मध्य प्रदेश, 3 नवंबर 2025। मध्य प्रदेश के खंडवा जिले के पेठिया गांव में पुलिस की छापेमारी ने एक चौंकाने वाला खुलासा किया है। यहां एक मदरसे के इमाम जुबेर के घर से 19 लाख 78 हजार रुपये के नकली नोटों का भंडार बरामद हुआ है।
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यह रैकेट महाराष्ट्र के मालेगांव से जुड़ा हुआ है, जहां हाल ही में 10 लाख रुपये के फर्जी नोटों के साथ एक आरोपी को पकड़ा गया था। उसकी पूछताछ से मिले सुरागों के आधार पर खंडवा पुलिस ने तुरंत कार्रवाई की। एएसपी महेंद्र तारनेकर ने बताया कि आरोपी को ट्रांजिट रिमांड पर महाराष्ट्र से खंडवा लाया जा रहा है, जहां गहन पूछताछ होगी।
सवाल उठ रहे हैं कि ये नोट कहां खपाए जाते थे, छपाई का केंद्र कहां था और इस नेटवर्क की जड़ें कितनी गहरी हैं? जुबेर, मूल रूप से बुरहानपुर जिले के हरिपुरा का रहने वाला है और पहले ही लूट और चोरी के कई मामलों में वांछित था। बुरहानपुर पुलिस की नजरों से बचने के लिए चार महीने पहले वह खंडवा आया और पेठिया गांव के मदरसे में इमाम का पद संभाला। यहां उसे 12 हजार रुपये मासिक वेतन और एक कमरा मिला, लेकिन यह नौकरी महज आड़ थी।
इमामबाड़े से जुड़े लोगों के अनुसार, जुबेर ने पिछले चार महीनों में 17 बार ‘तबीयत खराब’ या ‘पिता के इलाज’ के बहाने छुट्टी ली। इन छुट्टियों का असली मकसद था नकली नोटों की डिलीवरी। मदरसे के कमरे को ‘डार्क रूम’ में तब्दील कर वह फर्जी करेंसी का स्टॉक रखता था। ग्रामीण फाजिल पटेल ने बताया, “यह शर्मनाक है कि इतनी मामूली सैलरी पर रहते हुए वह पूरे इलाके को खोखला कर रहा था, और किसी को भनक तक नहीं लगी।”
पेठिया गांव का इतिहास अपराधों से सना रहा है। यहां वन विभाग की लकड़ी तस्करी, गोवंश चोरी और सोलर प्लांट से बिजली के तार चुराने जैसे कई केस दर्ज हो चुके हैं। सोशल मीडिया पर मालेगांव की खबर वायरल होते ही ग्रामीणों ने खंडवा पुलिस को अलर्ट किया। जावर थाने की टीम ने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर इमाम के ताले तोड़े और सूटकेस खोलकर नकली नोटों का ढेर देखा। सबकी आंखें फटी की फटी रह गईं।
पुलिस अब जुबेर के संपर्कों, सप्लाई चेन और खपत के रास्तों की तहकीकात कर रही है। इस घटना ने पूरे समाज में आक्रोश पैदा कर दिया है। खंडवा विधायक कंचन तंवे ने एएसपी तारनेकर से मिलकर सभी मदरसों की जांच की मांग की। उन्होंने इसे ‘देशद्रोह’ करार देते हुए कहा कि ऐसे रैकेटों से अर्थव्यवस्था को गहरा नुकसान पहुंच रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला बड़े नकली नोट सिंडिकेट का हिस्सा हो सकता है, जो सीमापार से संचालित होता है। पुलिस की यह सफलता न केवल स्थानीय स्तर पर राहत है, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए चेतावनी भी। जांच आगे बढ़ने पर और खुलासे हो सकते हैं, जो इस काले कारोबार की जड़ें उखाड़ फेंकेंगी। क्या यह मदरसों में छिपे खतरे का संकेत है? समय रहते सख्त कदम उठाने की जरूरत है।
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