नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी द्वारा कर्नाटक और महाराष्ट्र के चुनावों में वोटर लिस्ट में धांधली के गंभीर आरोपों के बाद चुनाव आयोग ने कड़ा रुख अपनाया है। आयोग ने राहुल गांधी से उनके दावों के समर्थन में शपथ पत्र जमा करने की मांग की है। राहुल ने दावा किया था कि उनके पास मतदाता सूची में हेराफेरी और वोट चोरी के पुख्ता सबूत हैं, जो भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के पक्ष में किए गए।
उन्होंने कर्नाटक के बेंगलुरु सेंट्रल लोकसभा सीट के महादेवपुरा विधानसभा क्षेत्र में एक लाख से अधिक फर्जी वोटर और अमान्य पतों का उदाहरण देते हुए आयोग पर बीजेपी के साथ मिलकर लोकतंत्र को नष्ट करने का आरोप लगाया। कर्नाटक के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (सीईओ) ने राहुल गांधी को पत्र लिखकर 8 अगस्त 2025 को दोपहर 1 से 3 बजे के बीच मुलाकात का समय दिया है। आयोग ने कहा कि राहुल को अपने दावों के पक्ष में अपात्र मतदाताओं के नाम, उनके पार्ट नंबर और सीरियल नंबर के साथ शपथ पत्र देना होगा।
आयोग ने चेतावनी दी कि यदि राहुल झूठी जानकारी देते हैं, तो उनके खिलाफ RP Act 1950 की धारा 31 और भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 227 के तहत कानूनी कार्रवाई हो सकती है। आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि SSR 2025 की ड्राफ्ट और फाइनल वोटर लिस्ट कांग्रेस को नवंबर 2024 और जनवरी 2025 में दे दी गई थी, लेकिन कांग्रेस की ओर से कोई औपचारिक आपत्ति या अपील दाखिल नहीं की गई।
राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दावा किया कि उनकी पार्टी ने छह महीने की जांच के बाद सबूत एकत्र किए हैं, जिन्हें वह जल्द ही सार्वजनिक करेंगे। उन्होंने महाराष्ट्र में 40 लाख संदिग्ध वोटर और कर्नाटक में एक लाख से अधिक फर्जी वोटर जोड़े जाने का आरोप लगाया। कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार ने भी इन आरोपों का समर्थन किया, विशेष रूप से बेंगलुरु ग्रामीण सीट पर 60,000 से अधिक मतदाताओं की हेराफेरी का दावा किया।
चुनाव आयोग ने राहुल के आरोपों को बेबुनियाद और भ्रामक करार देते हुए कहा कि यदि उनके पास ठोस सबूत हैं, तो उन्हें शपथ पत्र के साथ पेश करना चाहिए, अन्यथा देश को गुमराह करना बंद करें। आयोग ने यह भी कहा कि वह निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से काम करता है और ऐसे गैर-जिम्मेदाराना बयानों को नजरअंदाज करता है।
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