असम, 21 सितंबर 2025। असम के मशहूर गायक, संगीतकार और सांस्कृतिक आइकन जुबीन गर्ग का पार्थिव शरीर 21 सितंबर 2025 को गुवाहाटी पहुंचा, तो पूरा शहर शोक की लहर में डूब गया। 52 वर्षीय जुबीन का निधन 19 सितंबर को सिंगापुर में एक दुखद हादसे में हो गया था। वह नॉर्थ ईस्ट इंडिया फेस्टिवल के लिए सिंगापुर गए थे, जहां लाजरस द्वीप पर तैरते हुए उन्हें दौरा पड़ा, जिससे उनकी मौत हो गई। उनकी पत्नी गरिमा साइकिया गर्ग ने स्पष्ट किया कि यह स्कूबा डाइविंग हादसा नहीं था, बल्कि दूसरी स्विमिंग के दौरान दौरा पड़ने से हृदयाघात हुआ।
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जुबीन को पहले भी दौरा पड़ चुका था, लेकिन इस बार वे लाइफ जैकेट भी नहीं पहने थे। सिंगापुर के सिंगापुर जनरल हॉस्पिटल में दोपहर 2:30 बजे उनका निधन हो गया। खबर फैलते ही असम में सन्नाटा छा गया। मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने दिल्ली जाकर उनके पार्थिव शरीर को प्राप्त किया और विशेष उड़ान से गुवाहाटी लाए। लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर सुबह 6 बजे जैसे ही एम्बुलेंस पहुंची, हजारों प्रशंसक उमड़ पड़े। भीड़ इतनी उग्र हो गई कि बैरिकेड तोड़ दिए गए, पुलिस को हल्की लाठीचार्ज करनी पड़ी।

प्रशंसकों ने नारे लगाए, “जुबीन दा अमर रहो” और “श्यामकानू महंता मुरदाबाद”। आयोजनकर्ता श्यामकानू महंता पर गंभीर आरोप लगे, जिसके चलते असम पुलिस ने कई एफआईआर दर्ज कीं और सीआईडी को जांच सौंपी गई। पार्थिव शरीर सबसे पहले जुबीन के काहिलीपारा स्थित आवास पहुंचा, जहां परिवार ने अंतिम दर्शन किए। 80 वर्षीय पिता मोहिनी मोहन बोर्थाकुर, जो अल्जाइमर से पीड़ित हैं, शांत बैठे रहे। पत्नी गरिमा ने शोक संतप्त लोगों को सांत्वना दी। उसके बाद पार्थिव शरीर को अर्जुन भोगेश्वर बरुआ स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स (सरूसाजई स्टेडियम) ले जाया गया, जहां सुबह 9 बजे से शाम 7 बजे तक अंतिम दर्शन के लिए रखा गया।
पारंपरिक गमछा ओढ़े ग्लास के ताबूत में जुबीन के पार्थिव शरीर को देखने के लिए लाखों लोग उमड़े। सड़कों पर जुलूस बने, लोग रोते-बिलखते नारे लगाते चले। स्टेडियम के बाहर भारी भीड़ जुटी थी। पुलिस ने भारी सुरक्षा तैनात की।असम सरकार ने 20 से 22 सितंबर तक तीन दिवसीय राजकीय शोक घोषित किया। इस दौरान कोई आधिकारिक मनोरंजन या समारोह नहीं होगा। शिक्षा मंत्री रनोज पेगू ने स्कूलों की अर्धवार्षिक परीक्षाएं स्थगित कर दीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर कहा, “यह खबर स्तब्ध करने वाली है।

जुबीन की आवाज असम की आत्मा थी।” राहुल गांधी ने इसे “दुखद घटना” बताया। बॉलीवुड से अलील हुसैन, विशाल मिश्रा और आर्मान मलिक ने शोक व्यक्त किया। जुबीन गर्ग असम के गौरव थे। 1972 में मेघालय के तुरा में जन्मे वे जोरहाट से गुवाहाटी आए और तीन दशकों में असमिया संगीत को नई ऊंचाई दी। “मायाबिनी”, “ओ मोर अपुनार देश” जैसे गीतों ने लाखों दिल जीते।
वे अभिनेता, फिल्ममेकर भी थे और असमिया पहचान के प्रबल समर्थक। उनकी मौत ने न सिर्फ संगीत प्रेमियों को, बल्कि पूरे पूर्वोत्तर को झकझोर दिया। गुवाहाटी की सड़कें शांत हो गईं, लेकिन उनकी धुनें अमर रहेंगी। यह शोक असम की एकजुटता का प्रतीक बना। अंतिम संस्कार सरूसाजई में ही शाम को संपन्न हुआ, जहां हजारों ने अलविदा कहा। जुबीन दा, तुम्हारी कमी हमेशा खलेगी।
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