पंजाब, 4 सितंबर 2025। Flood in Punjab: पंजाब इस समय अपनी सबसे भयावह बाढ़ से जूझ रहा है, जो पिछले 37 वर्षों में सबसे विनाशकारी मानी जा रही है। भारी बारिश और हिमाचल प्रदेश व जम्मू-कश्मीर के जलग्रहण क्षेत्रों में अतिवृष्टि के कारण सतलुज, ब्यास और रावी जैसी प्रमुख नदियों और मौसमी नालों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर गया है।
इस प्राकृतिक आपदा ने पंजाब के सभी 23 जिलों को प्रभावित किया है, जिसमें 1400 से अधिक गांव जलमग्न हो चुके हैं, 37 लोगों की जान जा चुकी है, और लगभग 4.5 लाख लोग प्रभावित हुए हैं।अगस्त में हुई 253.7 मिमी बारिश, जो सामान्य से 74% अधिक है, ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। यह लेख इस आपदा के कारणों, प्रभावों और राहत प्रयासों पर प्रकाश डालता है।
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इस वजह से आई बाढ़
पंजाब में इस भयंकर बाढ़ के लिए कई कारक जिम्मेदार हैं। सबसे पहले, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर में भारी बारिश ने नदियों के जलस्तर को अभूतपूर्व स्तर तक बढ़ा दिया। इसके अलावा, भारत और पाकिस्तान दोनों में बांधों से नियंत्रित और अनियंत्रित जल निकासी ने निचले इलाकों में बाढ़ को और बढ़ावा दिया। विशेष रूप से, भारत द्वारा अपने बांधों से पानी छोड़ने की चेतावनी के बाद पाकिस्तान के पंजाब में बाढ़ की स्थिति और खराब हो गई। पाकिस्तान ने भारत पर “पानी को हथियार बनाने” का आरोप लगाया है, हालांकि भारत ने इस पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की।
जलवायु परिवर्तन भी इस आपदा का एक प्रमुख कारण है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के कारण मानसून की बारिश पहले से कहीं अधिक अनियमित और तीव्र हो गई है। इसके अलावा, पंजाब में नदियों की नियमित डी-सिल्टिंग (गाद हटाने) की कमी और अतिक्रमण के कारण नदियों की जल वहन क्षमता कम हो गई है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ गया।
1.48 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न
शहरी क्षेत्रों में खराब जल निकासी प्रणाली और डी-फॉरेस्टेशन ने भी स्थिति को और जटिल बनाया। पंजाब, जिसे भारत का “अन्न भंडार” कहा जाता है, इस बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। लगभग 1.48 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि जलमग्न हो चुकी है, जिससे धान, मक्का, गन्ना, कपास और सब्जियों की फसलों को भारी नुकसान हुआ है। यह नुकसान किसानों के लिए विशेष रूप से विनाशकारी है, जो पहले से ही कर्ज के बोझ तले दबे हुए हैं। कई किसानों ने अपनी फसलों के लिए उधार लिए गए धन को चुकाने की उम्मीद खो दी है।
पशुधन को भी भारी नुकसान हुआ है, क्योंकि कई पशु बाढ़ के पानी में बह गए या डूब गए। ग्रामीण परिवार, जो अपनी आजीविका के लिए पशुधन पर निर्भर हैं, अब गंभीर आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं। बाढ़ ने न केवल कृषि को प्रभावित किया, बल्कि बुनियादी ढांचे को भी भारी नुकसान पहुंचाया है। सड़कें, पुल, और बिजली के खंभे क्षतिग्रस्त हो गए हैं, जिससे कई क्षेत्रों में यातायात और बिजली आपूर्ति ठप हो गई है। गुरदासपुर, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, फिरोजपुर, होशियारपुर, तरनतारन और फाजिल्का जैसे जिले सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। गुरदासपुर में 324 गांव और अमृतसर में 135 गांव बाढ़ की चपेट में हैं। कई गांवों में पानी 8 से 10 फीट तक गहरा है, जिसके कारण लोग नावों के सहारे आवागमन कर रहे हैं।
फ़ैल रहीं संक्रामक बीमारियां
बाढ़ ने एक गंभीर मानवीय संकट को जन्म दिया है। लगभग 20,000 लोग निचले इलाकों से निकाले गए हैं और 174 राहत शिविरों में रखे गए हैं। हालांकि, कई लोग राहत शिविरों में खराब सुविधाओं के कारण अपने घरों में ही रहने को मजबूर हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में साफ पानी और भोजन की कमी के कारण डायरिया, मलेरिया, और त्वचा संक्रमण जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अस्पतालों में आपातकाल की घोषणा की है, क्योंकि हैजा और हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।
सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाए गये 19,597 लोग
पंजाब सरकार, सेना, एनडीआरएफ, बीएसएफ, और स्वयंसेवी संगठनों ने राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाई है। अब तक 19,597 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है, और 74 राहत शिविर सक्रिय हैं। सेना ने नावों और हेलीकॉप्टरों के माध्यम से भोजन, पानी और चिकित्सा सहायता पहुंचाई है। पंजाब सरकार ने नुकसान का आकलन करने के लिए विशेष “गिरदावरी” शुरू की है और प्रभावित किसानों को मुआवजे का आश्वासन दिया है। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने केंद्र सरकार से राहत नियमों में संशोधन की मांग की है, ताकि किसानों को पर्याप्त मुआवजा मिल सके।
उजागर हुईं खामियां
पंजाब की यह बाढ़ एक बार फिर जलवायु परिवर्तन और खराब आपदा प्रबंधन की चुनौतियों को उजागर करती है। विशेषज्ञों का कहना है कि नदियों की नियमित डी-सिल्टिंग, बेहतर जल निकासी प्रणाली, और वनों की सुरक्षा जैसे कदम भविष्य में बाढ़ के प्रभाव को कम कर सकते हैं। साथ ही, भारत और पाकिस्तान के बीच बेहतर समन्वय और समय पर सूचना साझा करने से सीमा पार बाढ़ के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
पंजाब की इस बाढ़ ने न केवल लाखों लोगों की आजीविका को प्रभावित किया है, बल्कि यह भी दिखाया है कि जलवायु परिवर्तन और मानवीय लापरवाही प्राकृतिक आपदाओं को और घातक बना सकती हैं। सरकार और समाज को मिलकर दीर्घकालिक समाधानों पर काम करने की जरूरत है, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके। अभी के लिए, राहत और पुनर्वास कार्यों को प्राथमिकता देना जरूरी है, ताकि प्रभावित लोग अपने जीवन को फिर से शुरू कर सकें।
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