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Drip Irrigation in UP: 82 हजार किसानों ने अपनाई तकनीक, सरकार दे रही 90% सब्सिडी

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Drip Irrigation in UP

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लखनऊ, 10 सितंबर 2025 Drip Irrigation in UP: उत्तर प्रदेश में कृषि क्षेत्र में एक नई क्रांति देखने को मिल रही है। ड्रिप इरीगेशन (टपक सिंचाई) तकनीक ने राज्य के 82 हजार से अधिक किसानों को जोड़ा है, जिससे न केवल पानी की बचत हो रही है, बल्कि फसलों का उत्पादन भी बढ़ रहा है। उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं और 90 प्रतिशत तक की सब्सिडी ने इस तकनीक को छोटे और सीमांत किसानों के लिए सुलभ बनाया है। यह पहल न केवल खेती को आधुनिक बना रही है, बल्कि जल संरक्षण और टिकाऊ कृषि को भी बढ़ावा दे रही है।

ड्रिप इरीगेशन एक ऐसी तकनीक है, जिसमें पानी और उर्वरक सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचाए जाते हैं। इससे पानी का अपव्यय कम होता है और पारंपरिक सिंचाई की तुलना में 50-70% तक पानी की बचत होती है। उत्तर प्रदेश में, जहां पानी की कमी और अनियमित मानसून किसानों के लिए चुनौती बने हुए हैं, यह तकनीक वरदान साबित हो रही है। राज्य के विभिन्न जिलों, विशेष रूप से बुंदेलखंड, पूर्वांचल और पश्चिमी यूपी में, किसानों ने ड्रिप इरीगेशन को अपनाया है। गन्ना, केला, सब्जियां और बागवानी फसलों में इसका उपयोग बढ़ रहा है, जिससे उत्पादकता में 20-30% की वृद्धि दर्ज की गई है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ (PMKSY) के तहत ड्रिप इरीगेशन को बढ़ावा देने के लिए कई कदम उठाए हैं। छोटे और सीमांत किसानों को 90% तक सब्सिडी दी जा रही है, जबकि अन्य किसानों को 70% तक अनुदान मिल रहा है। इसके लिए ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से आवेदन की प्रक्रिया को सरल बनाया गया है। सरकार ने ड्रिप इरीगेशन सिस्टम की स्थापना के लिए प्रशिक्षण और तकनीकी सहायता भी उपलब्ध कराई है। कृषि विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि बुंदेलखंड जैसे सूखा प्रभावित क्षेत्रों में यह तकनीक विशेष रूप से लाभकारी रही है।
Drip Irrigation in UP
किसानों का कहना है कि ड्रिप इरीगेशन ने उनकी लागत कम की है और फसल की गुणवत्ता में सुधार किया है। मेरठ के एक किसान रामपाल सिंह ने बताया, “पहले पानी की बर्बादी और मेहनत ज्यादा थी, लेकिन अब ड्रिप सिस्टम से कम पानी में बेहतर उपज मिल रही है।” इसी तरह, फतेहपुर की एक महिला किसान शांति देवी ने सब्जी खेती में ड्रिप इरीगेशन अपनाकर अपनी आय दोगुनी कर ली। यह तकनीक न केवल उत्पादन बढ़ा रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे रही है।हालांकि, कुछ चुनौतियां भी हैं।
ड्रिप सिस्टम की प्रारंभिक लागत और रखरखाव कुछ किसानों के लिए बाधा है। इसके अलावा, बिजली की अनियमित आपूर्ति और तकनीकी जानकारी की कमी ने भी कुछ क्षेत्रों में अपनाने की गति को धीमा किया है। सरकार ने इन समस्याओं को दूर करने के लिए जागरूकता अभियान और प्रशिक्षण शिविर शुरू किए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ड्रिप इरीगेशन को और अधिक प्रोत्साहन देने के लिए स्थानीय स्तर पर सहायता केंद्र स्थापित किए जाने चाहिए।
उत्तर प्रदेश में ड्रिप इरीगेशन को अपनाने से न केवल किसानों की आय बढ़ रही है, बल्कि यह जलवायु परिवर्तन के दौर में टिकाऊ खेती की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। सरकार का लक्ष्य है कि अगले कुछ वर्षों में और अधिक किसानों को इस तकनीक से जोड़ा जाए। यह पहल उत्तर प्रदेश को कृषि क्षेत्र में अग्रणी बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही है।

 

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