-
बिहार के बाद अब पूरे देश में SIR की तैयारी
-
अवैध प्रवासियों को हटाने पर विशेष जोर
-
पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने की चुनौती
नई दिल्ली, 11 सितंबर 2025। भारत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) जल्द ही देशभर में विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) अभियान शुरू करने का फैसला लेने वाला है। यह अभियान मतदाता सूची को शुद्ध और सटीक बनाने के उद्देश्य से शुरू किया जाएगा। आयोग ने 10 सितंबर 2025 को नई दिल्ली में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (सीईओ) के साथ एक दिन की महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें इस अभियान की तैयारियों पर चर्चा हुई। सूत्रों के अनुसार, यह अभियान अक्टूबर 2025 से शुरू हो सकता है, जिसके लिए सितंबर तक आधारभूत कार्य पूरा करने का लक्ष्य है।
इसे भी पढ़ें- UP Assembly Elections 2027: वोटर लिस्ट में बड़े संशोधन, निर्वाचन आयोग ने जारी किए निर्देश
बिहार के बाद अब पूरे देश में SIR की तैयारी
बिहार में हाल ही में शुरू हुए एसआईआर अभियान के अनुभवों के आधार पर आयोग अब इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की योजना बना रहा है। बिहार में इस प्रक्रिया के तहत 52 लाख से अधिक मतदाताओं के पते पर अनुपस्थिति पाई गई, जिसने प्रक्रिया की प्रभावशीलता को दर्शाया। मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार की अध्यक्षता में हुई बैठक में बिहार के सीईओ ने अपने अनुभव साझा किए। आयोग ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे अपनी मतदाता सूचियों को डिजिटाइज करें और पिछले एसआईआर के बाद प्रकाशित सूचियों को अपनी वेबसाइट्स पर अपलोड करें। यह कदम 2026 में होने वाले असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों से पहले विशेष रूप से महत्वपूर्ण है।
अवैध प्रवासियों को हटाने पर विशेष जोर
एसआईआर का प्राथमिक लक्ष्य मतदाता सूची से अवैध विदेशी प्रवासियों, विशेष रूप से बांग्लादेश और म्यांमार से आए लोगों को हटाना है। इसके लिए जन्म स्थान और अन्य दस्तावेजों की गहन जांच होगी। राज्यों के सीईओ से स्थानीय स्तर पर मान्य प्रमाणपत्रों की सूची तैयार करने को कहा गया है, जैसे कि स्वायत्त परिषदों या स्थानीय निकायों द्वारा जारी दस्तावेज। यह कदम हाल के वर्षों में विभिन्न राज्यों में अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के बाद और भी प्रासंगिक हो गया है। आयोग का कहना है कि यह प्रक्रिया संवैधानिक दायित्व को पूरा करने के लिए है, ताकि मतदाता सूची की अखंडता बनी रहे।
पारदर्शिता और सटीकता सुनिश्चित करने की चुनौती
हालांकि, बिहार में एसआईआर को लेकर विपक्षी दलों, विशेष रूप से राजद और कांग्रेस, ने प्रक्रिया की पारदर्शिता और समय पर सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है, जिसके कारण आयोग अंतिम समयसीमा तय करने से पहले कोर्ट के निर्देशों का इंतजार कर रहा है। फिर भी, आयोग ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे पोलिंग स्टेशनों का पुनर्गठन करें और प्रत्येक बूथ पर मतदाताओं की संख्या 1,200 तक सीमित रखें। यह अभियान न केवल मतदाता सूची को शुद्ध करेगा, बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि कोई भी पात्र नागरिक मतदाता सूची से वंचित न रहे और कोई अपात्र व्यक्ति शामिल न हो।
आयोग का यह कदम स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों के लिए महत्वपूर्ण है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह अभियान पारदर्शी और समावेशी तरीके से लागू हुआ, तो यह भारतीय लोकतंत्र को और मजबूत करेगा।
इसे भी पढ़ें- राहुल गांधी के वोट चोरी के आरोपों पर चुनाव आयोग का सख्त रुख, मांगा जवाब