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अनिल अंबानी पर ईडी का शिकंजा: 3,000 करोड़ के लोन फ्रॉड मामले में समन, यस बैंक कनेक्शन उजागर

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Anil Ambani

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  • 2:3,000 करोड़ का बैंक लोन घोटाला
  • अनिल अंबानी को ईडी का समन
  •  क्या है यस बैंक से रिश्ता?

नई दिल्ली, 2 अगस्त 2025: उद्योगपति अनिल अंबानी एक बार फिर सुर्खियों में हैं, लेकिन इस बार वजह उनकी व्यावसायिक उपलब्धियां नहीं, बल्कि एक बड़ा वित्तीय घोटाला है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अनिल अंबानी को 3,000 करोड़ रुपये के कथित बैंक लोन फ्रॉड और मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ के लिए समन जारी किया है। यह मामला रिलायंस अनिल धीरुभाई अंबानी ग्रुप (आरएएजीए) की कंपनियों और यस बैंक के बीच 2017 से 2019 के दौरान हुए लेनदेन से जुड़ा है। अंबानी को 5 अगस्त 2025 को ईडी के दिल्ली मुख्यालय में पेश होने के लिए कहा गया है, जहां उनका बयान मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत दर्ज किया जाएगा।

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ईडी की जांच का केंद्र बिंदु यस बैंक द्वारा रिलायंस ग्रुप की कंपनियों को दिए गए लगभग 3,000 करोड़ रुपये के लोन हैं, जिन्हें कथित तौर पर शेल कंपनियों और अन्य ग्रुप इकाइयों में डायवर्ट किया गया। जांच में यह भी सामने आया है कि लोन स्वीकृत होने से ठीक पहले यस बैंक के प्रमोटरों से संबंधित संस्थाओं को भुगतान किया गया था, जिससे “ब्राइब-फॉर-लोन” (रिश्वत के बदले लोन) की आशंका पैदा हो रही है। ईडी ने इस मामले में गंभीर अनियमितताएं पाई हैं, जिनमें क्रेडिट अप्रूवल मेमोरेंडम (सीएएम) को बैकडेट करना, बिना उचित जांच या क्रेडिट विश्लेषण के निवेश प्रस्ताव देना, और बैंक की क्रेडिट नीति का उल्लंघन शामिल है।पिछले हफ्ते, 24 जुलाई 2025 को ईडी ने मुंबई और दिल्ली में अनिल अंबानी की कंपनियों से जुड़े 35 से अधिक स्थानों पर छापेमारी की थी।

इन छापों में 50 कंपनियों और 25 व्यक्तियों को शामिल किया गया, जिनमें रिलायंस ग्रुप के कई वरिष्ठ अधिकारी भी थे। छापेमारी के दौरान भारी मात्रा में दस्तावेज, हार्ड ड्राइव, और अन्य डिजिटल रिकॉर्ड जब्त किए गए। यह जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा दर्ज दो प्राथमिकियों (एफआईआर) और अन्य नियामक संस्थाओं जैसे सेबी, नेशनल हाउसिंग बैंक, नेशनल फाइनेंशियल रिपोर्टिंग अथॉरिटी (एनएफआरए), और बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा साझा की गई जानकारी पर आधारित है। ईडी की प्रारंभिक जांच में एक सुनियोजित योजना का खुलासा हुआ है, जिसके तहत बैंकों, शेयरधारकों, निवेशकों और अन्य सार्वजनिक संस्थानों को धोखा देकर सार्वजनिक धन को डायवर्ट किया गया। इसके अलावा, रिलायंस कम्युनिकेशंस (आरकॉम) और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड (आरएचएफएल) से जुड़े पुराने लेनदेन भी जांच के दायरे में हैं।

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स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (एसबीआई) ने हाल ही में आरकॉम और अनिल अंबानी को “फ्रॉड” घोषित किया है और सीबीआई के पास शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया में है। आरकॉम पर कैनरा बैंक के साथ 1,050 करोड़ रुपये के लोन फ्रॉड का भी आरोप है। रिलायंस पावर और रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर, जो रिलायंस ग्रुप की दो सूचीबद्ध कंपनियां हैं ने स्टॉक एक्सचेंज को सूचित किया है कि ईडी की कार्रवाई का उनके कारोबार, वित्तीय प्रदर्शन, या शेयरधारकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इन कंपनियों ने यह भी स्पष्ट किया कि अनिल अंबानी उनके बोर्ड में नहीं हैं और आरकॉम व आरएचएफएल से उनका कोई व्यावसायिक या वित्तीय संबंध नहीं है। हालांकि, सेबी ने 2024 में अनिल अंबानी पर पांच साल के लिए सिक्योरिटीज मार्केट में भाग लेने पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसका आधार आरएचएफएल में फंड डायवर्शन था।

इस मामले में एक और चौंकाने वाला खुलासा यह है कि रिलायंस म्यूचुअल फंड ने यस बैंक के एटी-1 बॉन्ड्स में 2,850 करोड़ रुपये का निवेश किया था, जिसे लेकर भी “क्विड प्रो क्वो” (पारस्परिक लाभ) की आशंका जताई जा रही है। ईडी अब इस निवेश और अन्य संदिग्ध वित्तीय लेनदेन की गहराई से जांच कर रही है।अनिल अंबानी की ओर से इस मामले में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन रिलायंस ग्रुप के सूत्रों का कहना है कि सभी लोन “मेरिट” पर स्वीकृत किए गए थे और पूरी तरह से सुरक्षित थे। उन्होंने यह भी दावा किया कि लोन की राशि ब्याज सहित चुकाई गई थी। दूसरी ओर, ईडी और सीबीआई इस मामले में और गहराई से जांच कर रही हैं, जिससे भविष्य में और बड़े खुलासे होने की संभावना है। यह मामला न केवल अनिल अंबानी के लिए, बल्कि भारतीय बैंकिंग और कॉरपोरेट गवर्नेंस के लिए भी एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। क्या यह घोटाला कॉरपोरेट और बैंकिंग सिस्टम के बीच गहरी सांठगांठ को उजागर करेगा? यह देखना दिलचस्प होगा कि ईडी की जांच आगे क्या मोड़ लेती है

 

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