेनरेशन Z (Gen Z) के युवा, सोशल मीडिया के जरिए भर्ती हो रहे हैं और वेस्ट यूपी में अपना वर्चस्व कायम करने की कोशिश कर रहे हैं।
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हाल की घटनाओं ने पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि यह गैंग न केवल रंगदारी और फायरिंग जैसी वारदातों को अंजाम दे रहा है, बल्कि बॉलीवुड जैसी हाई-प्रोफाइल जगहों तक अपनी पहुंच बना रहा है। रोहित गोदारा, जो अजरबैजान में छिपा हुआ है, और गोल्डी बराड़, कनाडा। यह गैंग मूल रूप से पंजाब-हरियाणा का है।
गोल्डी, जिसका असली नाम सतविंदर सिंह है, एक पूर्व पुलिस सब-इंस्पेक्टर के बेटे हैं। 1994 में जन्मे गोल्डी ने 2011 में पंजाब यूनिवर्सिटी में छात्र राजनीति के दौरान लॉरेंस बिश्नोई गैंग से जुड़ाव शुरू किया। उनके चचेरे भाई गुरलाल सिंह की हत्या के बाद बदले की आग में उन्होंने अपराध की राह पकड़ी। 2022 में सिद्धू मूसेवाला की हत्या का मास्टरमाइंड बनने के बाद गोल्डी रातोंरात कुख्यात हो गया।
रोहित गोदारा, लॉरेंस बिश्नोई का करीबी, हरियाणा के सिरसा जिले का रहने वाला है। दोनों ने हाल ही में लॉरेंस से अलग होकर नया सिंडिकेट बनाया है, जो अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हथियार तस्करी, ड्रग्स और वसूली का कारोबार चला रहा है। इस गैंग की ताकत इसका विशाल नेटवर्क है। अनुमान के मुताबी 300 से ज्यादा सदस्य हैं, जिनमें से कई Gen Z के 18-25 साल के युवा हैं। ये युवा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स जैसे फेसबुक, इंस्टाग्राम और टेलीग्राम पर भर्ती होते हैं। गैंग लक्जरी लाइफस्टाइल, गन कल्चर और ‘बदला’ की कहानियों से इन्हें लुभाता है।
पंजाब पुलिस के एक अभियान में ही 1,000 से ज्यादा संदिग्ध गुर्गों पर नजर रखी गई थी। अब यह नेटवर्क वेस्ट यूपी—बरेली, अमरोहा, गाजियाबाद, मेरठ जैसे जिलों में फैल रहा है। यहां के युवाओं को निशाना बनाकर वे रंगदारी, जबरन वसूली और प्रतिद्वंद्वी गैंग्स पर हमले की साजिश रच रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि वेस्ट यूपी की सीमावर्ती स्थिति और कमजोर कानून-व्यवस्था इस विस्तार को आसान बना रही है।
हाल की घटनाएं इस खतरे को रेखांकित करती हैं। 12 सितंबर 2025 को बरेली में बॉलीवुड एक्ट्रेस दिशा पाटनी के बंगले पर ताबड़तोड़ फायरिंग हुई। सुबह करीब 4:30 बजे अज्ञात बाइक सवारों ने कई राउंड गोलियां चलाईं, लेकिन कोई हादसा नहीं हुआ। गोल्डी बराड़ गैंग ने सोशल मीडिया पर जिम्मेदारी ली और कहा, “ये तो ट्रेलर है।” पुलिस जांच में पता चला कि यह हमला किसी पुरानी दुश्मनी से जुड़ा था। इसके अलावा, अमरोहा में एक बिजनेसमैन को रोहित गोदारा के नाम पर रंगदारी की धमकी मिली, जबकि करनाल में शराब ठेके पर गोदारा-गोल्डी गैंग ने फायरिंग कर जिम्मेदारी पोस्ट की।

गाजियाबाद के ट्रॉनिका सिटी में 17 सितंबर को यूपी एसटीएफ ने दो शूटरों रविंद्र (रोहतक) और अरुण (सोनीपत) को एनकाउंटर में मार गिराया। ये दोनों गैंग के सक्रिय सदस्य थे और दिशा पाटनी के घर पर हुई फायरिंग में शामिल थे। कुल पांच शूटर थे, एक बीमार होने से वापस लौट गया। इनके पास से हथियार और कारतूस बरामद हुए। इन घटनाओं के बाद यूपी एटीएस ने वेस्ट यूपी में गैंग नेटवर्क की निगरानी बढ़ा दी है। अमरोहा के सईदुल अमीन जैसे स्थानीय कनेक्शन की गिरफ्तारी से खुलासा हुआ कि ये गुर्गे अमरोहा-बरेली को नया हेडक्वार्टर बना रहे हैं।
एनआईए और सीबीआई भी अंतरराष्ट्रीय लिंक्स पर काम कर रही हैं। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अमेरिका-कनाडा में बैठे 12 गैंगस्टर्स की लिस्ट तैयार की है, जिनमें गोल्डी और गोदारा के सहयोगी शामिल हैं। भारत इनके प्रत्यर्पण के लिए प्रयासरत है। Gen Z गुर्गों की भूमिका चिंताजनक है। ये युवा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर एन्क्रिप्टेड ऐप्स से संदेश भेजते हैं और ड्रोन तक हथियार डिलीवर करने में माहिर हैं। पुलिस का दावा है कि सख्त कार्रवाई से इस विस्तार को रोका जा सकता है, लेकिन गैंग का अंतरराष्ट्रीय चेहरा चुनौती है। वेस्ट यूपी में शांति के लिए अब बहु-एजेंसी अभियान की जरूरत है, वरना यह अपराध का नया केंद्र बन सकता है।
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