Home » अंतर्राष्ट्रीय » पूर्व CIA अधिकारी का खुलासा, हमने ‘खरीद’ लिया था मुशर्रफ को, यूएस के पास थी पाक परमाणु हथियारों की ‘चाबी’

पूर्व CIA अधिकारी का खुलासा, हमने ‘खरीद’ लिया था मुशर्रफ को, यूएस के पास थी पाक परमाणु हथियारों की ‘चाबी’

Share :

Former official John Kiriak

Share :

वॉशिंगटन, 25 अक्टूबर 2025। अमेरिका और पाकिस्तान के बीच गुप्त संबंधों का एक नया अध्याय खुला है। सीआईए के पूर्व अधिकारी जॉन किरियाको ने चौंकाने वाले दावे किए हैं कि 2002 में अमेरिका ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ को ‘खरीद’ लिया था और उसके पास पाक के परमाणु हथियारों की ‘चाबी’ यानी नियंत्रण की कुंजी थी।

इसे भी पढ़ें- India-US Relations: ट्रंप ने बदले तेवर, भारत-यूएस रिश्तों को मजबूत करने का ऐलान, ट्रेड डील पर सकारात्मक संकेत

किरियाको, जो 15 वर्षों तक सीआईए में सेवा दे चुके हैं, ने एक साक्षात्कार में कहा कि पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता और भ्रष्टाचार के बीच अमेरिका ने रणनीतिक रूप से हस्तक्षेप किया था। यह खुलासा 2001-2002 के उस दौर की याद दिलाता है, जब भारत-पाकिस्तान युद्ध के कगार पर थे। दिसंबर 2001 में दिल्ली संसद पर आतंकी हमले के बाद तनाव चरम पर था। किरियाको तब पाकिस्तान में तैनात थे।

उन्होंने बताया कि मुशर्रफ ने परमाणु हथियारों के आतंकवादियों के हाथों लगने के डर से उनका नियंत्रण अमेरिकी पेंटागन को सौंप दिया। “मुशर्रफ ने हथियारों का नियंत्रण अमेरिका को दे दिया, क्योंकि उन्हें डर था कि ये तालिबान या अल-कायदा के पास चले जाएंगे,” किरियाको ने कहा। यह दावा अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से बेहद संवेदनशील है, क्योंकि पाकिस्तान दुनिया का एकमात्र मुस्लिम बहुल देश है जो परमाणु शक्ति संपन्न है। किरियाको ने मुशर्रफ पर सीधा आरोप लगाया कि अमेरिका ने उन्हें ‘खरीद’ लिया।

“हमने मुशर्रफ को लाखों-करोड़ों डॉलर की सैन्य और आर्थिक सहायता देकर प्रभावित किया। हम हफ्ते में कई बार उनसे मिलते थे और वे हमें जो चाहें करने देते थे,” उन्होंने खुलासा किया। मुशर्रफ की तानाशाही के दौर में पाकिस्तान अमेरिका का प्रमुख सहयोगी बन गया था, खासकर अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ ‘वॉर ऑन टेरर’ में। किरियाको ने पाकिस्तान के भ्रष्टाचार पर तीखा प्रहार किया।

“देश भ्रष्टाचार के दलदल में डूबा था। पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो जैसे नेता खाड़ी देशों में राजसी ठाठ-बाट से जीवन बिता रहे थे, जबकि आम पाकिस्तानी भूख से तड़प रहे थे।”राजनीतिक अस्थिरता पर भी चिंता जताई। किरियाको ने कहा कि पाकिस्तानियों में उकसावे की प्रवृत्ति है। “प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क जाती है, लोग मारे जाते हैं, राजनीतिक हत्याएं होती हैं।” यह चिंता आज भी प्रासंगिक है, जब इमरान खान जैसे नेता जेल में हैं और सड़कों पर विरोध हो रहे हैं।

मुशर्रफ की आत्मकथा ‘इन द लाइन ऑफ फायर’ में भी अमेरिका के साथ उनके यू-टर्न का जिक्र है, जहां उन्होंने तालिबान समर्थन छोड़कर अमेरिका का साथ दिया। ये दावे विवादास्पद हैं और स्वतंत्र पुष्टि का अभाव है, लेकिन ये अमेरिका-पाक संबंधों की जटिलताओं को उजागर करते हैं। क्या यह खुलासा क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा बनेगा? समय बताएगा।

 

इसे भी पढ़ें- Bumper Vacancy: बिना एग्जाम के नौकरी पाने का सुनहरा अवसर, इस राज्य में भरे जा रहे मेडिकल टेक्नोलॉजिस्ट के पद, जल्द करें आवेदन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Advertisement
News Portal Development Services in Uttar Pradesh
Cricket Score
सबसे ज्यादा पड़ गई
Share Market

शहर चुनें

Follow Us