नई दिल्ली, 26 अक्टूबर 2025। Delhi Pollution: दिवाली की रौनक अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि राजधानी दिल्ली पर सर्दी और प्रदूषण की दोहरी मार पड़ने लगी है। पटाखों की धूम से उपजी जहरीली धुंध ने शहर को घेर लिया है, जबकि मौसम में ठंडक बढ़ने से प्रदूषक कण हवा में लटक रहे हैं। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के अनुसार, दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) गुरुवार को 353 तक पहुंच गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है।
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कुछ इलाकों जैसे आनंद विहार और चाणक्यपुरी में यह 400 से ऊपर रहा, जबकि पीएम 2.5 और पीएम10 के स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की सीमा से 15-20 गुना अधिक हो गए। दिवाली (21 अक्टूबर) के बाद प्रदूषण का मौसम शुरू हो चुका है। पटाखों के अलावा, वाहनों के धुएं, निर्माण कार्यों की धूल, कचरा जलाना और पड़ोसी राज्यों पंजाब-हरियाणा में पराली जलाने से निकलने वाला धुआं मुख्य वजहें हैं।

मौसम विभाग (आईएमडी) के अनुसार, न्यूनतम तापमान 19-21 डिग्री सेल्सियस तक गिर गया है, जबकि अधिकतम 32-34 डिग्री रहेगा। सुबह-सुबह हल्का कोहरा और धुंध छाई रहती है, जो दोपहर तक छंट जाती है, लेकिन ठंड बढ़ने से तापमान उलटा (इनवर्शन) हो रहा है, जो प्रदूषकों को जमीन के करीब कैद कर रहा है। अगले चार दिनों में मौसम शुष्क रहेगा, लेकिन प्रदूषण स्तर धीरे-धीरे बढ़ेगा। 26-27 अक्टूबर को एक्यूआई 340 से ऊपर रहने की संभावना है, जबकि 28 अक्टूबर को मामूली सुधार हो सकता है।
यह दोहरी समस्या दिल्ली के 3.3 करोड़ निवासियों के लिए घातक साबित हो रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदूषण से प्रतिवर्ष 10,000 से अधिक समयपूर्व मौतें हो रही हैं। सांस संबंधी बीमारियां, हृदय रोग, न्यूरोलॉजिकल समस्याएं और कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। बच्चे, बुजुर्ग और श्वसन रोगियों पर सबसे ज्यादा असर पड़ रहा है। यात्रियों को भी सलाह दी जा रही है कि सुबह-शाम बाहर न निकलें, एन95 मास्क पहनें, एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और इनडोर गतिविधियों पर जोर दें।
सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेडेड रेस्पॉन्स एक्शन प्लान (जीआरएपी) का दूसरा चरण लागू कर दिया है। इसमें निर्माण कार्य सीमित करना, वाहनों पर पाबंदी और औद्योगिक इकाइयों की निगरानी शामिल है। 29 अक्टूबर को क्लाउड सीडिंग (कृत्रिम वर्षा) का प्रयोग किया जाएगा, जो प्रदूषण कम करने में मददगार साबित हो सकता है। हालांकि, विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि सर्दी गहराने के साथ समस्या और बढ़ेगी।
दिल्ली को साफ हवा के लिए दीर्घकालिक उपाय जैसे हरित ऊर्जा, सार्वजनिक परिवहन मजबूत करना और पराली प्रबंधन जरूरी हैं।क्या दिल्ली इस दोहरी मार से उबर पाएगी? मौसम और नीतियों पर नजरें टिकी हैं।
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