नई दिल्ली, 17 सितंबर 2025। Fake Medicines: भारत में नकली दवाओं का कारोबार एक बार फिर सुर्खियों में है, क्योंकि मेडिकल स्टोर संचालकों ने मुनाफे की लालच में नकली दवाओं पर असली क्यूआर कोड का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। यह खुलासा न केवल दवा उद्योग में जालसाजी की गंभीरता को उजागर करता है, बल्कि आम जनता की सेहत के साथ हो रहे खिलवाड़ को भी सामने लाता है।
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नकली दवाएं बेचने वाले इस नए तरीके ने स्वास्थ्य विभाग और नियामक संस्थाओं के लिए बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। जांच में सामने आया कि कुछ मेडिकल स्टोर संचालक और दवा माफिया नकली दवाओं को असली दिखाने के लिए क्यूआर कोड की तकनीक का दुरुपयोग कर रहे हैं। असली दवाओं पर मौजूद क्यूआर कोड को स्कैन कर उनकी प्रामाणिकता की जांच की जा सकती है, लेकिन माफिया ने इस तकनीक को ही हथियार बना लिया। वे नकली दवाओं की पैकेजिंग पर असली क्यूआर कोड का उपयोग कर रहे हैं, जिससे खरीदारों को भरोसा हो जाता है कि दवा असली है।
यह धोखाधड़ी न केवल मरीजों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है, बल्कि जानलेवा भी साबित हो सकती है। इस रैकेट का पर्दाफाश तब हुआ, जब स्वास्थ्य विभाग की एक छापेमारी में कई मेडिकल स्टोर्स से नकली दवाएं बरामद की गईं। इन दवाओं में जीवन रक्षक दवाएं, एंटीबायोटिक्स और पुरानी बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाएं शामिल थीं। जांच में पता चला कि मुनाफे की लालच में कुछ संचालक निम्न गुणवत्ता वाली या बिना सक्रिय तत्वों की दवाएं बेच रहे थे, जिनका कोई चिकित्सीय प्रभाव नहीं था। ऐसे में मरीजों को इलाज के बजाय उनकी स्थिति और बिगड़ने का खतरा बढ़ गया।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि नकली दवाओं का यह कारोबार देश में लंबे समय से चल रहा है, लेकिन क्यूआर कोड जैसी आधुनिक तकनीक का दुरुपयोग इसे और खतरनाक बना रहा है। सरकार ने नकली दवाओं के खिलाफ सख्त कानून बनाए हैं, लेकिन लागू करने में कमी के कारण माफिया बेखौफ होकर काम कर रहे हैं। इस घटना ने दवा आपूर्ति श्रृंखला में पारदर्शिता और सख्त निगरानी की जरूरत को रेखांकित किया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय और दवा नियामक प्राधिकरण ने इस मामले में तत्काल कार्रवाई का आश्वासन दिया है। कई मेडिकल स्टोर्स के लाइसेंस रद्द किए गए हैं, और दोषियों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज किए जा रहे हैं। इसके साथ ही, जनता से अपील की गई है कि वे दवाएं खरीदते समय क्यूआर कोड स्कैन करें और उनकी प्रामाणिकता की जांच करें। विशेषज्ञों ने सुझाव दिया है कि दवा उद्योग में ब्लॉकचेन जैसी तकनीकों का उपयोग नकली दवाओं को रोकने में कारगर हो सकता है।यह घटना आम जनता के लिए एक चेतावनी है कि वे केवल विश्वसनीय मेडिकल स्टोर्स से ही दवाएं खरीदें।
सरकार से मांग की जा रही है कि दवा माफिया के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त नियम लागू किए जाएं। जनता की सेहत से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाना चाहिए, क्योंकि यह न केवल व्यक्तिगत नुकसान बल्कि पूरे समाज के लिए खतरा है। इस मामले ने एक बार फिर दवा उद्योग में सुधार और पारदर्शिता की तत्काल आवश्यकता को उजागर किया है।
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