नई दिल्ली, 18 नवंबर 2025। DPDP Rules: केंद्र सरकार ने 14 नवंबर 2025 को डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन (DPDP) रूल्स, 2025 को अधिसूचित कर दिया। यह 2023 के DPDP एक्ट को पूरी तरह लागू करता है, जो डिजिटल युग में व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। नए नियम व्यावहारिक, इनोवेशन-अनुकूल और आम लोगों के लिए सरल हैं। इनके जरिए डेटा चोरी, अनधिकृत उपयोग और साइबर जोखिमों पर कड़ा प्रहार होगा, साथ ही डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाया जाएगा।
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रूल्स तैयार करने से पहले इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय ने 6,915 सुझावों पर विचार किया। दिल्ली, मुंबई, गुवाहाटी, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नई में विशेष सत्र आयोजित हुए, जहां स्टार्टअप्स, एमएसएमई, नागरिक समाज और सरकारी विभागों ने भाग लिया। ये सुझाव फाइनल रूल्स में शामिल किए गए, जो निजी अधिकारों और वैध डेटा प्रोसेसिंग पर जोर देते हैं।
रूल्स के प्रमुख प्रावधान
नए नियम चरणबद्ध तरीके से 18 महीनों में लागू होंगे, ताकि संगठन अपने सिस्टम अपग्रेड कर सकें। हर डेटा फिड्यूशरी (डेटा संभालने वाली इकाई) को स्पष्ट सहमति नोटिस जारी करना होगा, जिसमें डेटा संग्रह का उद्देश्य साफ बताया जाए। सहमति प्रबंधक (कंसेंट मैनेजर) केवल भारत-आधारित कंपनियां होंगी। डेटा उल्लंघन पर तत्काल रिपोर्टिंग अनिवार्य है।
फिड्यूशरी को प्रभावित व्यक्तियों को सरल भाषा में सूचित करना होगा, क्या हुआ, संभावित नुकसान क्या है, और समाधान के कदम क्या उठाए गए। संपर्क विवरण भी शामिल होगा। पारदर्शिता के लिए हर फिड्यूशरी को डेटा अधिकारी का नाम और संपर्क देना होगा। महत्वपूर्ण फिड्यूशरी को स्वतंत्र ऑडिट, प्रभाव मूल्यांकन और नई तकनीकों पर सख्त जांच करनी होगी। कुछ मामलों में सरकारी निर्देशों के तहत डेटा लोकल स्टोरेज जरूरी होगा।
नागरिकों के अधिकार और सुरक्षा: DPDP रूल्स व्यक्तियों को सशक्त बनाते हैं।
मुख्य अधिकार: सहमति का अधिकार: डेटा उपयोग की स्पष्ट, आसान सहमति दें या मना करें; कभी भी वापस ले सकें।
जानकारी का अधिकार: डेटा कहां, क्यों और कैसे इस्तेमाल हो रहा, यह पूछ सकें।
पहुंच का अधिकार: अपनी डेटा कॉपी मांग सकें।
सुधार/अपडेट का अधिकार: गलत या पुरानी जानकारी ठीक करवाएं।
हटाने का अधिकार: जरूरत पर डेटा डिलीट करवाएं।
नॉमिनी का अधिकार: किसी को डेटा अधिकारों का प्रतिनिधित्व सौंप सकें (बीमारी आदि में उपयोगी)।
समयसीमा: सभी अनुरोधों पर 90 दिनों में कार्रवाई।
डेटा उल्लंघन पर तुरंत अलर्ट और सहायता सुनिश्चित। बच्चों के डेटा के लिए माता-पिता की सत्यापित सहमति जरूरी (स्वास्थ्य/शिक्षा जैसी सेवाओं को छोड़कर)। दिव्यांगों के लिए वैध अभिभावक की सहमति अनिवार्य। डिजिटल बोर्ड और शिकायत प्रक्रियापूर्ण डिजिटल DPDP बोर्ड (4 सदस्यीय) स्थापित होगा। शिकायतें ऑनलाइन पोर्टल/ऐप से दर्ज होंगी, स्थिति ट्रैकिंग संभव।
बोर्ड के फैसले त्वरित होंगे
अपील TDSAT में।ये रूल्स सरल भाषा में हैं, ताकि हर नागरिक अपने डेटा पर नियंत्रण रख सके। डेटा फिड्यूशरी जवाबदेह होंगी, जो डिजिटल भारत को सुरक्षित और विश्वसनीय बनाएगा।
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