अयोध्या, 11 सितंबर 2025। अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर न केवल आस्था का केंद्र बन गया है, बल्कि भक्तों की उदारता का भी प्रतीक बन गया है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के अनुसार, 22 जनवरी 2024 को मंदिर के उद्घाटन के बाद से एक साल के भीतर भक्तों ने दिल खोलकर 327 करोड़ रुपये का दान दिया है। यह राशि नकद, चेक, ऑनलाइन ट्रांसफर और दान पेटियों के माध्यम से प्राप्त हुई, जो मंदिर की लोकप्रियता और भक्तों की गहरी आस्था को दर्शाती है।
इसे भी पढ़ें- Ayodhya: राम मंदिर पर 25 नवंबर को भव्य ध्वजारोहण, चंपत राय ने बताई तैयारियों की रूपरेखा
ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि मंदिर में रोजाना औसतन 1.5 लाख भक्त दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं, और विशेष अवसरों जैसे रामनवमी और दीपावली पर यह संख्या 3 लाख तक पहुंच जाती है। दान में सोना, चांदी, आभूषण और अन्य मूल्यवान वस्तुएं भी शामिल हैं, जिनका मूल्यांकन कर उनकी कीमत 327 करोड़ की कुल राशि में जोड़ी गई। ट्रस्ट ने दान की राशि को पारदर्शी तरीके से प्रबंधित करने के लिए डिजिटल भुगतान प्रणाली को बढ़ावा दिया है, जिसमें यूपीआई और बैंक ट्रांसफर शामिल हैं।
इस दान राशि का उपयोग मंदिर परिसर के रखरखाव, भक्तों के लिए सुविधाओं और अन्य धार्मिक गतिविधियों में किया जा रहा है। ट्रस्ट ने मंदिर परिसर में भक्तों के लिए पेयजल, शौचालय, विश्राम क्षेत्र और मेडिकल सुविधाएं स्थापित की हैं। इसके अलावा, अयोध्या को धार्मिक पर्यटन के केंद्र के रूप में विकसित करने के लिए सड़क, रेल और हवाई अड्डे के उन्नयन पर भी ध्यान दिया जा रहा है। मंदिर की आय से कुछ हिस्सा सामाजिक कार्यों जैसे शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में भी खर्च किया जा रहा है।
राम मंदिर के प्रति भक्तों का उत्साह केवल भारत तक सीमित नहीं है। विदेशों से भी भक्त दान दे रहे हैं, खासकर अमेरिका, कनाडा और मॉरीशस जैसे देशों से। मंदिर का उद्घाटन होने के बाद अयोध्या में पर्यटकों की संख्या में 40% की वृद्धि हुई, जिसने स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा दिया। दुकानदारों, होटल व्यवसायियों और गाइडों को इससे रोजगार मिला है।
ट्रस्ट ने भक्तों से अपील की है कि वे दान करते समय अधिकृत चैनलों का उपयोग करें ताकि किसी भी तरह की धोखाधड़ी से बचा जा सके। यह दान न केवल मंदिर के प्रति श्रद्धा को दर्शाता है, बल्कि अयोध्या को वैश्विक धार्मिक और सांस्कृतिक केंद्र के रूप में स्थापित करने में भी योगदान दे रहा है। राम मंदिर अब केवल एक पूजा स्थल नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक एकता और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक बन गया है।
इसे भी पढ़ें- Ayodhya Deepotsav 2025: भव्यता की नई ऊंचाइयों को छूएगा आयोजन, पर नहीं बनेगा विश्व रिकॉर्ड