कानपुर, 14 अगस्त 2025। Ganga Water Level Increased: कानपुर और इसके आसपास के क्षेत्रों में गंगा नदी का जलस्तर तेजी से बढ़ने से स्थानीय निवासियों में दहशत का माहौल है। भारी बारिश और हरिद्वार व नरोरा बांधों से पानी छोड़े जाने के कारण गंगा का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है। इससे कानपुर के गंगा बैराज के आसपास के 22 गांवों और शुक्लागंज क्षेत्र के 50 गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है, जिससे खेतों और घरों को भारी नुकसान हुआ है। गंगा का जलस्तर वर्तमान में 114.75 मीटर (अपस्ट्रीम) और 114.55 मीटर (डाउनस्ट्रीम) पर बह रही है, जो चेतावनी स्तर 114 मीटर से ऊपर और खतरे के निशान 115 मीटर के करीब है।
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कानपुर के चैनपुरवा, गोपालपुरवा, बनियापुरवा, नाथूपुरवा और शुक्लागंज के सैयद कम्पाउंड, करबाला, चम्पापुरवा जैसे निचले इलाकों में पानी घुसने से सैकड़ों घर प्रभावित हुए हैं। खेतों में खड़ी फसलें बर्बाद हो रही हैं और कई गांवों में सड़कें जलमग्न होने से आवागमन ठप हो गया है। स्थानीय निवासियों का कहना है कि बाढ़ का पानी उनके घरों तक पहुंच गया है, जिससे लोग सड़कों पर शरण लेने को मजबूर हैं। कुछ गांवों में पानी घुटनों तक पहुंच चुका है और कई परिवारों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाया गया है।
जिला प्रशासन ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए सभी 30 गंगा बैराज के गेट खोल दिए हैं ताकि पानी का प्रवाह नियंत्रित किया जा सके। जिला मजिस्ट्रेट विशाख अय्यर ने प्रभावित गांवों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया और तहसीलदार को लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने के निर्देश दिए। बाढ़ चौकियों को सक्रिय कर दिया गया है, और खाद्य सामग्री, दवाइयां, पीने का पानी और अन्य आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति की जा रही है।
सिंचाई विभाग के अनुसार, नरोरा बांध से 1,26,978 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है, जिसके कारण अगले कुछ दिनों में जलस्तर और बढ़ने की आशंका है। प्रशासन ने नदी के किनारे बसे गांवों जैसे लोधवा खेड़ा, शिवदीनपुरवा, दल्लापुरवा और मंगलपुरवा में रहने वालों को अलर्ट रहने और नदी किनारे न जाने की सलाह दी है। बिठूर में निगरानी बढ़ा दी गई है, और 15 स्कूलों को अस्थायी शरण स्थल के रूप में तैयार किया गया है।
स्थानीय लोगों ने सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, क्योंकि गंगा के कटाव से तटबंधों को भी नुकसान पहुंच रहा है। प्रशासन ने नावों और आपातकालीन बचाव दलों को तैनात किया है। यह स्थिति 2010 की बाढ़ की याद दिला रही है, जिसने क्षेत्र में भारी तबाही मचाई थी।
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