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जिलों से मांगे गए एक करोड़ के प्रस्ताव, अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं पर जोर
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यूपी सरकार की पहल, अल्पसंख्यक समुदाय के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास को गति
लखनऊ, 10 सितंबर 2025। उत्तर प्रदेश सरकार ने अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है। इस पहल के तहत, राज्य के विभिन्न जिलों से अल्पसंख्यक समुदायों के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर विकास हेतु एक करोड़ रुपये तक के प्रस्ताव मांगे गए हैं। इस योजना का उद्देश्य अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल और अन्य बुनियादी सुविधाओं को बढ़ावा देना है, ताकि सामाजिक और आर्थिक समावेशन को सुनिश्चित किया जा सके। यह कदम न केवल इन क्षेत्रों में जीवन स्तर को बेहतर करेगा, बल्कि सामुदायिक विकास में भी महत्वपूर्ण योगदान देगा।
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उत्तर प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने सभी जिला प्रशासनों को निर्देश दिए हैं कि वे अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों की जरूरतों का आकलन कर परियोजना प्रस्ताव तैयार करें। इन प्रस्तावों में स्कूलों, अस्पतालों, सामुदायिक केंद्रों, सड़कों, स्वच्छ पेयजल सुविधाओं और बिजली आपूर्ति जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। यह योजना विशेष रूप से उन क्षेत्रों पर फोकस करती है, जहां मुस्लिम, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदायों की आबादी अधिक है। सरकार का लक्ष्य इन क्षेत्रों में पिछड़ेपन को दूर करना और सभी समुदायों को समान अवसर प्रदान करना है।
इस योजना के तहत, प्रत्येक जिले को अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर परियोजनाएं प्रस्तावित करने की स्वतंत्रता दी गई है। उदाहरण के लिए, कुछ जिले शिक्षा के लिए नए स्कूल भवनों या मौजूदा स्कूलों के उन्नयन पर जोर दे सकते हैं, जबकि अन्य स्वास्थ्य केंद्रों या सड़क कनेक्टिविटी पर ध्यान दे सकते हैं। लखनऊ, मुरादाबाद, रामपुर, सहारनपुर, बिजनौर और मेरठ जैसे जिलों में अल्पसंख्यक आबादी की अधिकता को देखते हुए वहां विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इन क्षेत्रों में पहले से ही कई परियोजनाएं चल रही हैं, जैसे मदरसों का आधुनिकीकरण और अल्पसंख्यक छात्रों के लिए छात्रवृत्ति योजनाएं।
अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस योजना के लिए बजट आवंटन केंद्र और राज्य सरकार की साझा योजनाओं के तहत किया जाएगा। केंद्र सरकार की ‘प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम’ (PMJVK) के तहत भी इन परियोजनाओं को समर्थन मिलेगा। यह कार्यक्रम विशेष रूप से अल्पसंख्यक बहुल क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे और सामाजिक विकास पर केंद्रित है। इसके अलावा, राज्य सरकार ने स्थानीय स्तर पर निगरानी समितियों का गठन करने का निर्देश दिया है, जो परियोजनाओं के समयबद्ध और पारदर्शी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेंगी। स्थानीय समुदायों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस पहल का स्वागत किया है।
मुरादाबाद के एक सामुदायिक नेता ने कहा, “हमारे क्षेत्र में स्कूल और अस्पताल जैसी सुविधाओं की कमी है। अगर यह योजना सही तरीके से लागू हुई, तो हमारे बच्चों को बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं मिलेंगी।” हालांकि, कुछ लोग इस बात को लेकर चिंतित हैं कि प्रस्तावों का चयन और धन का उपयोग पारदर्शी होना चाहिए, ताकि इसका लाभ वास्तव में जरूरतमंदों तक पहुंचे। इस योजना की सफलता के लिए सरकार ने जिला प्रशासनों को तीन महीने के भीतर प्रस्ताव जमा करने का निर्देश दिया है। इसके बाद, विशेषज्ञ समिति इन प्रस्तावों की समीक्षा करेगी और स्वीकृत परियोजनाओं के लिए तत्काल धनराशि आवंटित की जाएगी।
यह पहल न केवल अल्पसंख्यक समुदायों के लिए बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराएगी, बल्कि सामाजिक समरसता और आर्थिक विकास को भी बढ़ावा देगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना उत्तर प्रदेश में समावेशी विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जलवायु परिवर्तन और संसाधनों की कमी के दौर में, टिकाऊ और समग्र विकास पर ध्यान देना जरूरी है। अगर यह योजना पूरी तरह लागू हो पाई, तो यह न केवल अल्पसंख्यक समुदायों के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक मील का पत्थर साबित होगी। सरकार ने इस बात पर भी जोर दिया है कि परियोजनाओं का लाभ सभी समुदायों को समान रूप से मिले, ताकि सामाजिक एकता बनी रहे।
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