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गुजरात और अरुणाचल में फिर हिली धरती: कच्छ में 3 दिन में तीसरी बार भूकंप, लोग सहमे

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देश के दो कोनों से एक बार फिर धरती हिलने की खबर आई है। रविवार रात गुजरात के कच्छ और अरुणाचल प्रदेश में भूकंप के झटके महसूस किए गए। हालांकि, किसी तरह के जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है, लेकिन लोगों में डर का माहौल जरूर बन गया है।

कच्छ में लगातार तीसरी बार हिली धरती

गुजरात के कच्छ जिले में रविवार रात करीब 9 बजकर 47 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 4.0 मापी गई। भूकंप का केंद्र खावड़ा से करीब 20 किलोमीटर ईस्ट-साउथईस्ट में बताया गया है।

चौंकाने वाली बात यह है कि पिछले तीन दिनों में यह तीसरी बार है जब कच्छ की धरती कांपी है। बार-बार आ रहे इन झटकों ने लोगों की चिंता बढ़ा दी है। रात के समय आए इस भूकंप ने लोगों को दहशत में डाल दिया, कई लोग घरों से बाहर निकल आए।

अरुणाचल में भी महसूस हुए झटके

उधर, देश के पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश में भी रात 10:59 बजे भूकंप आया। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.4 दर्ज की गई। भूकंप का केंद्र अरुणाचल के सुबनसिरी जिले में था।

उत्तर-पूर्वी भारत भूकंप के लिहाज से संवेदनशील जोन में आता है और यहां समय-समय पर हल्के से मध्यम तीव्रता के झटके महसूस होते रहते हैं।

भूकंप आने पर क्या करें? जानिए ज़रूरी सावधानियां

भूकंप आने की स्थिति में घबराएं नहीं, बल्कि सतर्क और तैयार रहें।

  • तुरंत किसी मजबूत मेज़ या फर्नीचर के नीचे बैठें और सिर को दोनों हाथों से ढक लें।
  • झटके रुकने तक घर के अंदर ही रहें, बाहर भागने से ज्यादा खतरा हो सकता है।
  • अगर आप किसी खुले स्थान पर हैं, तो पेड़ों, बिजली के खंभों और इमारतों से दूर रहें।
  • लिफ्ट का इस्तेमाल बिल्कुल न करें, सीढ़ियों का ही सहारा लें।

आख़िर क्यों आता है भूकंप? जानिए इसके पीछे की वजह

भूकंप का सीधा संबंध हमारी धरती के अंदर मौजूद टैक्टोनिक प्लेटों से होता है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, धरती कुल 12 टैक्टोनिक प्लेटों पर टिकी है, जो लगातार बहुत धीमी गति से हिलती रहती हैं — लगभग हर साल 4 से 5 मिलीमीटर।

जब ये प्लेटें आपस में टकराती हैं या खिसकती हैं, तो उनके बीच जमी हुई ऊर्जा अचानक बाहर निकलती है और धरती हिलने लगती है — इसी प्रक्रिया को हम भूकंप कहते हैं।

फिलहाल राहत, लेकिन चेतावनी बरकरार

हालांकि गुजरात और अरुणाचल के ताज़ा भूकंपों से कोई नुकसान नहीं हुआ, लेकिन लगातार आ रहे झटकों ने लोगों को सतर्क कर दिया है। कच्छ जैसे संवेदनशील इलाके में लगातार भूकंप आना किसी बड़े खतरे का संकेत भी हो सकता है।

भू-विज्ञानियों की मानें तो इस तरह के झटके धरती के अंदर बढ़ते तनाव का संकेत हो सकते हैं, इसलिए अलर्ट रहने की जरूरत है। सरकारी एजेंसियां भी हालात पर नजर बनाए हुए हैं।

निष्कर्ष:

भूकंप कब आएगा, इसका कोई अंदाजा नहीं लगाया जा सकता, लेकिन सावधानी और जागरूकता ही सबसे बड़ा हथियार है। अगर आप भूकंप प्रभावित इलाके में रहते हैं, तो तैयारी हमेशा पूरी रखें — क्योंकि प्रकृति कभी भी चौंका सकती है।

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