नई दिल्ली, 12 नवंबर 2025। Delhi Blast: दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के पास हाल ही में हुए कार विस्फोट ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। इस ब्लास्ट में कम से कम 8-9 लोगों की मौत हो गई, जबकि कई घायल हुए। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की जांच में सनसनीखेज खुलासा हुआ है कि आतंकियों का मकसद दीवाली के दौरान दिल्ली के भीड़भाड़ वाले बाजारों और पार्कों में बड़ा धमाका करना था। लेकिन सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता से यह प्लान आखिरकार एबॉर्ट हो गया। यह घटना न केवल दिल्ली, बल्कि पूरे उत्तर भारत की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस ‘षड्यंत्र’ की निंदा की है, जबकि गृह मंत्री अमित शाह ने उच्च स्तरीय जांच का निर्देश दिया है।
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जांच एजेंसियों के अनुसार, यह विस्फोट एक ‘व्हाइट-कॉलर’ टेरर मॉड्यूल का हिस्सा था, जो हरियाणा के फरीदाबाद स्थित अल-फलाह मेडिकल कॉलेज से संचालित हो रहा था। मुख्य आरोपी उमर, जो जम्मू-कश्मीर का निवासी था, सुसाइड बॉम्बर के रूप में काम करने को तैयार था। वह आई-20 कार में सवार होकर लाल किले के पास पहुंचा, जहां विस्फोट हुआ। उमर अल-फलाह कॉलेज में काम कर चुका था और उसके डीएनए टेस्ट से पुष्टि हो रही है कि वह ही कार चला रहा था।
आतंकी संगठन जैश-ए-मुहम्मद (जेईएम) से इसके गहरे तार जुड़े पाए गए हैं। एजेंसियों ने अब तक 18 संदिग्धों को गिरफ्तार किया है, जिनमें ज्यादातर डॉक्टर और लैब टेक्नीशियन हैं। जम्मू-कश्मीर से 9, उत्तर प्रदेश से 3 और फरीदाबाद से कई गिरफ्तारियां हुई हैं।खुलासे और भी चौंकाने वाले हैं। आतंकियों ने दीवाली पर लक्ष्य बनाया था दक्षिण दिल्ली के मॉल्स, पार्क और बाजारों को, जहां लाखों लोग जश्न मना रहे होते। लेकिन एक बड़े हथियार तस्करी के भंडाफोड़ और गिरफ्तारियों के बाद प्लान को टालना पड़ा।
सहारनपुर से पकड़े गए डॉ. अदील रईस के लॉकर से एके-47 राइफल बरामद हुई, जबकि फरीदाबाद के डॉ. मोज़मिल अहमद और शाहीन शाहिद जेईएम के प्रोपगैंडा में शामिल थे। अल-फलाह यूनिवर्सिटी के चार लैब टेक्नीशियनों को भी हिरासत में लिया गया, क्योंकि यहां से विस्फोटक सामग्री तैयार की जा रही थी। आई-20 कार भी इसी कैंपस में पार्क की गई थी।यह मॉड्यूल जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग, पुलवामा और जम्मू से जुड़ा था।
गिरफ्तार नामों में तारिक, आमिर, डॉ. सज्जाद, अरिफ, यासिर, मकसूद, इरफान और जमीर प्रमुख हैं। दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने मृतकों के परिजनों को 10 लाख रुपये की सहायता की घोषणा की है। इजरायल ने भी भारत के इस संघर्ष में समर्थन जताया है। यह घटना दिल्ली के आतंकी इतिहास को याद दिलाती है, जहां पहले भी बाजारों और धार्मिक स्थलों पर हमले हो चुके हैं।
एनआईए अब पूरे नेटवर्क को उजागर करने पर जुटी है, जिसमें आईएसआईएस के कुछ लिंक भी संदेह के घेरे में हैं। सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि शैक्षणिक संस्थानों में घुसपैठ रोकना अब प्राथमिकता होनी चाहिए। दीवाली का त्योहार अब सतर्कता के साये में मनाया जा रहा है, लेकिन यह प्लान नाकाम होना सुरक्षा बलों की जीत है। आगे की जांच से और राज खुलेंगे।
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