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Flood in UP: यमुना ने आगरा में तोड़ा 47 साल का रिकॉर्ड, यूपी में दिख रहा नदियों का रौद्र रूप

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Flood in UP

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  •  यमुना उफान पर, आगरा में खतरे का निशान पार
  • प्रयागराज और वाराणसी में गंगा-यमुना की तबाही
  • 43 जिलों में बाढ़ का असर, राहत कार्य तेज
  • कृषि और जनजीवन पर भारी संकट

लखनऊ, 9 सितंबर 2025। Flood in UP: उत्तर प्रदेश में भारी बारिश और नदियों के उफान ने व्यापक तबाही मचाई है। आगरा में यमुना नदी ने 47 साल बाद खतरे के निशान को पार कर लिया, जिससे निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति गंभीर हो गई है। गंगा, यमुना, घाघरा, शारदा, सरयू, केन और चंबल जैसी प्रमुख नदियां कई जिलों में खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं, जिससे 43 जिले बाढ़ की चपेट में हैं। इस प्राकृतिक आपदा ने लाखों लोगों के जीवन को प्रभावित किया है  और प्रशासन राहत कार्यों में जुटा है।

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 495.8 फीट तक पंहुचा यमुना का जलस्तर

Flood in UP

आगरा में यमुना का जलस्तर 495.8 फीट तक पहुंच गया, जो ‘लो फ्लड लेवल’ को पार करता है। यह 47 साल में पहली बार हुआ जब यमुना ने इतना उग्र रूप दिखाया। पोइया घाट, पार्वती घाट और श्मशान घाट जलमग्न हो गए और यमुना के किनारे की गलियां पानी से भर गईं। प्रशासन ने मुनादी कराकर लोगों को नदी किनारे न जाने की चेतावनी दी है। गोकुल बैराज से 7 लाख क्यूसेक से अधिक पानी छोड़ा गया, जिसने स्थिति को और गंभीर बना दिया। खेतों में फंसे 25 किसानों को तीन घंटे की मशक्कत के बाद बचाया गया।

200 से अधिक गांव जलमग्न

प्रयागराज में गंगा और यमुना दोनों नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। नैनी में यमुना का जलस्तर 86.04 मीटर और फाफामऊ में गंगा 86.03 मीटर तक पहुंच गई। 200 से अधिक गांव और 60 शहरी इलाके जलमग्न हैं। संगम क्षेत्र के मंदिर और सड़कें पानी में डूब गई हैं, जिससे स्थानीय लोग और तीर्थयात्री परेशान हैं। वाराणसी में गंगा 71.66 मीटर तक पहुंचकर 84 घाटों को डुबो चुकी है। दशाश्वमेध, अस्सी और मणिकर्णिका घाट पानी में हैं, और अंतिम संस्कार सड़कों पर हो रहे हैं। नावों का संचालन बंद है और एनडीआरएफ टीमें राहत कार्य में जुटी हैं।

बचाव कार्य तेज

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उत्तर प्रदेश के 43 जिले बाढ़ से प्रभावित हैं, जिनमें 2,505 गांव और 1,44,945 हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न है। 9 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं, और 11,248 लोग विस्थापित हुए हैं। प्रशासन ने 1,376 राहत शिविर स्थापित किए हैं, जहां 91,105 लोग शरण लिए हुए हैं। अयोध्या, बांदा, एटा, और फर्रुखाबाद जैसे जिलों में राहत और बचाव कार्य तेज किए गए हैं। सरीयू नदी अयोध्या में 56 सेमी ऊपर बह रही है, और बांदा में केन व यमुना ने कई गांवों को डुबो दिया है। 3,273 नावें और मोटरबोट बचाव कार्य में लगी हैं।

कृषि और जनजीवन पर संकट

बाढ़ ने कृषि क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचाया है। फर्रुखाबाद में 160 गांव जलमग्न हैं, और 229 स्कूल बंद कर दिए गए हैं। फसलों का नुकसान किसानों के लिए बड़ा झटका है, और स्थिर पानी से सांपों के काटने और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। नोएडा में 5,000 से अधिक फार्महाउस प्रभावित हुए हैं। प्रशासन ने खाद्य सामग्री, पीने का पानी और जीवन रक्षक जैकेट वितरित किए हैं, लेकिन प्रभावित लोग सरकारी सहायता की कमी की शिकायत कर रहे हैं।

आने वाले दिनों में और बारिश की संभावना है, जिससे बाढ़ का खतरा और बढ़ सकता है। प्रशासन और एनडीआरएफ टीमें हाई अलर्ट पर हैं, लेकिन इस आपदा ने यूपी के जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है।

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