गाजियाबाद, 9 सितंबर 2025। Ghaziabad News: गाजियाबाद के वैशाली और इंदिरापुरम क्षेत्र में रहने वाले लाखों लोगों की नींद उड़ने वाली है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण (जीडीए) ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इन क्षेत्रों के आवंटियों से कुल 624 करोड़ रुपये की वसूली करने की योजना बनाई है। यह राशि 1988 में हुए जमीन अधिग्रहण के लिए किसानों को बढ़ा हुआ मुआवजा देने के लिए वसूली जाएगी। इस फैसले ने स्थानीय निवासियों में हड़कंप मचा दिया है, क्योंकि यह उनके लिए अप्रत्याशित आर्थिक बोझ बनकर सामने आया है।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश और जीडीए की तैयारीवैशाली और इंदिरापुरम योजनाओं के लिए जीडीए ने 35 साल पहले जमीन अधिग्रहण किया था। उस समय वैशाली में किसानों को 50 रुपये प्रति वर्ग गज और इंदिरापुरम में 90 रुपये प्रति वर्ग गज के हिसाब से मुआवजा दिया गया था। किसानों ने कम मुआवजे के खिलाफ कोर्ट में अपील की, और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा।
कोर्ट ने मुआवजे की राशि बढ़ाकर 297 रुपये प्रति वर्ग गज कर दी, और कुछ मामलों में इसे 2251.21 रुपये और 740.57 रुपये प्रति वर्ग गज तक निर्धारित किया। इस बढ़े हुए मुआवजे की भरपाई के लिए जीडीए ने वैशाली से 275 करोड़ और इंदिरापुरम से 349 करोड़ रुपये वसूलने का फैसला लिया है। मेरठ में मंडलायुक्त ऋषिकेश भास्कर यशोद की अध्यक्षता में हुई जीडीए बोर्ड बैठक में इसकी पुष्टि की गई। एक समिति जल्द ही वसूली की रणनीति और दरें तय करेगी।
विरोध की संभावना
वसूली की प्रक्रिया के तहत, जहां बिल्डर सोसायटी संचालित कर रहे हैं, वहां उन्हें नोटिस जारी किए जाएंगे। वहीं, रेजिडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशन (आरडब्ल्यूए) के माध्यम से फ्लैट मालिकों से राशि वसूली जाएगी। जीडीए एक जॉइंट अकाउंट खोलेगा, जिसमें यह राशि जमा होगी। अनुमान है कि 100 वर्ग गज के भूखंड वाले आवंटी को उच्च दरों पर 2.25 लाख रुपये और निम्न दरों पर 74,000 रुपये तक चुकाने पड़ सकते हैं।
इस फैसले ने इंदिरापुरम और वैशाली के दो लाख से अधिक आवंटियों में असंतोष पैदा कर दिया है। कई निवासी विरोध की योजना बना रहे हैं, क्योंकि वे पहले से ही विकास शुल्क और अन्य खर्चों से दबे हुए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह फैसला उनकी आर्थिक स्थिति पर भारी पड़ सकता है, और सरकार को राहत देने के लिए कोई वैकल्पिक उपाय करना चाहिए।
इसके अलावा, जीडीए ने हाईकोर्ट में रिव्यू याचिका दायर की है, लेकिन कोर्ट के अंतिम फैसले से पहले ही वसूली की प्रक्रिया शुरू करने की तैयारी है। यह कदम न केवल आवंटियों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि यह सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी विवाद का कारण बन सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि सरकार को इस मामले में पारदर्शिता और जनता की भागीदारी सुनिश्चित करनी चाहिए, ताकि लोगों का भरोसा बना रहे।
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