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Cyber Crimes: भारत में साइबर अपराध का कहर, 2024 में 22,845 करोड़ का नुकसान, 206% की उछाल

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Cyber Crime

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  •  डिजिटल ठगी की सुनामी: 5 साल में 140% बढ़े साइबर अपराध, कौन से राज्य सबसे प्रभावित?
  • साइबर अपराध पर भारत की जंग: 10,599 गिरफ्तार, लेकिन चुनौतियां बरकरार
  • भारत में साइबर अपराध का बढ़ता खतरा और उससे निपटने की कोशिशें

नई दिल्ली, 1 अगस्त 2025। Cyber Crimes: भारत में साइबर अपराध की सुनामी ने देश को हिलाकर रख दिया है। 2024 में साइबर अपराधियों ने भारतीय नागरिकों को 22,845.73 करोड़ रुपये का चूना लगाया, जो 2023 के 7,465.18 करोड़ रुपये के नुकसान की तुलना में 206% की भारी वृद्धि दर्शाता है। यह जानकारी केंद्रीय गृह राज्य मंत्री बंदी संजय कुमार ने लोकसभा में एक लिखित प्रश्न के जवाब में दी।

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पांच साल में 140% की वृद्धि

पिछले पांच वर्षों (2018-2022) में साइबर अपराध के मामलों में 140% से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के अनुसार, 2018 में जहां 27,248 साइबर अपराध दर्ज किए गए थे। वहीं 2022 में यह संख्या बढ़कर 65,893 हो गई। 2024 में राष्ट्रीय साइबर अपराध पोर्टल (NCRP) और सिटिजन फाइनेंशियल साइबर फ्रॉड रिपोर्टिंग एंड मैनेजमेंट सिस्टम (CFCFRMS) पर 36.37 लाख वित्तीय धोखाधड़ी के मामले दर्ज किए गए, जो 2023 के 24.42 लाख मामलों से काफी अधिक है।

साइबर अपराध के प्रकार और तरीके

साइबर अपराधों में निवेश घोटाले, ट्रेडिंग स्कैम, डिजिटल अरेस्ट, सेक्सटॉर्शन, फिशिंग और फर्जी लोन ऐप्स प्रमुख हैं। विशेष रूप से डिजिटल अरेस्ट स्कैम में 2024 में 123,672 मामलों में 1,935.5 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जो 2022 में 39,925 मामलों में 91 करोड़ रुपये के नुकसान से कहीं अधिक है। अपराधी व्हाट्सएप, स्काइप और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करते हैं, जहां वे सरकारी अधिकारियों या पुलिस के रूप में पेश होकर लोगों को डराते हैं।

कौन से राज्य सबसे प्रभावित?

2023 में दर्ज आंकड़ों के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 200,000 साइबर अपराध के मामले सामने आए। इसके बाद महाराष्ट्र (130,000), गुजरात (120,000), राजस्थान और हरियाणा (प्रत्येक में 80,000) का नंबर है। छोटे शहर जैसे देवघर (झारखंड), नूंह (हरियाणा) और मथुरा (उत्तर प्रदेश) भी साइबर अपराध के नए केंद्र के रूप में उभरे हैं। दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों (म्यांमार, कंबोडिया, लाओस) से संचालित 46% साइबर अपराधों ने इन राज्यों को और प्रभावित किया है।

साइबर अपराध पर नियंत्रण में सफल राज्य

राजस्थान पुलिस ने साइबर अपराध पर नियंत्रण में उल्लेखनीय कामयाबी हासिल की है। ऑपरेशन एंटी-वायरस जैसी पहल के तहत अलवर और धौलपुर जैसे जिलों में बड़े पैमाने पर गिरफ्तारियां की गईं। उदयपुर में मई 2024 में 129.72 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी से जुड़े तीन मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। तेलंगाना की हैदराबाद साइबर क्राइम पुलिस ने भी सात राज्यों से संचालित 453 मामलों से जुड़े 25 अपराधियों को पकड़ा।

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साइबर अपराध पर पुलिस की कार्रवाई में ढिलाई कहां?

दिल्ली, उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में साइबर अपराध की शिकायतों की संख्या तो अधिक है, लेकिन प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) दर्ज करने और जांच में तेजी की कमी देखी गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन राज्यों में पुलिस बल की तकनीकी क्षमता और प्रशिक्षण की कमी एक बड़ी चुनौती है।

सरकार की पहल

भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने साइबर अपराध से निपटने के लिए कई कदम उठाए हैं।

CFCFRMS: 2021 में शुरू इस सिस्टम ने 17.82 लाख शिकायतों में 5,489 करोड़ रुपये बचाए।

सस्पेक्ट रजिस्ट्री: सितंबर 2024 में शुरू इस पहल ने 11 लाख संदिग्ध पहचानकर्ताओं और 24 लाख म्यूल खातों को चिह्नित कर 4,631 करोड़ रुपये बचाए।

प्रतिबिंब मॉड्यूल: इस टूल ने 10,599 गिरफ्तारियां, 26,096 कनेक्शन और 63,019 जांच अनुरोधों में मदद की।

1930 हेल्पलाइन: 5.8 लाख सिम कार्ड और 1.08 लाख IMEI ब्लॉक किए गए।

डिजिटल जागरूकता: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 27 अक्टूबर 2024 को ‘मन की बात’ में डिजिटल अरेस्ट के खतरों के बारे में जागरूक किया।

चुनौतियां और भविष्य की रणनीति

साइबर अपराध की जटिलता बढ़ रही है। क्रिप्टोकरेंसी, वीपीएन, और डिजिटल वॉलेट की गुमनामी जांच को मुश्किल बना रही है। विशेषज्ञ सख्त KYC नियम, वीपीएन नियंत्रण और अंतरराष्ट्रीय सहयोग की वकालत कर रहे हैं। I4C ने 4.5 लाख म्यूल खातों को फ्रीज किया और 3,000 URL व 595 ऐप्स को ब्लॉक किया।

निष्कर्ष

साइबर अपराध भारत के डिजिटल विकास के लिए एक गंभीर चुनौती बन गया है। हालांकि सरकार और पुलिस ने कई कदम उठाए हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में बढ़ते मामले और जांच में ढिलाई चिंता का विषय है। राजस्थान और तेलंगाना जैसे राज्यों के प्रयास प्रेरणादायक हैं, लेकिन देशव्यापी स्तर पर तकनीकी उन्नयन और जागरूकता जरूरी है।
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