जम्मू-कश्मीर, 8 अगस्त 2025। Jammu And Kashmir: जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग ने एक बार फिर दिल्ली के सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद से ही इस मुद्दे पर चर्चा जोरों पर है और अब नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता व जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला इस मांग को लेकर मुखर हैं। उनकी सरकार ने हाल ही में पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया, जिसे उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने मंजूरी दे दी। इस प्रस्ताव को अब केंद्र सरकार को भेजा गया है और उम्मीद है कि संसद के शीतकालीन सत्र में इस पर विचार हो सकता है।
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उमर अब्दुल्ला ने बार-बार केंद्र सरकार से इस मुद्दे पर ठोस कदम उठाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा उसका संवैधानिक अधिकार है और इसके लिए वह हर संभव प्रयास करेंगे। भले ही इसके लिए उनकी कुर्सी ही क्यों न चली जाए। हालांकि, उनकी निराशा की वजह केंद्र सरकार की ओर से इस मामले में देरी और स्पष्ट रुख न अपनाना है। सूत्रों के अनुसार, हाल के आतंकी हमलों और क्षेत्र की राजनीतिक स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने अभी इस फैसले को टालने का निर्णय लिया है।
उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में संसद के मानसून सत्र में कुछ सकारात्मक होने की उम्मीद जताई थी, लेकिन उनकी यह उम्मीद पूरी नहीं हुई। उन्होंने संसद में अधिक सांसदों वाली पार्टियों को पत्र लिखकर समर्थन मांगा, मगर केंद्र की चुप्पी ने उनकी निराशा को और बढ़ा दिया। साथ ही, कुछ विपक्षी नेताओं ने उनकी कैबिनेट के अनुच्छेद 370 पर चुप्पी को लेकर भी सवाल उठाए, जिससे उनकी स्थिति और जटिल हो गई है।
दिल्ली में इस मुद्दे पर उच्च-स्तरीय बैठकें हो रही हैं, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह शामिल हैं। माना जा रहा है कि केंद्र सरकार इस मामले में सतर्कता बरत रही है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर की स्थिति संवेदनशील है। उमर अब्दुल्ला की कोशिशें और उनकी निराशा इस बात का प्रतीक है कि जम्मू-कश्मीर के लोग अपने संवैधानिक अधिकारों की बहाली के लिए बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
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